हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि 2:- वार 3:- नक्षत्र 4:- योग और 5:- करण .
शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।
योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
19 फरवरी 2019 मंगलवारका पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:00
🌞↘️सूर्यास्त - 18:10
🌞↘️सूर्यास्त - 18:10
🌕↗️चन्द्रोदय -17:58
🌘↘️चन्द्रास्त - चन्द्रास्त नहीं
🌘↘️चन्द्रास्त - चन्द्रास्त नहीं
पञ्चाङ्ग
🔘वार- मंगलवार 💠तिथि - शुक्ल पक्ष (माघ)
तदोपरांत प्रतिपदा
तिथि का स्वामी - पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रमा जी है तथा प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है ।
आज अति पुण्यदायक माघ पूर्णिमा है । पूर्णिमा के दिन भगवान शिव को सफ़ेद चंदन एवं सफ़ेद फूल चढ़ाते हुए साबूदाने की खीर का भोग लगाएं, परिवार में सुख सौभाग्य की वर्षा होगी, रोग और संकट दूर रहते है। पूर्णिमा के दिन अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दूध में शहद एवं चन्दन मिलाकर छाया देखकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
नक्षत्र
अश्लेशा - 11:03 तक
मघा
अश्लेशा नक्षत्र के देवता सूर्य देव जी है एवं पितर नक्षत्र के देवता अग्नि देव जी है ।
योग
शोभन - 11:50 तक
अतिगण्ड
करण
विष्टि - 11:18 तक
बव - 21:23 तक
बालव
विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)
शक संवत - 1940 (विलंबी)
अयन - उत्तरायण
वैदिक ऋतु:-शिशिर
द्रिक ऋतु:-शिशिरवसन्त
मास - माघ माह
सूर्य राशि
कुम्भ
चन्द्र राशि
कर्क - 11:03 तक
सिंह
कर्क
सूर्य नक्षत्र
धनिष्ठा
- 23:33 तक
शतभिषा
🌅दिनमान
11 घण्टे 09 मिनट्स 34 सेकण्ड्स
🌌रात्रिमान
12 घण्टे 49 मिनट्स 30 सेकण्ड्स
🙏शुभ समय🙏
अभिजित मुहूर्त:12:13 से 12:57
सर्वार्थ सिद्धि योग:-07:00 से 11:03
विजय मुहूर्त:-14:27 से 15:11
अमृत काल:-09:39 से 11:03/ 29:55+ से 31:18+
अमृत काल:-09:39 से 11:03/ 29:55+ से 31:18+
⛔अशुभ समय⛔
गुलिक काल:- 12:35 से 13:59
🚷यमगण्ड:- 09:48 से 11:11
🌛भद्रा:-07:00 से 11:18
👹राहुकाल:- 15:23 से 16:46
ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !
राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।
इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।
रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।
⚓निवास और शूल
होमाहुति- चन्द्र
होमाहुति- चन्द्र
अग्निवास :-पृथ्वी
भद्रावासमृत्यु - 11:18 तक
दिशाशूल (Dishashool) -उत्तर
दिशाशूल (Dishashool) -उत्तर
मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है । सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
पर्व त्यौहार :- पूर्णिमा
माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति और महत्व के बारे में एक मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में लिखे कथनों के अनुसार यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है। माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी जातक गंगा स्नान करते है तथा उसके बाद जप और दान करते है उन्हें सांसारिक बंधनो से मुक्ति मिलती है।
मुहूर्त - पूर्णिमा तिथि को विवाह, शिल्प, मंगल कार्य, संग्राम, वास्तु कर्म, यज्ञ क्रिया, प्रतिष्ठा आदि कार्य कर सकते हैं।
ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~कुम्भ♒06⁰.33'
🌙चंद्र-राशि~ सिंह ♌06⁰.20'
🔺मंगल ~ मेष ♈ 9⁰.22'
🔘बुध~ कुम्भ ♒22⁰.2'
🔶बृहस्पति~वृश्चिक♏26⁰.32'
◽शुक्र ~ धनु♐24⁰.2'
◾शनि~धनु♐ 22⁰.45'
👹राहु ~ कर्क♋00⁰.48'
👺केतु ~ मकर♑00⁰.48'
नोट :- पंचांग को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
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