13 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इसी तिथि पर सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी को कलंकी चतुर्थी भी कहते है। रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश की इस दिन घर पर स्थापना की जाती है। पुराणों और शास्त्रों में कहा गया है कि गणेश चतुर्थी पर भूल कर भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति इस दिन चांद के दर्शन कर लेता है उस पर झूठे आरोप लग सकते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी चांद के दर्शन कर लिया था जिसके कारण उनको चोरी के झूठे आरोप का सामना करना पड़ा था। इस आरोप से मुक्ति के लिए भगवान कृष्ण ने भगवान गणेश की पूजा कर आरोप से मुक्ति मिली थी।
ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद बेहद खूबसूरत नजर आता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश भगवान ने चांद को यह श्राप दिया कि जो भी इस दिन चांद का दीदार करेगा उसे कलंक लगेगा।
गणेश पुराण के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन आसमान में नज़र आ रहे खूबसूरत चांद को देख लिया और फिर कुछ ही दिनों बाद उन पर हत्या का झूठा आरोप लगा। श्रीकृष्ण को बाद में नारद मुनि ने ये बताया कि ये कलंक उन पर इसलिए लगा है क्योंकि उन्होंने चतुर्थी के दिन चाँद देख लिया।
पौराणिक कथा के अनुसार भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी पर भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था जिसके कारण से इस दिन जो व्यक्ति चांद के दर्शन कर लेता है उसके ऊपर चोरी का झूठा आरोप लग जाता है।
ये है पूरी कथा
एक बार चंद्रमा ने गणेश जी का मुख देखकर उनका मजाक उड़ाया था। जिससे क्रोधित होकर गणपति ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज से जो भी तुम्हें देखेगा उसे झूठे अपमान का भागीदार बनना पडे़गा। इसके बाद जब चंद्रमा को अपनी गलती का अहसास हुआ तो तुरंत उन्होंने गणेश जी से माफी मांगी। तब गणपति ने उन्हें श्राप मुक्त करते हुए कहते हैं कि ऐसा जरूर होगा लेकिन साल में एक बार ही इसका प्रभाव होगा। तभी से भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से कलंक लगने की मान्यता चली आ रही है।
यदि भूल से हो जाए दर्शन तो करें ये उपाय:-
जाने-अनजाने यदि कोई व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख ले तो उसे इससे लगने वाले मिथ्या दोष से बचने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
Acharya Mukesh
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