हिन्दू धर्म में नारियल को मंगल-सूचक माना गया है। पूजा-पाठ अथवा मांगलिक कामों में शुभता के प्रतीक रूप में नारियल को रखा जाता है। इसे नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और भाग्य सूचक माना जाता है।
नारियल का प्रयोग हिंदू धर्म में प्रत्येक शुभ काम के लिए किया जाता है इसलिए इसे श्रीफल भी कहा जाता है। भगवान को श्रीफल अर्पित करने का तात्पर्य है की हम भगवान को अपना सिर भेंट कर रहे हैं। नारियल में दो आंखे और एक मुंह होता है।नारियल को तोड़ने का कारण है अनिष्ट शक्तियों के संचार पर अंकुश लगाना। तभी तो नारियल फोडकर स्थान देवता का आवाहन कर वहां की स्थानीय अनिष्ट शक्तियों को नियंत्रित करने की उनसे प्रार्थना की जाती है।
महिलाएं नहीं फोड़ती हैं नारियल
अब आपको बता दें कि आखिर क्या वजह है कि महिलाएं नारियल क्यों नहीं फोड़ती हैं:-
नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियां प्रजनन की कारक हैं और इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूप नारियल को फोडऩा वर्जित किया गया है। इसके साथ ही नारियल बलि का प्रतीक है और बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओ द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है
आपको बता दें कि नारियल ऊपर से जितना कठोर होता है अंदर से उतना मुलायम। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। पूजा में हम भगवान को श्रीफल अर्पित करते हैं। नारियल का एक उपयोग देवी या देवता के स्थान पर फोड़ने में होता है, फोड़ने में ऎसी कुशलता होनी चाहिए चाहिए कि रस छलककर पूरा का पूरा देवता के चरणों पर पड़े, कहीं अन्यत्र नहीं।
कैसे अर्पित करें माता को बलि ?
ASTRO NAKSHATRA २७ से आचार्य मुकेश बताते हैं की महाअष्टमी को नारियल बलि का बहुत ही ख़ास महत्व है ! पुराने ज़माने में लोग जानवरों की बलि देते थे जो पूजा पाठ के सन्दर्भ में मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा सप्तशती में भी वर्जित कहा गया है !
बलि से माता प्रसन्न हो भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं !
आज रात संधि-पूजा काल में ( 06`/10/2019 समय : 10:30 से 11:18 ) के बीच एक पानीवाला नारियल लें ! उसे गंगा जल से पवित्र कर रोली से ५ टीके लगायें,मिश्री, अक्षत और फूल चढाने के बाद उसे दाहिने हाथ में लेकर घुटने पर बैठ जाएँ और नारियल को मस्तक से लगा के जोर से जय माँ अंबे का उच्चारण करते हुए जमीन पर फोड़ दें, याद रहे नारियल पर पकड़ मजबूत बानी रहे ताकि एक बार में ही ओ टूट जाये ! टूटते ही उसके पानी को माता के ऊपर और कलश के ऊपर छिड़क कर नारियल माता की गोद में ही रख दें !
फिर वहीँ बैठकर थोड़ी देर माता में ही मन लगा कर अपनी मनोकामना बोले तथा ऐसे आवाज लगाएं जैसे आप अपनी माता को पुकारते हो ! माँ , माँ , माँ और आवाज में इतनी करुणा हो की माँ का दिल पिघल जाये और बोले "तथास्तु " !
आचार्य मुकेश
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