हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता है ! पर आपने सुना होगा, इंसान जिस वक़्त पहली साँस लेता है उसकी पूरी ज़िन्दगी उसी समय ग्रहों के अनुसार निर्धारित हो चुकी होती है,फिर इंसान लाख चतुराइयों के बावजूद अपनी ज़िन्दगी संघर्ष के साथ ही जीता है ! कुछ इंसान बिना किसी योग्यता के ही बड़े-बड़े घरों में रहतें हैं और बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमते है, वहीँ कुछ लोग बहुत योग्य होकर भी एक घर और एक गाड़ी जुटाने में ही ज़िन्दगी के ५० साल निकाल देते हैं! कहते हैं सब किस्मत है, भाग्य है! कुछ लोग ज्योतिष शास्त्र,रत्न एवं पूजा पाठ को अंध विस्वाश का नाम देते हैं , वहीँ जब उनके घर बच्चे का जन्म होता है तो सबसे पहले कुंडली बनवाते हैं! वास्तव में वैसे लोग अपनी अहम में जीते हैं ! कुछ लोग जो मध्यम आय वर्ग के होते हैं वही ज्यादा समझदार होने का ढोंग करते हैं, कमाई ५० हज़ार होती है पर दिखावा ऐसा करते हैं जैसे की टाटा - अम्बानी भी मुर्ख हैं! वहीँ आप बड़े लोगों का उदहारण ले , जैसे कोई भी जानेमाने क्रिकेटर,राजनितज्ञ या अभिनेता हों या मिलेनियर, बिलेनियर हर कोई उपरोक्त बातों में पूरी आस्था और विश्वाश रखता है और इन्ही की बदौलत आम से खास बन जाते हैं!
ज्योतिष शास्त्र,रत्न विज्ञान के आधार पर ही आज दुनिया इस आधुनिक मुकाम तक पहुँच पाई है !आइये मैं कुछ तथ्ये आपको बताता हूँ की आपको क्यों रत्नो और ज्योंतिष ज्ञान का सम्मान करना चाहिए ! हम सभी ने बचपन में विज्ञान की किताबों में पढ़ा है कि सौर-मंडल में सूर्य के रासायनिक विस्फोट होने से हमारी पृथ्वी समेत नौ ग्रह की उत्पत्ति हुई ! शनि,मंगल,बुध,बृहस्पति,चन्द्रमा और पृथ्वी सभी सूर्य के ही एक छोटे से अंश हैं! सौरमण्डल में विस्फोट के बाद जब पृथ्वी धीरे धीरे सामान्य हुई तो उसमे मौजूद रासायनिक तत्वों से सृष्टि ने जन्म लिया,फिर पृथ्वी पर जीवन पनपी, मछली हों या छोटे-छोटे जीव या फिर इंसान सभी को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का अंदाज़ा है, जब पूरी पृथ्वी समेत सारे ग्रह को सूर्य अपनी गुरुत्वाकर्षण से अपने अधिकार में कर रखा है,तो हम इंसान भी इसी पृथ्वी की मिटटी से जन्मे हैं, करोड़ों सालों की निरन्तर प्रक्रिया के बाद हम आज यहाँ खड़ें हैं! और पूरी तरह इसी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अधीन हैं! पृथ्वी हमें अपनी और खींचती है और पृथ्वी को सूर्य!
जब एक बच्चा जन्म लेता है और अपनी पहली सांस लेता है उसी वक़्त उसके मस्तिष्क और पुरे शरीर पर पृथ्वी समेत सारे ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का कब्ज़ा हो जाता है ,जो ग्रह उस वक़्त जिस डिग्री और जगह पर होते हैं और उस बच्चे के मस्तिष्क और पुरे शरीर को रेगुलेट करते हैं उसी की व्याख्या ज्योतिष उस बच्चे की जन्म कुंडली में करते हैं कि कौन सा ग्रह कहाँ है, उसकी चाल सीधी है या वक्री, उस बच्चे के लिए कौन सा ग्रह योगकारक है या मारक या फिर कौन से ग्रह की कैसी गति है और पूरी जिंदगी जैसे-जैसे वो ग्रह चलते हैं, बच्चें का मस्तिष्क और पूरा शरीर उसके आधार पर निर्णय और कर्म करता है जिससे उसका भविष्य बनता या बिगड़ता है!
उदहारण हेतु सूर्य में हाइड्रोजन 71% हिलीयम 26.5% अन्य 2.5% का रासायनिक मिश्रण होता हैं वहीँ शुक्र ग्रह के वायुमंडल में लगभग 95% कार्बन डाई आँक्साइड CO² की मात्रा है तथा 3.5% भाग नाइट्रोजन का है। उसी तरह अन्य ग्रहों की भी अलग अलग स्थिति है और सारे ग्रहों के गुरुत्वकर्षण का प्रभाव हर पल हर समय पृथ्वी की हर जीवित या मृत घटकों पर होता है!
रत्न की भूमिका
जैसा की हम सभी जानते हैं की हर रत्न चाहे वो हीरा हो नीलम हो या फिर गोमेद,मूंगा,पुखराज कोई भी हो सभी की अलग अलग केमिकल कम्पोजीशन होती है! रत्न वास्तव में खनिज पदार्थ हैं, जो प्रकृति में भिन्न-भिन्न रूपों में पाए जाते हैं। दरअसल, ये भिन्न-भिन्न तत्वों के क्रिया-प्रतिक्रिया के फलस्वरूप बनते हैं। इन रत्नों में मुख्यतः कार्बन, बेरियम, बेरिलियम, एल्यूमीनियम, कैल्शियम, जस्ता, टिन, तांबा, हाइड्रोजन, लोहा, फॉस्फोरस, मैंगनीज़, गंधक, पोटैशियम, सोडियम, जिंकोनियम आदि तत्त्व उपस्थित होते हैं। प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं।
जब हम अपनी कुंडली के ख़राब ग्रह के अनुसार उस रत्न को धारण करते हैं तो सम्बंधित केमिकल और उसकी तरंगे हमारी मस्तिष्क और हमारे पुरे शरीर को सम्बंधित ग्रह की नकरात्मकता को हम तक आने नहीं देता जिसके कारण हमे शीघ्र ही सकरात्मक परिणाम प्राप्त होने लगते हैं! यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति का भाग्योदय नहीं हो पाता है। अशुभ फल देने वाले ग्रहों को अपने पक्ष में करने के लिए संबंधित ग्रह का रत्न पहनना ही एक उपाय है। असली रत्न काफी मूल्यवान होते हैं जो कि आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं। इसी वजह से कई लोग रत्न पहनना तो चाहते हैं, लेकिन धन अभाव में इन्हें धारण नहीं कर पाते हैं।
रत्नों के माध्यम से जीवन के विभिन्न हिस्सों में सफलता पाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि कौन-सा रत्न आपके लिए सर्वाधिक अनुकूल है। ज्योतिष के अनुसार रत्न में दैवीय ऊर्जा समायी हुई होती है, जिससे मानवीय जीवन का कल्याण होता है। रत्न ज्योतिष का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। ज़िंदगी में अक्सर मनुष्य को ग्रहों के बुरे प्रभाव की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रह शांति के लिए कई उपाय बताये गये हैं, इनमें से एक उपाय है राशि रत्न धारण करना। रत्न को पहनने से ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। साथ ही जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। हर राशि का अलग-अलग स्वभाव होता है, ठीक उसी प्रकार हर रत्न का भी सभी बारह राशियों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष में प्रत्येक रत्न को किसी विशेष उद्देश्य और लाभ के लिए पहना जाता है। जो व्यक्ति रत्न को धारण करता है उसे इसके कई लाभ लाभ प्राप्त होते हैं। रत्न के प्रभाव से जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव होते हैं l रत्न को धारण करने से व्यक्ति को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है l
रत्न विज्ञान के अनुसार जो भी रत्न हम धारण करते हैं, वह दिन-प्रतिदिन घिसता रहता है। वैज्ञानिक दृष्टि से हर रत्न अपने अंदर कुछ नकारात्मक ऊर्जा शरीर से बाहरी वातावरण से ग्रहण करता रहता है और अपने में संजोए रहता है। आपने देखा होगा या कभी अनुभव भी किया होगा कि कई बार रत्न स्वयं टूट जाते हैं या उनमें पहने-पहने दरारे आ जाती हैं। और ये अपनी शक्ति का ह्रास करने लगते है । इन सभी रत्नो को पहनने की अपनी-अपनी समय सीमा होती हैं उसी समय के अनुसार रत्नो का बदलीकारण कर लेना चाहिए l जैसे कि मोती पहनने की आयु सीमा सबसे कम (अढ़ाई साल) निर्धारित की गई है। इसी प्रकार अन्य रत्न हैं जिसकी समय सीमा रत्न शास्त्र के अनुसार
माणिक्य- 4 वर्ष,
मूंगा -3,
पन्ना -4,
पुखराज-4,
हीरा -7,
नीलम-5,
मोती की उम्र २ साल १ महीने २७ दिन
गोमेद और लहसुनिया 3-3 साल के बाद बदल देने चाहिएं।
और इस बात का जरूर ध्यान देना चाहिए की आपको कभी भी परिवार में किसी भी रत्न की आपस में एक-दूसरे से अदला-बदली नहीं करनी चाहिए भले ही वे भाई-बहन, मां-बेटे , पति-पत्नी या निकट संबंधी ही क्यों न हों। इसे जल प्रवाह कर देना चाहिए। यदि किसी एलर्जी के कारण उतारना पड़ जाए या अंगूठी की एडजस्टमैंट के लिए किसी कारीगर को देनी ही पड़ जाए तो पुन: प्राण प्रतिष्ठा करवा कर ही धारण करना चाहिए। खंडित नग कभी नहीं पहनना चाहिए।
माणिक्य- 4 वर्ष,
मूंगा -3,
पन्ना -4,
पुखराज-4,
हीरा -7,
नीलम-5,
मोती की उम्र २ साल १ महीने २७ दिन
गोमेद और लहसुनिया 3-3 साल के बाद बदल देने चाहिएं।
और इस बात का जरूर ध्यान देना चाहिए की आपको कभी भी परिवार में किसी भी रत्न की आपस में एक-दूसरे से अदला-बदली नहीं करनी चाहिए भले ही वे भाई-बहन, मां-बेटे , पति-पत्नी या निकट संबंधी ही क्यों न हों। इसे जल प्रवाह कर देना चाहिए। यदि किसी एलर्जी के कारण उतारना पड़ जाए या अंगूठी की एडजस्टमैंट के लिए किसी कारीगर को देनी ही पड़ जाए तो पुन: प्राण प्रतिष्ठा करवा कर ही धारण करना चाहिए। खंडित नग कभी नहीं पहनना चाहिए।
ग्रह और उनसे सम्बंधित रत्न
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चन्द्र मोती PEARL
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मंगल मूंगा RED CORAL
इसे पुखराज, मूंगा के साथ भी पहना जा सकता है। पन्ना व माणिक भी पहन सकते है, इसके पहनने से बुधादित्य योग बनता है। जो पहनने वाले को दिमागी कार्यों में सफल बनाता है।
माणिक, पुखराज व पन्ना भी साथ पहन सकते हैं। माणिक के साथ नीलम व गोमेद नहीं पहना जा सकता है।
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गुरु पुखराज Yellow Sapphire
पुखराज, ब्रहस्पति गृह का प्रतिनिधित्व करता है! जितना यह मूल्यवान है उतनी ही इस रत्न की कार्य क्षमता प्रचलित है! इस रत्न को धारण करने से ईश्वरीय कृपया प्राप्त होती है, विशेषकर आर्थिक परेशानियां अचानक से कम होने लगती हैं अपीतू खत्म ही हो जाती हैं। जो व्यक्ति पुखराज धारण करता है उसे अलग-अलग रास्तों से आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो जाता है, बस शर्त ये है कि रत्न असली हो।
पुखराज धारण करने के बाद अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ, लम्बी उम्र और मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, लेकिन इसका ध्यान अवश्य रखा जाए कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह अवश्य कर लें।
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ज्योतिषीय दृष्टिकोण यह है कि हीरा शुक्र का रत्न है। वृषभ व तुला राशि के अधिपति शुक्र हैं। इनका हीरा स्वयं तो मूल्यवान है ही, धारक को भी मालामाल कर देता है। यदि कुंडली के अच्छे भावों के स्वामी शुक्र हों, तो हीरा धारण कर सुख-संपदा में वृद्धि की जा सकती है।
ज्योतिषीय निर्देश राशि – तुला। ग्रह – शुक्र । दिन – शुक्र ।
यदि आप सुंदर दूधिया पत्थर धारण करना चाहते हैं तो आपको किसी ज्योतिषविद की सलाह लेनी चाहिए। यदि आपके पास किसी ज्योतिषविद से मिलने का समय नहीं है तो घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि आचार्य मुकेश ने आपकी सुविधा के लिए टेलीफोन सेवा भी उपलब्ध रखी है। यदि आपको अनुकूल लगे तो ज्योतिषी से बात कीजिए। इस सेवा की मदद से आप अपने अनुकूल रत्न को धारण कर अपने जीवन को सुखद बना सकते हैं।
दूधिया पत्थर को पहनने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं :-
~वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
~~यौन शक्ति बढ़ती है।
~~~काल्पनिक रचनात्मक शक्ति में वृद्घि होती है।
~~~~अच्छा एकाग्रता और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।
~~~~~शारीरिक तंदरुस्ती प्रदान करता है एवं बुरे स्वप्न को दूर रखता है।
~~~~~~व्यक्ति को सफलता, लोकप्रियता एवं मान सम्मान दिलाता है।
अगर आप पहले से ही जानते हैं कि आपके लिए यह रत्न अनुकूल है एवं आप इसको खरीदना चाहते हैं तो आप हमारे यहां से प्रामाणिक, शत प्रतिशत असली एवं अच्छी गुणवत्ता वाला ओपल रत्न खरीद सकते हैं।
रोचक तथ्य – एक अनुमान के अनुसार लगभग ओपल रत्न ६० मीलियन वर्ष पुराने हैं, जब डायनासोर धरती पर घूमा करते थे।
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शनि नीलम Blue Sapphire
नीलम में aluminium oxide और chromium पाया जाता है , तो रासायनिक तौर पर आपके दिमाग को मदद करता है । शनि कि महादशा एवं साढ़ेसाती के दौरान ये आपका विपरीत समय भी सुख से भर देता है, यदि शनि के कारण मनोवांछित सफलता नहीं मिल रही है तो नीलम अवस्य धारण करें.अगर आपका दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है , जो भी आप निर्णय लेते है वह गलत पे गलत है , तो नीलम रत्न मन को शांत करता है । नीलम रत्न आपकी कुशलता बढ़ाता है , जिससे आप किसी भी कार्य को गम्भीरता से करने में सक्षम होते है । नीलम रत्न दूर-दृष्टि देने वाला है ,अगर किसी व्यक्ति को नीलम उसकी कुंडली के अनुसार अनुकूल होता है तो वह व्यक्ति बहुत बड़ी सफलता प सकता है ।
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राहु गोमेद : हेसोनाइट राहु के बुरे प्रभाव को डालें नकेल
गोमेद से संबद्घ लाभकारी शक्तियों के माध्यम से आप अपने जीवन में सर्वांगीण समृद्धि और धन आमंत्रित करते हैं। इस के अलावा यह रत्न आप की सामाजिक प्रतिष्ठा, अच्छा स्वास्थ्य व प्रसिद्धि प्रदान करता है। आप के लिए गोमेद बेहद उत्तम व लाभकारी सिद्घ हो सकता है, अगर आप अपनी जन्म कुंडली के अनुसार इसे पहनते हैं।
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केतु लहसुनिया CATS EYEs
ये अपने आकार से ज्यादा वजन का लगता है। चमकदार और चिकना होता है साथ ही लंबी-लंबी सफेद धारियां होती हैं। अंधेरे में भी यह बिल्ली की आंख की तरह चमकता है। यह केतु का रत्न होता है और पहनने पर यह केतु से संबंधित दोष खत्म कर देता है।
सावधानी
ऐसे लहसुनिया को धारण नहीं करना चाहिए को किसी तरीके के खंडित हो और जिसे देखकर अच्छी अनुभूमि नहीं हो रही हो। इसके साथ ही लहसुनिया के साथ माणिक्य, मूंगा, मोती और पीला पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
ये अपने आकार से ज्यादा वजन का लगता है। चमकदार और चिकना होता है साथ ही लंबी-लंबी सफेद धारियां होती हैं। अंधेरे में भी यह बिल्ली की आंख की तरह चमकता है। यह केतु का रत्न होता है और पहनने पर यह केतु से संबंधित दोष खत्म कर देता है।
सावधानी
ऐसे लहसुनिया को धारण नहीं करना चाहिए को किसी तरीके के खंडित हो और जिसे देखकर अच्छी अनुभूमि नहीं हो रही हो। इसके साथ ही लहसुनिया के साथ माणिक्य, मूंगा, मोती और पीला पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
शनिवार को चांदी की अंगूठी में लहसुनियां लगवाकर ऊं कें केतवे नम: मंत्र 17000बार जप करना चाहिए। इस प्रकार लहसुनिया को जागृत कर उसे धारण करना चाहिए। इसे आधी रात को बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।
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