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Acharya Mukesh

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

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“कुछ अलग करना है, तो भीड़ से हट कर चलो, भीड़ साहस तो देती है, पर पहचान छिन लेती है।”

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Monday, 18 May 2020

वट सावित्री व्रत 2020, Pujan Vidhi, #Muhurat | वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2020



वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है, वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है।

वट सावित्री🌕पूर्णिमा व्रत शुक्रवार, जून 5, 2020 को

वट सावित्री 🌑अमावस्या शुक्रवार, मई 22, 2020 को
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 21, 2020 को 09:35 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - मई 22, 2020 को 11:08 पी एम बजे

पूजन सामग्री

वट वृक्ष के नीचे मिट्टी की बनी सावित्री और सत्यवान तथा भैंसे पर सवार यम की मूर्ति स्थापित कर पूजा करनी चाहिए तथा बड़ की जड़ में पानी देना चाहिए। पूजा के लिए जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल, सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, लाल धागा, मिट्टी का दीपक, धूप और पांच फल जिसमें लीची अवश्य हो आदि होनी चाहिए।

पूजा विधान

जल से वट वृक्ष को सींच कर तने को चारों ओर सात बार कच्चा धागा लपेट कर तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। साथ ही पंखे से वट वृक्ष को हवा करें इसके बाद सत्यवान−सावित्री की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद भीगे हुए चनों का बायना निकाल कर उस पर यथाशक्ति रुपए रखकर अपनी सास को देना चाहिए तथा उनके चरण स्पर्श करने चाहिएं। घर आकर जल से अपने पति के पैर धोएं और आशीर्वाद लें। उसके बाद अपना व्रत खोल सकती हैं।

कथा

मद्र देश के राजा अश्वपति ने पत्नी सहित संतान के लिए सावित्री देवी का विधिपूर्वक व्रत तथा पूजन करके पुत्री होने का वर प्राप्त किया। सर्वगुण संपन्न देवी सावित्री ने पुत्री के रूप में अश्वपति के घर कन्या के रूप में जन्म लिया। कन्या के युवा होने पर अश्वपति ने अपने मंत्री के साथ सावित्री को अपना पति चुनने के लिए भेज दिया। सावित्री अपने मन के अनुकूल वर का चयन कर जब लौटी तो उसी दिन महर्षि नारद उनके यहां पधारे। नारदजी के पूछने पर सावित्री ने कहा कि महाराज द्युमत्सेन जिनका राज्य हर लिया गया है, जो अंधे हो गए हैं और अपनी पत्नी सहित वनों की खाक छानते फिर रहे हैं, उन्हीं के इकलौते पुत्र सत्यवान की कीर्ति सुनकर उन्हें मैंने पति रूप में वरण कर लिया है।

नारदजी ने सत्यवान तथा सावित्री के ग्रहों की गणना कर अश्वपति को बधाई दी तथा सत्यवान के गुणों की भूरि−भूरि प्रशंसा की और बताया कि सावित्री के बारह वर्ष की आयु होने पर सत्यवान की मृत्यु हो जाएगी। नारदजी की बात सुनकर राजा अश्वपति का चेहरा मुरझा गया। उन्होंने सावित्री से किसी अन्य को अपना पति चुनने की सलाह दी परंतु सावित्री ने उत्तर दिया कि आर्य कन्या होने के नाते जब मैं सत्यवान का वरण कर चुकी हूं तो अब वे चाहे अल्पायु हों या दीर्घायु, मैं किसी अन्य को अपने हृदय में स्थान नहीं दे सकती।

सावित्री ने नारदजी से सत्यवान की मृत्यु का समय ज्ञात कर लिया। दोनों का विवाह हो गया। सावित्री अपने श्वसुर परिवार के साथ जंगल में रहने लगी। नारदजी द्वारा बताये हुए दिन से तीन दिन पूर्व से ही सावित्री ने उपवास शुरू कर दिया। नारदजी द्वारा निश्चित तिथि को जब सत्यवान लकड़ी काटने जंगल के लिए चला तो सास−श्वसुर से आज्ञा लेकर वह भी सत्यवान के साथ चल दी। सत्यवान जंगल में पहुंचकर लकड़ी काटने के लिए वृक्ष पर चढ़ा। वृक्ष पर चढ़ने के बाद उसके सिर में भयंकर पीड़ा होने लगी। वह नीचे उतरा। सावित्री ने उसे बड़ के पेड़ के नीचे लिटा कर उसका सिर अपनी जांघ पर रख लिया। देखते ही देखते यमराज ने ब्रह्माजी के विधान की रूपरेखा सावित्री के सामने स्पष्ट की और सत्यवान के प्राणों को लेकर चल दिये। 'कहीं−कहीं ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि वट वृक्ष के नीचे लेटे हुए सत्यवान को सर्प ने डंस लिया था।' सावित्री सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे ही लिटाकर यमराज के पीछे−पीछे चल दी। पीछे आती हुई सावित्री को यमराज ने उसे लौट जाने का आदेश दिया। इस पर वह बोली महाराज जहां पति वहीं पत्नी। यही धर्म है, यही मर्यादा है।

सावित्री की धर्म निष्ठा से प्रसन्न होकर यमराज बोले कि पति के प्राणों के अतिरिक्त कुछ भी मांग लो। सावित्री ने यमराज से सास−श्वसुर के आंखों की ज्योति और दीर्घायु मांगी। यमराज तथास्तु कहकर आगे बढ़ गए। सावित्री यमराज का पीछा करती रही। यमराज ने अपने पीछे आती सावित्री से वापस लौट जाने को कहा तो सावित्री बोली कि पति के बिना नारी के जीवन की कोई सार्थकता नहीं। यमराज ने सावित्री के पति व्रत धर्म से खुश होकर पुनः वरदान मांगने के लिए कहा। इस बार उसने अपने श्वसुर का राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। तथास्तु कहकर यमराज आगे चल दिये। सावित्री अब भी यमराज के पीछे चलती रही। इस बार सावित्री ने यमराज से सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा। तथास्तु कहकर जब यमराज आगे बढ़े तो सावित्री बोली आपने मुझे सौ पुत्रों का वरदान दिया है, पर पति के बिना मैं मां किस प्रकार बन सकती हूं। अपना यह तीसरा वरदान पूरा कीजिए।

सावित्री की धर्मिनष्ठा, ज्ञान, विवेक तथा पतिव्रत धर्म की बात जानकर यमराज ने सत्यवान के प्राणों को अपने पाश से स्वतंत्र कर दिया। सावित्री सत्यवान के प्राण को लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची जहां सत्यवान का मृत शरीर रखा था। सावित्री ने वट वृक्ष की परिक्रमा की तो सत्यवान जीवित हो उठा। प्रसन्नचित सावित्री अपने सास−श्वसुर के पास पहुंची तो उन्हें नेत्र ज्योति प्राप्त हो गई। इसके बाद उनका खोया हुआ राज्य भी उन्हें मिल गया। आगे चलकर सावित्री सौ पुत्रों की मां बनी। इस प्रकार चारों दिशाएं सावित्री के पतिव्रत धर्म के पालन की कीर्ति से गूंज उठीं।


Acharya Mukesh
#Vat_Savitri_Vrat_2020

Libra Saturn Transit in English 2020/ Saturn Transit in Capricorn





Libra / Tula: Transit of Saturn in the 4th house from Natal Moon

According to Saturn Transit 2020, the planet of justice, Saturn will transit from Sagittarius to its own Zodiac Sign Capricorn on 24th January 2020 at 12:05 PM. During the same year, Saturn will retrograde in Capricorn from 11th May till 29th September, after which it will become progressive. The planet will be in combust during the month of December, which will significantly decrease its impact. The Zodiac Signs, Sagittarius and Capricorn have already been facing Sade Sati period and Aquarius will be the one to join their team during this year. Saturn is the ruler of Capricorn and Aquarius. As the transit will be in Capricorn, it will lead to significant changes in the life of natives of all Zodiac Signs.

Saturn is associated with justice and discipline. Just like a mentor, who directs us to the right path and punishes us when doing anything wrong, planet Saturn guides us. When Saturn will transit into Capricorn, it will teach a lesson that success can be achieved by means of hard work only. The transit will be the period which when utilised will open the gateways to success. It will give the opportunity to shape a better future. The transit will have different impacts on the people belonging to different Moon Signs. Given below are predictions with which you will be able to unveil what the transit holds for you.

Profession and Finance: 

Disenchantment with regard to work will be your main enemy. Unless you shake it off you may face the displeasure of your superiors. Avoid Transfer to another place is possible during this time. Your finances will need careful watching during this period. Control your expenses or you my land up in some hot soup.


Saturn will transit into your fourth house. It rules the fourth and fifth house from your Moon Sign. This transit will serve to be a gateway of success for you predicts the Saturn Transit 2020. You should remember that confidence is a trait that will lead you to success but overconfidence is a parasite that gradually degrades you and leads to failure. Avoid boasting about your abilities and achievements. Being an egoist will spoil your relationships as well as your career.

Short journeys are on the cards for you. You may set your foot on a foreign journey after the month of September.


Love Marriage and Relationships: 

Domestic life will not be smooth. Do not get involved in any illegal affairs. Avoid clashes with relatives and friends. Your social life will not be happy and if you don’t watch your behaviour you may face public disgrace. Stay away from your enemies as they will have the upper hand.

Health: 

Extra care should be taken about your health and also the health of spouse and children. Lethargy, stomach disorders, anguish, mental agony, fear and a general sense of disorientation will prevail during this period. Death of a relative is possible.
Travel: Avoid travelling as the results will not be favourable. If travel is unavoidable, take extra care about your food and health.

Remedies: 

Reciting the Hanuman Chalisa & the Dasharatha Shani Stotram are known to be the best remedies for Saturn.
#Best_Astrologer_in_India

Acharya Mukesh
Astro Nakshatra 27



Tuesday, 14 April 2020

#Libra SaturnTransit 2020 #Scorpion Saturn Transit 2020 #Tula Rashi#Vris...

Monday, 16 March 2020

Chaitra Navratri Kalash Sthapna Muhurat 25 April 2020/ Pratipada Mata Shailputri

चैत्र घटस्थापना बुधवार, मार्च 25,2020 को
घटस्थापना मुहूर्त - 6:19 से 7:17
अवधि - 00 घण्टे 58 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान है।

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - मार्च 24, 2020 को 14:57 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - मार्च 25, 2020 को 17:26 बजे
मीन लग्न प्रारम्भ - मार्च 25, 2020 को 06:19 बजे
मीन लग्न समाप्त - मार्च 25, 2020 को 07:17 बजे


देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप है शैलपुत्री। मां का यह स्वरूप चंद्रमा से संबंधित है। इसलिए प्रथम दिन शैलपुत्री माता का पूजन करने से चंद्र से जुड़े समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं। चंद्र की अनुकूलता होने से मानसिक सुख-शांति प्राप्त होती है।

Acharya Mukesh
Astro Nakshatra 27

Sunday, 15 March 2020

Shani Transit 2020:जानें नए साल में आपकी राशि पर शनि का कैसा रहेगा प्रभाव


पाया या मूर्तिनिर्णय गोचर में ग्रहो के अनुसार फलकथन करने के लिए एक विशेष विधि है | किसी भी व्यक्ति की जन्म राशि से शनि जिस भी भाव में गोचर कर रहा होता है| उसके अनुसार शनि के पाया अर्थात मूर्तिनिर्णय के फल का विचार किया जाता है| मूर्तियां चार प्रकार की होती है (1) स्वर्ण (2) रजत (3) ताम्र (4) लोह | इनमें स्वर्ण मूर्ति सबसे अधिक शुभ होती है और घटते हुए क्रम के अनुसार लोह मूर्ति सबसे कम शुभ मानी जाती है |
शनि के साथ-साथ यह भी अवश्य विचार करे की उसे समय गोचर में चन्द्रमा किस राशि में स्थित है |
स्वर्ण मूर्ति - जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 1, 6, 11 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये स्वर्ण के माने जाते है| यह जातक के लिए अत्यधिक शुभ एवं स्वर्णिम परिणाम देने वाला होता है |
रजत मूर्ति – जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 2, 5, 9 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाद रजत के माने जाते है| यह जातक को जीवन में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर प्रदान करता है |
ताम्र मूर्ति – जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 3, 7, 10 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये  ताम्र के माने जाते है| यह जातक को मध्यम होकर मिश्रित फल प्रदान करता है |
लोह मूर्ति -  जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 4, 8, 12 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये लोह के माने जाते है| यह जातक को परेशानियां और समस्याएं देता है |






तुला राशि शनि की ढैय्या 2020 /24 जनवरी 2020 शनि का मकर राशि में प्रवेश / LIBRA SATURN TRANSIT 2020


सक्रीय हो जाइए आपको शनि की ढैय्या लगने वाली है आप समझ गए होंगे की हम किस राशि की बात कर रहे है| जी हां आज हम तुला राशि वालो का 2020 का वार्षिक राशिफल लेकर उपस्थित हुए है| तुला राशि वालो को शनि की ढैय्या लगने वाली है इसीलिये आप अपने सभी कार्यो में सचेत हो जाइये शनिदेव बुरे कर्मो का बुरा और अच्छे कर्मो का अच्छा परिणाम आपको देते है| इसीलिये शनि की ढैय्या में ऐसा कोई भी कार्य नही करे जिससे शनि देव रुष्ट हो जाये और आप दंड के भागी हो सबसे पहले हम आपको बताते है की इस साल ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी क्युकी ग्रहों की स्थिति जैसी रहेगी राशियों के जो परिवर्तन होंगे उसी के बर्ताव पर आपका आने वाला वर्ष निर्भर करेगा तो सबसे पहले बात करते है ग्रह गोचर की स्थिति की साल की शुरुआत में आपकी राशि से चतुर्थ भाव में शुक्र विराजित है द्वितीय भाव में मंगल विराजित है, और तृतीय भाव में सूर्य, केतु, शनि, बुध, और गुरु ये सभी ग्रह एक साथ आकर बैठे है| गुरु स्वग्रही होकर बैठा है| अच्छा है आपके लिये भाग्य स्थान में राहू का विराजित होना थोडा सा आपके कार्य में रूकावट डालेगा आपके कर्म क्षेत्र में आपके भाग्य में थोडा सा कम करेगा| परन्तु 24 जनवरी से जगह बदलेगी ग्रहों की स्थितिया बदलेगी जब 24 जनवरी 2020 से शनि का मकर राशि में यानि आपके चतुर्थ भाव में प्रवेश होगा| उस समय स्थितिया परिवर्तन होगी और आपके सुख में वृद्धि होगी आपकी माता के साथ आपका रिश्ता अच्छा रहेगा किसी भी तरह का कोई भी आप कार्य भूमि, वाहन से सम्बंधित करते है| तो आपको उसमे सफलता हासिल होंगी| इसके अलावा गुरु जो की 30 मार्च को नीच के होकर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है| उसके बाद वो 30 जून को पुनः धनु राशि में प्रवेश करेंगे और 20 नवम्बर को पुनः मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगे| ये कुछ उत्तार चढाव गुरु का इस साल देखने को मिलेगा| राहू इस साल आपके भाग्य स्थान से आपके अष्टम स्थान यानि वृषभ राशि में 23 सितम्बर 2020 को प्रवेश करेंगे| वही 23 सितम्बर 2020 को केतु भी आपके राशि से द्वितीय भाव में यानि वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे| तो ये कुछ ग्रहों की स्थिति बन रही है| और इस स्थिति के आधार पर ही अब हम आपको आपके आने वाला वर्ष 2020 का वार्षिक राशिफल बतायेंगे| ये राशिफल चंद्र राशि और लग्न दोनों के हिसाब से सम्मान रूप से प्रभावशाली है| हर व्यक्ति के मन में ये उत्त्सुकता रहती है की पारिवारिक रूप से उसके जीवन में क्या बदलाव होने वाला है| वो अविवाहित के तो क्या उसका विवाह होगा, और विवाह के बंधन में बंधा है तो उसको संतान की प्राप्ति होगी, या उसका दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा या नही ये सभी प्रश्नों के उतर इस पारिवारिक स्थिति के माध्यम से दिए जायेंगे| \\\



1) पारिवारिक स्थिति : पारिवारिक लिहाज से हम देखे तो सबसे अच्छी तो इस बार 24 जनवरी से शनि की जो स्थिति है वो आपके सुख स्थान में आ रहा है| और स्वग्रही होकर बैठ रहा है| तो आपकी माता के साथ में, आपकी दादी के साथ में आपके संबंध बहुत ही अधिक मजबूत होंगे और उनके साथ आपके संबंधो में गहराई आयेंगी| यानि वो आपको हर जगह सुझाव देंगे और सहयोग करेंगे| यानि वर्ष भर आपकी माता के साथ संबंध बहुत अच्छे रहने वाले है| उसके अलावा आपके भाई बहनों के साथ कुछ उत्तार चढाव आपके रिश्ते में देखने को इस साल मिलेगा यानि जब गुरु पहले आपके कर्म स्थान पराकर्म स्थान में बैठा है विराजित है आपके भाई बहनों के साथ उसका रिश्ता अच्छा होगा| परन्तु जब वो नीच का होकर मकर राशि में यानि वो चतुर्थ घर में जाकर प्रवेश करेगा 30 मार्च से तो उसके बाद स्थितिया बदलेगी वो जो दो तीन महीने है उस समय आपके भाई बहनों के साथ आपके संबंधो में थोडी सी मधुरता कम और गलतफैमिया ज्यादा होगी और आप जो भी कहेंगे उसका उल्टा असर आपके भाई बहनों के दिमाग पर पड़ेगा उनको ये लगेगा की ये हमेशा हमको टोक रहे है या कह रहे है मतलब वो विपरीत तरीके से आपके बारे में सोचेंगे परन्तु स्थितिया बहुत लंबी ये नही चलने वाली है जलाई से वापस जब राहू वापस से धनु राशि में आयेंगा तब समय और भी अधिक आपके पक्ष में होगा| और भाई बहन आपकी भावनाओ को समझेंगे और आपके साथ वापस से उनका रिश्ता अच्छा हो जायेगा| इसके अलावा पैतृक सम्पति थी जब हम बात करे तो पैतृक सम्पति के मामलो में आपको विशेष सफलता हासिल इस साल हो सकती है| यदि कोई आपके पैतृक सम्पति सम्बन्धी कोई विवाद है, कोई आप चा रहे है की आपके माता पिता आपकी पक्ष करे| आपको पैतृक सम्पति प्रदान करे| कोई जमीन जायदाद को लेकर कोई मन मुटाव आपके परिवार में यदि है तो आप किसी की मध्यस्था से उसे इस साल सुलझा लेंगे| या फिर कोई कोर्ट में कोई लंबित मामला पैतृक सम्पति से सम्बंधित पड़ा है तो उसमे भी आपके पक्ष में इस साल फैसला आएगा| क्युकी राहू की स्थिति बदल रही है| और साथ में केतु की भी स्थिति बदल रही है| जो की सितम्बर के अंत से दिसम्बर तक ये स्थिति रहेगी इस समय के दौरान आप अपने पैतृक मामलो को सुलझा सकते है| उसमे आप सफलता हासिल कर सकते है| संतान पक्ष की और से ये साल बहुत अच्छा रहेगा| पूरी की पूरी संतान आपकी मदद करती हुई आपके सभी कार्यो में भी आपको शारीरिक भी, मानसिक भी हर तरह से सहयोग करती हुई नज़र आएँगी| क्युकी शनि स्वग्रही होकर बैठे है और पंचम भाव का मालिक भी शनि ही है| तो ये पूरा का पूरा आपको अच्छे परिणाम प्रदान करेगा| 

2) आर्थिक स्थिति : आर्थिक स्थिति की दृष्टि से हम देखे तो ये साल आपके लिये शुरुआत में अच्छा नही जायेंगा| आर्थिक उत्तार चढाव का आपको सामना करना पड़ेगा| पैसे की समस्या आपकी उस समय थोड़ी सी डावाडोल होगी| क्युकी कारोबार में भी कुछ उत्तार चढाव की स्थितिया आएँगी| इससे आपको कुछ निवेश इधर उधर करना पड़ेगा| और उस वजह से आपकी आर्थिक स्थिति डावाडोल हो सकती है| परन्तु साल के मध्य में स्थिति मजबूत होगी| और धीरे धीरे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता चला जायेंगा| आपके पैसे की समस्या दूर होगी और उसमे मजबूती आएँगी| और आप अपने आपको शक्तिशाली और विश्वास से भरे महसूस करेंगे| कार्य क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन होगा और उस वजह से आपके लाभ की स्थिति अच्छी बनेगी| साल के अंत में कोई विदेशी कम्पनियों से आपको बड़े कार्य मिलने की उम्मीद बनी हुई है| यदि आप कृषि से जुड़े कोई काम करते है, कोई शोध से जुड़े कार्य करते है तो उसमे विशेष रूप से आपको साल के अंत में यानि नवम्बर, दिसम्बर का जो समय है उस समय आपको अच्छी सफलता हासिल होंगी| और आपके लाभ की स्थिति बहुत ही अच्छी बनेगी उस समय आप शेयर बाज़ार में भी निवेश कर सकते है| यदि उस समय आप शेयर बाज़ार में निवेश करते है या आप लॉटरी का कोई शौक रखते है और उसमे निवेश करना चाहते है तो उसमे भी निवेश कर सकते है उसमे आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे| 

3) कारोबार और व्यवसाय : कारोबार और व्यवसाय की दृष्टि से ये साल यदि हम देखे तो ये साल आपके लिये मिलेजुले परिणामो वाला रहेगा| साल के प्रारंभ में जितनी आप चाह रहे है उतनी उन्नति नही होगी| आपको मेहनत अधिक करनी पड़ेगी और उस मेहनत का फल परिणाम आपको कम मिलेगा| इससे थोड़ी सी निराशा आपके मन में साल के शुरुआत में रह सकती है| परन्तु साल के मध्य आते आते यानि मार्च, अप्रैल आते आते स्थितिया सुधरेंगी लाभ की स्थिति अच्छी बनेगी| और कारोबार में भी आपको अच्छा लाभ देखने को मिलेगा| नये नये सौदे आप करेंगे| कारोबार को नई ऊचाईयो पर ले जायेंगे| यदि आप नौकरी पेशा व्यक्ति है तो इस समय आपके स्थानान्तरण के योग बने हुए है| सरकारी नौकरी में है तो स्थानान्तरण होगा| और प्राइवेट कंपनी से आपको कोई कार्य के जरिये विदेश में भी जाने का मौका मिल सकता है| कुछ समय के लिये महीने दो महीने, तीन महीने, छ महीने के लिये आप विदेश में उस कंपनी के प्रतिनिधि बन कर आप वहा पर जाकर व्यवसाय अपना कार्य कर सकते है अपनी जॉब कर सकते है| तो ये तो थी कारोबारियों और व्यवसायों की बात करियर के हिसाब से ये साल कैसा रहने वाला है तो करियर के हिसाब से हम देखे तो ये साल पूरा का पूरा आपके लिये अच्छा जायेंगा| आपको अपने करियर में नई ऊचाईयां छुने को मिलेगी| यदि आप आर्किटेक्चर से जुड़े कोई काम करते है| कोई नक्शों के बनाने से जुड़े, भूगर्भ शास्त्र से जुड़े यदि कोई कार्य करते है तो आपको अच्छे लाभ की स्थितिया बनती है| आप उसमे कोशिश कर सकते है| वही सरकारी नौकरी में भी आप कोशिश कर सकते है| व्याख्याता के लिये आप कोशिश कर सकते है चिकित्सा क्षेत्र में आप जा सकते है यदि आप दवाइयों से जिदे कोई काम करते है| चाहे वो ऑनलाइन हो चाहे आप कोई दुकान खोले दवाइयों से जुड़े यदि कोई आप फ़ार्मेसी का काम करते है तो आपके लिये वो भी लाभदायक सिद्ध होता है| तो ये व्यवसाय आपको अपने करियर में नई उचाईंयां पर ले जायेंगे आपके भविष्य को उज्ज्वल बनायेंगे यानि आने वाले साल में आप इन कार्यो में कोशिश कर सकते है| साल का अतं बहुत अच्छा जाने वाला है| लाभ की स्थितियों में वृद्धि होगी| आपकी स्थिति मान सम्मान और प्रतिष्ठा वृद्धि होगी| कारोबार में एक अच्छे मुकाम को हासिल करेंगे| और जॉब में भी आप नियमित होते हुए नज़र आयेंगे आपका पद आपकी गरिमा को बढ़ाएगा और आप अच्छी सफलता इस समय हासिल करेंगे| 

4) जीवनसाथी और प्रेमप्रसंग : जीवनसाथी और प्रेमप्रसंगो के मामलो में हम देखे तो ये साल आपके लिये अच्छा जाने वाला है| खासकर अप्रैल, मई, जून के ये जो तीन महीने बीच के है उस समय वो आपके रिश्तो में बहुत अधिक मधुरता लायेगा| यदि आप उस समय अविवाहित है| और विवाह की इच्छा रख रहे है विवाह के योग्य है तो इस समय सही जीवनसाथी मिलने के पुरे पुरे योग बने हुए है| इस समय आपको कोशिश अवश्य करनी चाहिए| आपको इस समय के दौरान सचेत हो जाना है यदि आपके पास अच्छा अवसर आता है आपके पास में अच्छे संबंध आते है तो आपको उस समय एक अच्छा जीवनसाथी मिलने की संभावना है| वही साल के अंत में दाम्पत्य जीवन में मधुरता बढ़ेगी कही आप कोई बड़ी यात्रा पर भी जा सकते है कोई प्रेम भरी गुमने की जगह पर भी जा सकते है या फिर कोई छोटी यात्रा भी आप ने जीवनसाथी के साथ अपनी सुविधा अनुसार सोच सकते है| वही प्रेम संबंधो में देखू तो ये साल आपके लिये पूरा का पूरा ठीक जायेगा यानि साल की शुरुआत हम छोड़ दे तो उस समय कुछ मनमुटाव, गलतफेमिया हो सकती है| परन्तु साल के मध्य में यदि आप किसी को प्रेम का इजहार करना चाहते है तो वो आपके इजहार को नही ठुकरायेंगा और आपको मनपसंद जीवनसाथी मिल सकता है| आप अपने प्रेम के रिश्ते में साल के अंत में आगे बढ़ते हुए दिखाई देंगे| और उसके प्रति गम्भीर भी आप दिखाई देंगे| हो सकता है आप लोग साल के अंत में आप विवाह की परिणिती में बंध जाये| तो आप इस साल को हलके में नही ले और बहुत ही महत्वपूर्ण और निर्णायक आपके जीवन के हिसाब से ये साल सिद्ध हो सकता है तो इस अवसर को प्राप्त करे| अच्छे जीवन साथी का चुनाव करे यदि आप दाम्पत्य जीवन में बंधे हुए है| तो आपके रिश्तो में मधुरता बढ़ेगी आपके बीच के सामंजस्य में इजाफा होगा| 

4) शिक्षा और स्वास्थ्य : शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से यदि में देखू तो सबसे पहले तो शिक्षा की दृष्टि से विज्ञानं वर्ग के छात्रों को बहुत अच्छी उन्नति आपको इस साल देखने को मिलेगी| विज्ञानं वर्ग के जो छात्र है वे अपने कार्य में बहुत अच्छी उपलब्धि प्राप्त करेंगे| और अपने कार्य में आगे बढ़ते हुए दिखाई देंगे| खासकर विज्ञानं वर्ग के छात्रों के लिये ये साल बहुत अच्छा जाने वाला है| आप जो भी काम करेंगे उसमे आपको अच्छे लाभ की स्थितिया बनेगी आपको कोई मैडल भी कार्य में मिल सकता है| विज्ञानं परियोजना का प्रतिनिधित्व करते हुए आप अपने स्कूल को या अपने महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व करेंगे| और आप भारत में या भारत के बाहर दुसरे देशो में अपना अच्छा नाम करते हुए दिखाई देंगे| वही आप उच्च शिक्षा से जुड़ना चाहते है तो आपको इंजीनियरिंग की, चिकित्सा के क्षेत्र, विज्ञानं से जुड़े कोई भी काम शोध कार्य, वैज्ञानिक, साइंटिस्ट से सम्बंधित कोई भी कार्यो में यदि आप उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है| तो उसमे भी आपको अच्छी उपलब्धिया देखने को मिलेगा ये साल पूरा का पूरा आपके लिये अच्छा जाने वाला है| आपको कई अटकने की जरूरत नही है| साल के मध्य में अच्छी मेहनत करे| थोडा सा साल के जुलाई से लेकर सितम्बर तक का समय जो होगा वो थोडा सा आपके लिये परेशानी भरा रहेगा| उस समय आप थोडी सी मेहनत को बढ़ाये और अपने कर्म क्षेत्र में आगे बढे|

Tuesday, 10 March 2020

जो एक बार कर जाये वो खुश हो जाये || Holi Ke Chamatkari Upay ॥ Holi 2020 || लाल किताब के टोटके by Acharya Mukesh


होली के त्योहार टोने-टोटके और तांत्रिक विद्या के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन कोई भी उपाय करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। अगर आपको किसी भी तरह की कोई समस्या हो या फिर आपको कोई ऐसी बीमारी से जिससे आपको निजात नहीं मिल पा रहा हो। जानिए किन उपायों को करने से आपको सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी। साथ ही बिगड़ा हर काम पूर्ण हो जाएगा।


होली के दिन लोग कई तरह के टोटकों का प्रयोग करते हैं लेकिन गलती हो जाने पर वह टोटका मनचाहा लाभ नहीं दे पाता। पेश है आपके लिए कुछ बेहद साधारण लेकिन अचूक उपाय जो आप सरलतापूर्वक कर सकते हैं और इन्हें करने के लिए आपको कोई विशेष प्रयास भी नहीं करने होंगे।


मनचाहे वरदान के लिए होली के दिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं, मनोकामना शीघ्र पूरी होगी।

होली की सुबह बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। किसी मंदिर में शंकर जी को पंचमेवा की खीर चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी।

मनचाही नौकरी पाना हो तो होली की रात बारह बजे से पहले एक दाग रहित बड़ा नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसकी चार फांक कर चारों कोनों में फेंक दें। फिर वापिस घर जाएं किंतु ध्यान रहे, वापिस लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें। यह उपाय श्रद्धापूर्वक करें, शीघ्र ही रोजगार प्राप्त होगा।

व्यापार में लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।

होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दुकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।




1.अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो इस दिन ये उपाय कर आप पवनपुत्र हनुमान की कृपा पा सकते है। जिससे आप शनि दोष के प्रभाव को कम कर सकते है। इसके लिए होली के दिन एक काला कपड़ा लें और इसमें थोड़ी काली उड़द की दाल व कोयला डालकर एक पोटली बना लें। इसमें एक रुपए का सिक्का भी रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उतार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जप करें। इससे आपको फायदा मिलेगा।

2. अगर आप चाहते है कि आपके घर में कभी किसी भी चीज की कमी न हो तो इसके लिए होली जिस स्थान पर जलाई जाती है। उस जगह पर एक दिन पहले की रात में एक मटकी में गाय का घी, तिल का तेल, गेहूं और ज्वार तथा एक तांबे का पैसा रखकर मटकी का मुंह बंद करके गाड़ आएं। इसके बाद जब होली जल जाएं उसके दूसरे दिन सुबह उसे उखाड़ लाएं। फिर यह सारी वस्तुएं पोटली में बांधकर जिस जगह रख दी जाएगी वहां समृद्धि रूक जाएगी।

3. अगर आपके घर में हमेशा कोई न कोई परेशानी बनी रहती है। या फिर घर के किसी सदस्य को भयानक सपने आते हो या फिर आप डर जाते है तो होली के दिन गायत्री मंत्र का जाप करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले होली वाली रात को अपने घर के मंदिर में अगरबत्ती और दीपक जला लें। फिर शुद्ध आसान पर बैठें, अपने सामने गंगाजल रख लें, फिर गायत्री मंत्र से उस जल को अभिमंत्रित करके पूरे घर में छिड़क दें। घर में शांति हो जाएगी। अगर ऐसा लग रहा हो कि घर में प्रेत बाधा है तो इस मंत्र की 11 माला से जल अभिमंत्रित करके पूरे घर में जल छिड़क दें।

मंत्र
प्रनवउ पवन कुमार खाल बन पावक ज्ञान धन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप धर।।

4. अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है। जिसको की भी दवा काम नहीं कर रही है तो होली की रात में सफेद कपड़े में 11 गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 धनकारक कौड़ियां बांधकर कपड़े पर हरसिंगार तथा चंदन का इत्र लगाकर रोगी पर इन सब चीजों को सात बार उतारकर किसी शिव मन्दिर में अर्पित करें। व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा। यदि बीमारी गंभीर हो, तो यह शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरंभ कर लगातार 7 सोमवार तक किया जा सकता है।

5. अगर आप आर्थिक समस्याओं से परेशान है। हर काम में आपको असफलता हाथ लग रही है तो होली वाले दिन इस उपाय को करके आप अपना भाग्य बदल सकते है। इसके लिए जिस स्थान पर होलिका जलने वाली हो, उस स्थान पर गड्ढा खोदकर अपने मध्यमा अंगुली के लिए बनने वाले छल्ले की मात्रा के अनुसार चांदी, पीतल व लोहा दबा दें। फिर मिट्टी से ढककर लाल गुलाल से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। जब आप होलिका पूजन को जाएं, तो पान के एक पत्ते पर कपूर, थोड़ी-सी हवन सामग्री, शुद्ध घी में डुबोया लौंग का जोड़ा तथा बताशे रखें।

एक दूसरे पान के पत्ते से उस पत्ते को ढक दें और सात बार परिक्रमा करते हुए 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें। परिक्रमा समाप्त होने पर सारी सामग्री होलिका में अर्पित कर दें तथा पूजन के बाद प्रणाम करके घर वापस आ जाएं।

अगले दिन पान के पत्ते वाली सारी नई सामग्री ले जाकर पुनः यही क्रिया करें। जो धातुएं आपने दबाई हैं, उनको निकाल लाएं। फिर किसी सुनार से तीनों धातुओं को मिलाकर अपनी मध्यमा अंगुली के माप का छल्ला बनवा लें। 15 दिन बाद आने वाले शुक्ल पक्ष के गुरुवार को छल्ला धारण कर लें। जब तक आपके पास यह छल्ला रहेगा, तब तक आप कभी भी आर्थिक संकट में नहीं आएंगे !

Acharya Mukesh
Astro Nakshatra 27

Friday, 6 March 2020

#Dhanu Rashi #Makar Rashi #Kumbh Rashi #Sadhesati#Saturn Transit 2020#Sagittarius#Capricorn#Aquarius

"साढ़ेसाती" एक कठिन समय की अनुभूति कराने वाला शब्द , परन्तु ये कितना सही है या गलत आज मैं आपको इसकी सच्चाई बता रहा हूँ. "धनु-राशि" के लिए ये उतरती साढ़ेसाती के अंतिम 30 महीने होंगे वहीँ "मकर-राशि" के जातकों के लिए यह बहुत सावधानी के निर्णय लेकर राजयोग भोगने का समय न की साढ़ेसाती से घबराने का. वहीँ "कुम्भ-राशि" के लिए ये साढ़ेसाती का आगाज होगा.

अगर आप घबराते हैं साढ़ेसाती से तो आपको घबराने की नहीं बल्कि आपको यह समझने की आवस्यकता है की जन्म कुंडली में लग्न , चन्द्रमा एवं शनि के स्थिति अनुसार आपक निर्णय लेते हैं और उसी के परिणाम आपको प्राप्त होते हैं. अगर आपको भी कठिनाइयों की अनुभूति हो रही हो तो आज ही आप पत्रिका का विश्लेषण करवाएं अच्छे समय का लाभ लें की साढ़ेसाती शब्द की नकरात्मकता लेकर अपने काम बिगाड़ें. पत्रिका जाँच हेतु अपना पूरा नाम , जन्म तारीख , जन्म समय एवं जन्म स्थान आप हमें व्हाट्सप्प करें 8587923969 पर और आचार्य मुकेश स्वयं आपकी पत्रिका का विश्लेषण कर सुझाव देंगें. यदि हमारे निशुल्क परामर्श और निश्वार्थ मदद से आपकी ज़िन्दगी में कुछ सकरात्मक परिवर्तन आते हैं और यदि आप कुछ देना चाहें तो हमें न दें बल्कि गरीबों की मदद हेतु आचार्य मुकेश द्वारा स्थापित संस्था ASTRO NAKSHATRA 27 फाउंडेशन में स्वेक्च्छा से दान करें ,और अपने कर्मों को भी संतुलित रखें। ACHARYA MUKESH CONTACT- +91-8587923969 (What'saap Available) For any Gemstones Kindly Contact and ask for quotation, Deals in only certified Gems. FOR DONATION ASTRO NAKSHATRA 27 FOUNDATION:- " DONATE FOR YOUR KARMA " BANK DETAILS:- ASTRO NAKSHATRA 27 AXIS BANK ACCOUNT AC/- 918020004992424 IFSC CODE:- UTIB 0001363

Thursday, 20 February 2020

Maha Shivaratri Vrat In 2020 | महा शिवरात्रि कथा| Mahashivratri Puja Vidhi 2020 |



शिवरात्रि व्रत की पूजा-विधि

1. मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए। अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए।

2. शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।

3. शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालाँकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से शिवरात्रि पर्व


चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में इस तिथि को अत्यंत शुभ बताया गया है। गणित ज्योतिष के आंकलन के हिसाब से महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु-परिवर्तन भी चल रहा होता है। ज्योतिष के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमज़ोर स्थिति में आ जाते हैं। चन्द्रमा को शिव जी ने मस्तक पर धारण किया हुआ है -- अतः शिवजी के पूजन से व्यक्ति का चंद्र सबल होता है, जो मन का कारक है। दूसरे शब्दों में कहें तो शिव की आराधना इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है।


चतुर्दशी तिथि के स्वामी हैं शिव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रतिपदा आदि सोलह तिथियों के स्वामी अग्नि आदि देवता होते हैं, अतः जिस तिथि का जो देवता स्वामी होता है, उस देवता का उस तिथि में व्रत पूजन करने से उस देवता की विशेष कृपा उपासक को प्राप्त होती है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं अर्थात् शिव की तिथि चतुर्दशी है, इसीलिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में शिवरात्रि व्रत होता है, जो मासशिवरात्रि व्रत कहलाता है।

          


Shivaratri is great festival of convergence of Shiva and Shakti. Chaturdashi Tithi during Krishna Paksha in month of Magha is known as Maha Shivaratri according to South Indian calendar. However according to North Indian calendar Masik Shivaratri in month of Phalguna is known as Maha Shivaratri. In both calendars it is naming convention of lunar month which differs. However both, North Indians and South Indians, celebrate Maha Shivaratri on same day. 

Vrat Vidhi – One day before Shivaratri Vratam, most likely on Trayodashi, devotees should eat only one time. On Shivaratri day, after finishing morning rituals devotees should take Sankalp (संकल्प) to observe full day fast on Shivaratri and to take food next day. During Sankalp devotees pledge for self-determination throughout the fasting period and seek blessing of Lord Shiva to finish the fast without any interference. Hindu fasts are strict and people pledge for self-determination and seek God blessing before starting them to finish them successfully. 

शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले, त्रयोदशी पर भक्तों को केवल एक समय भोजन करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन, सुबह की रस्में पूरी करने के बाद भक्तों को शिवरात्रि पर पूरे दिन उपवास रखने और अगले दिन भोजन ग्रहण करने के लिए संकल्प (संकल्प) लेना चाहिए। संकल्प के दौरान श्रद्धालु उपवास अवधि के दौरान आत्मनिर्णय के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं और बिना किसी व्यवधान के उपवास समाप्त करने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद मांगते हैं। हिंदू उपवास सख्त हैं और लोग आत्मनिर्णय के लिए प्रतिज्ञा करते हैं और उन्हें सफलतापूर्वक समाप्त करने के लिए शुरू करने से पहले भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।

On Shivaratri day devotees should take second bath in the evening before doing Shiva Puja or visiting temple. Shiva Puja should be done during night and devotees should break the fast next day after taking bath. Devotees should break the fast between sunrise and before the end of Chaturdashi Tithi to get maximum benefit of the Vrat. According to one contradictory opinion devotees should break the fast only when Chaturdashi Tithi gets over. But it is believed that both Shiva Puja and Parana (पारणा) i.e. breaking the fast should be done within Chaturdashi Tithi. 

शिवरात्रि के दिन भक्तों को शिव पूजा करने या मंदिर जाने से पहले शाम को दूसरा स्नान करना चाहिए। शिव पूजा रात के समय की जानी चाहिए और भक्तों को स्नान करने के बाद अगले दिन उपवास तोड़ना चाहिए। भक्तों को व्रत का अधिकतम लाभ पाने के लिए सूर्योदय के बीच और चतुर्दशी तिथि के अंत से पहले उपवास तोड़ना चाहिए। एक विरोधाभासी मत के अनुसार श्रद्धालुओं को व्रत तभी तोड़ना चाहिए जब चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाए। लेकिन ऐसा माना जाता है कि शिव पूजा और पारण यानी व्रत को तोड़ना चतुर्दशी तिथि के भीतर किया जाना चाहिए।

Shivaratri puja can be performed one time or four times during the night. The whole night duration can be divided into four to get four Prahar (प्रहर) to perform Shiva Puja four times. 

महा शिवरात्रि शुक्रवार, फरवरी 21, 2020 को
निशिता काल पूजा समय - 00:09 से 01:00, फरवरी 22

२२वाँ फरवरी को, शिवरात्रि पारण समय - 06:54 से 15:25

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 18:15 से 21:25
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 21:25 से 00:34, फरवरी 22
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:343 से 03:44, फरवरी 22
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:44 से 06:54, फरवरी 22

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी २१, २०२० को १७:२० बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - फरवरी २२, २०२० को १९:०२ बजे

                               

Devotees observe the fast of Maha Shivratri on the day before the Maha Shivaratri night. It can be either Trayodashi or Chaturdashi Tithi, as per Hindu Calendar. But, the thing, which is needed to be kept in mind is that the night should be of Chaturdashi Tithi.
As per Nirnaya Sindhu, Shivratri Vrat begins on the day prior to Shivaratri. On that day, devotees eat once in the entire day and then worship at the night of Chaturdashi. On the next day, devotees perform all the regular morning stuff i.e. bathing and worshiping Lord Shiva, and keep the fast for the entire day.

भक्त महाशिवरात्रि की रात से पहले महा शिवरात्रि का व्रत रखते हैं। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार, त्रयोदशी या चतुर्दशी तिथि हो सकती है। लेकिन, जिस चीज को ध्यान में रखा जाना चाहिए, वह यह है कि रात चतुर्दशी तिथि की होनी चाहिए।

निर्णय सिंधु के अनुसार, शिवरात्रि के एक दिन पहले शिवरात्रि व्रत शुरू होता है। उस दिन, भक्त पूरे दिन में एक बार भोजन करते हैं और फिर चतुर्दशी की रात को पूजा करते हैं। अगले दिन, भक्त सभी नियमित रूप से सुबह का सामान करते हैं यानी स्नान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, और पूरे दिन का उपवास रखते हैं।


महाशिवरात्रि को हुआ था ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव

'फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि ।
शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ।।





ईशान संहिता  के इस वाक्य के अनुसार, ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात है। इस व्रत को सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष लगता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप रहता है। अतः वही समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग- मिलन होता है। अतः इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभीष्टतम पदार्थ की प्राप्ति होती है। यही महाशिवरात्रि का रहस्य है।

महाशिवरात्रि 2020: शिवलिंग पर भूलकर भी ना

 चढ़ाएं ये 5 चीजें, भोलेनाथ हो सकते हैं नाराज

                              

हल्दी: 

हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती है।

                                            

तुलसी पत्ता: 

जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से भी शिव जी की पूजा नहीं होती है।

                                       

तिल:

यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ मान जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।

                         

टूटे हुए चावल: 


भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता।



                



कुमकुम: 

यह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।



Significance Of Maha Shivaratri Vrat In 2020

                                               
                                    



In accordance with the Hindu Mythology, observing the fast on the day of Maha Shivratri is considered to be the most powerful among all other fasts. Tamas Guna, which signifies the quality of inertia and Rajas Guna, which signifies the quality of passionate activities; are the two natural forces that highly bother a human being. Mahashivratri Vrat (fast) enables a person to keep a control over both of them. It is believed that if a person worships Lord Shiva with complete devotion on the occasion of Maha Shivaratri, his actions get controlled and the negative thoughts like jealousy, anger and lust that comes up due to the 'Rajas Guna' gets controlled. By observing the fast of Maha Shivratri for the entire night, the person gets free from all the negativity that took birth by the 'Tamas Guna'.

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महा शिवरात्रि के दिन व्रत का पालन करना सभी व्रतों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। तामस गुना, जो जड़ता और रजस गुना की गुणवत्ता को दर्शाता है, जो भावुक गतिविधियों की गुणवत्ता को दर्शाता है; दो ऐसी प्राकृतिक शक्तियां हैं जो इंसान को बहुत परेशान करती हैं। महाशिवरात्रि व्रत (उपवास) एक व्यक्ति को उन दोनों पर नियंत्रण रखने में सक्षम बनाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति महाशिवरात्रि के अवसर पर पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करता है, तो उसके कर्म नियंत्रित हो जाते हैं और ईर्ष्या, क्रोध और वासना जैसे नकारात्मक विचार 'राजस गुण' के कारण सामने आते हैं। पूरी रात महा शिवरात्रि के व्रत का पालन करने से, व्यक्ति उस सभी नकारात्मकता से मुक्त हो जाता है, जिसने 'तमस गुण' द्वारा जन्म लिया था।

The fast on Shivratri is considered to be the most auspicious one. One of the facts about Maha Shivaratri is that if a person observes fast on this day, he gets blessed with Lord Shiva's divine grace. While observing this Maha Shivaratri fast, most of the people go on a fruit and milk diet. But, some of the people don't even consume water for the entire duration of this Shivratri Vrat (fast). You don't have to get confused with what to eat during Maha Shivaratri Vrat in 2020. Just take the oath of observing this fast on the morning of Chaturdashi Tithi with full faith and devotion, and observe Maha Shivaratri Vrat in 2020 your way. Every year, this auspicious festival of Maha Shivratri is observed by millions of people with complete devotion and sincerity filled in their heart.

According to the traditions, people who observe fast on this day visit the Shiva Temple in the morning time and offer prayers to Lord Shiva and Goddess Parvati. The most essential part of the Maha Shivaratri is bathing the Shiva Lingam. On this day, devotees begin their fast by bathing the Shivling with Milk, Honey, Sugar, purified Butter, Kale Til (black sesame seeds), Ganga Jal (holy water of river Ganga) and some fresh flowers. After getting done with all this, devotees apply Chandan Tilak (sandalwood paste) with some rice on the Lingam. In addition to this, devotees also put some fresh flowers and fruits on the Shiv Lingam. They close their worship process after the recitation of Katha (religious legend) and doing Parikrama (circumambulating the idol of Lord Shiva). You must be wondering what the legend is. Obviously, you need to know that for completing your Maha Shivratri Vrat in 2020. So, here it comes...

शिवरात्रि पर व्रत सबसे शुभ माना जाता है। महा शिवरात्रि के बारे में एक तथ्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति इस दिन उपवास रखता है, तो उसे भगवान शिव की दिव्य कृपा प्राप्त होती है। इस महा शिवरात्रि व्रत का पालन करते हुए, अधिकांश लोग एक फल और दूध आहार पर जाते हैं। लेकिन, कुछ लोग इस शिवरात्रि व्रत (व्रत) की पूरी अवधि के लिए पानी का सेवन नहीं करते हैं। आपको 2020 में महाशिवरात्रि व्रत के दौरान क्या खाना है, इस बारे में भ्रमित होने की ज़रूरत नहीं है। बस चतुर्दशी तिथि की सुबह इस व्रत को पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाने की शपथ लें और 2020 में महाशिवरात्रि व्रत का पालन करें। हर साल, महा शिवरात्रि के इस शुभ त्योहार को लाखों लोग पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से अपने दिल में रखते हैं।

परंपराओं के अनुसार, जो लोग इस दिन उपवास करते हैं, वे सुबह के समय शिव मंदिर में जाते हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रार्थना करते हैं। महा शिवरात्रि का सबसे आवश्यक हिस्सा शिव लिंगम स्नान है। इस दिन, भक्त दूध, शहद, चीनी, शुद्ध मक्खन, काले तिल (काले तिल), गंगाजल (गंगा नदी का पवित्र जल) और कुछ ताजे फूलों से शिवलिंग को स्नान करवाते हैं। इन सभी के साथ काम करने के बाद, भक्त लिंगम पर चंदन तिलक (चंदन का लेप) लगाते हैं। इसके अलावा, भक्त शिव लिंगम पर कुछ ताजे फूल और फल भी लगाते हैं। वे कथा (धार्मिक कथा) के पाठ और परिक्रमा (भगवान शिव की मूर्ति की परिक्रमा) करने के बाद अपनी पूजा प्रक्रिया को बंद कर देते हैं। आप सोच रहे होंगे कि किंवदंती क्या है। जाहिर है, आपको यह जानना होगा कि 2020 में अपने महा शिवरात्रि व्रत को पूरा करने के लिए।

                                    Maha Shivaratri Legend

Maha Shivratri is associated with various legends by the devotees. However, the legend of the churning of milk ocean is considered to be the main one. So, here we are telling you the most popular legend of this holy day to help you complete your fast of Mahashivratri in 2020.

The 'churning of the milk ocean' or 'Samudra Manthan' was a detailed procedure to bring out Amrit (the elixir of immortality) out of the ocean of milk. In Samudra Manthan (churning of the milk ocean), Mount Meru, which is also known as mount Mandarachala, was used as the rod for churning; and the work of churning rope was done by the King of serpents, named 'Vasuki'. At the time of Manthan (churning), demons wanted to hold the front side of the snake and Lord Vishnu Wanted the demigods to hold the snake's tail side. Therefore, the demons got poisoned by the fumes that came out of the snake's mouth. But still, they pulled the snake's body in the back and forth motion. This motion came up with the rotation of mount Meru and ultimately the churning of ocean took place. After that, Lord Vishnu came up in the avatar of a turtle and saved the mountain from getting drowned into the ocean by taking up all its weight on his back.

This churning process made a lot of things to come out of the ocean, and one among those things was lethal poison. With this, the demons and gods got terrified, as the poison was extremely powerful that it could literally contaminate the entire ocean. In order to save the world, Lord Shiva consumed this poison and kept it in his throat, due to which his neck turned blue in color. This is the reason for which he was named as Neelkantha (the one who has blue neck). While the process of Samudra Manthan, Amrit (elixir of immortality) was one of the things that came out of the milk ocean, and it was the main thing that everyone desired for.

This is the Katha of Samudra Manthan and contribution of Lord Shiva in saving the world from that lethal poison. So, this was all we had on Mahashivratri in 2020. Utilize the best of this information on Shivaratri to make your Maha Shivratri in 2020 most beneficial.

                             Happy Maha Shivaratri 2020...

                          

                                      महा शिवरात्रि कथा

महा शिवरात्रि भक्तों द्वारा विभिन्न किंवदंतियों के साथ जुड़ी हुई है। हालांकि, दूध सागर के मंथन की कथा को मुख्य माना जाता है। तो, यहां हम आपको 2020 में महाशिवरात्रि के उपवास को पूरा करने में मदद करने के लिए इस पवित्र दिन की सबसे लोकप्रिय कथा बता रहे हैं।

दूध सागर के बाहर अमृत (अमरता का अमृत) लाने के लिए 'दूध सागर' या 'समुद्र मंथन' एक विस्तृत प्रक्रिया थी। समुद्र मंथन (दूध सागर का मंथन) में, मेरु पर्वत, जिसे मंदराचल पर्वत भी कहा जाता है, को मंथन के लिए छड़ी के रूप में इस्तेमाल किया गया था; और रस्सी के काम का काम नागों के राजा ने किया, जिसका नाम 'वासुकी' रखा गया। मंथन (मंथन) के समय, राक्षस साँप के सामने की तरफ पकड़ना चाहते थे और भगवान विष्णु ने साँप की पूंछ की तरफ पकड़ना चाहते थे। इसलिए, सांप के मुंह से निकलने वाले धुएं से राक्षसों को जहर मिल गया। लेकिन फिर भी, उन्होंने सांप के शरीर को आगे और पीछे की गति में खींच लिया। यह प्रस्ताव मेरु पर्वत के घूमने के साथ आया और अंततः समुद्र का मंथन हुआ। उसके बाद, भगवान विष्णु एक कछुए के अवतार में आए और पर्वत को अपने पूरे वजन को अपनी पीठ पर उठाकर समुद्र में डूबने से बचाया।

इस मंथन प्रक्रिया ने बहुत सी चीजों को समुद्र से बाहर आने के लिए बनाया, और उन चीजों में से एक घातक जहर था। इससे राक्षस और देवता भयभीत हो गए, क्योंकि विष अत्यंत शक्तिशाली था कि यह सचमुच पूरे महासागर को दूषित कर सकता था। दुनिया को बचाने के लिए, भगवान शिव ने इस जहर का सेवन किया और इसे अपने गले में रख लिया, जिसके कारण उनकी गर्दन का रंग नीला हो गया। यही कारण है कि जिसके लिए उन्हें नीलकंठ (नीली गर्दन वाले) के रूप में नामित किया गया था। जबकि समुद्र मंथन की प्रक्रिया, अमृत (अमरता का अमृत) दूध सागर से निकलने वाली चीजों में से एक थी, और यह मुख्य बात थी जिसे हर कोई चाहता था।

यह समुद्र मंथन की कथा है और उस घातक विष से दुनिया को बचाने में भगवान शिव का योगदान है। 2019 में अपने महा शिवरात्रि को सबसे अधिक लाभकारी बनाने के लिए शिवरात्रि पर इस जानकारी का सबसे अच्छा उपयोग करें।

                           

                             महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

शिवरात्रि को लेकर बहुत सारी कथाएँ प्रचलित हैं। विवरण मिलता है कि भगवती पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को अत्यन्त महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

वहीं गरुड़ पुराण में इस दिन के महत्व को लेकर एक अन्य कथा कही गई है, जिसके अनुसार इस दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया, जहाँ बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया; जिसे उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया।

जब अज्ञानतावश महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा का इतना अद्भुत फल है, तो समझ-बूझ कर देवाधिदेव महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा।

अगर महाशिवरात्रि से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है या आप इस व्रत से जुड़ी कुछ और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी कीजिए।

www.astronakshatra27.com की ओर से आपको और आपके परिजनों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

हैप्पी महा शिवरात्रि 2020...


ACHARYA MUKESH
ASTRO NAKSHATRA 27