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Tuesday, 19 February 2019

20 फरवरी 2019 बुधवार का पंचांग/ फाल्गुन कृष्ण पक्ष, प्रतिपदा / पंचांग, Panchang, बुधवार का पंचांग, Budhwar Ka Panchang, आज का पंचांग, Aaj Ka Panchang


हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि  2:- वार  3:- नक्षत्र  4:- योग  और  5:- करण .

शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।

योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

20 फरवरी 2019 बुधवार का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 06:59
🌞↘️सूर्यास्त - 18:11
🌕↗️चन्द्रोदय -19:08
🌘↘️चन्द्रास्त - 07:30

पञ्चाङ्ग
🔘वार- बुधवार 💠तिथि -  कृष्ण पक्ष (फाल्गुन)
प्रतिपदा - 17:36 तक
तदोपरांत  द्वितीया

तिथि का स्वामी -   प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है तथा द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी है

आज प्रतिपदा है । प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव हैं। अग्नि देव इस पृथ्वी पर साक्षात् देवता हैं, देवताओं में सर्वप्रथम अग्निदेव की उत्पत्ति हुई थी । ऋग्वेद का प्रथम मंत्र एवं प्रथम शब्द अग्निदेव की आराधना से ही प्रारम्भ होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथो में देवताओं में प्रथम स्थान अग्नि देव का ही दिया गया है। अग्निदेव सब देवताओं के मुख हैं और यज्ञ में इन्हीं के द्वारा देवताओं को समस्त यज्ञ-वस्तु प्राप्त होती है। अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा हैं। अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र और पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है।



नक्षत्र
मघा - 08:00 तक
पूर्वाफाल्गुनी - 29:04+ तक

नक्षत्र के देवता एवं ग्रह्स्वामी :- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग्र है एवं उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा है ।

योग
अतिगण्ड - 07:29 तक
सुकर्मा - 27:14+ तक
धृति

करण
बालव - 07:29 तक
कौलव - 17:36 तक
तैतिल - 27:47+ तक
गर


विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)

शक संवत - 1940 (विलंबी)

अयन - उत्तरायण

वैदिक ऋतु:-शिशिर

द्रिक ऋतु:-वसन्त

मास - फाल्गुन माह

सूर्य राशि 
कुम्भ


चन्द्र राशि


सिंह


कर्क

सूर्य नक्षत्र


शतभिषा

🌅दिनमान
11 घण्टे 11 मिनट्स 11 सेकण्ड्स

🌌रात्रिमान
12 घण्टे 47 मिनट्स 52 सेकण्ड्स


🙏शुभ समय🙏

अभिजित मुहूर्त:कोई नहीं
विजय मुहूर्त:-14:27 से 15:12
अमृत काल:23:27 से 24:52+

⛔अशुभ समय⛔
गुलिक काल:- 11:11 से 12:35
🚷यमगण्ड:- 08:23 से 09:47
👹राहुकाल:- 12:35 से 13:59
ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !

राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।

इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।

रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।

⚓निवास और शूल
होमाहुति- चन्द्र - 29:04+ तक
मंगल
अग्निवास :-आकाश - 17:36 तक
पाताल
दिशाशूल (Dishashool) -उत्तर
बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ । 

विशेष - प्रतिपदा को कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए ।

पर्व त्यौहार - 

मुहूर्त (Muhurt) - प्रतिपदा तिथि को विवाह, यात्रा, व्रतबंध, प्राण प्रतिष्ठा, चूड़ा कर्म, वास्तु कर्म, गृह प्रवेश आदि मंगल कार्य बिलकुल भी नहीं करने चाहिए।

ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~कुम्भ♒07⁰.30'
🌙चंद्र-राशि~ सिंह ♌22⁰.20'
🔺मंगल ~ मेष ♈ 10⁰.5'
🔘बुध~ कुम्भ ♒23⁰.40'
🔶बृहस्पति~वृश्चिक26⁰.40'
◽शुक्र ~ धनु25⁰.15'
◾शनि~धनु♐ 22⁰.50'
👹राहु ~ कर्क00⁰.45'
👺केतु ~ मकर♑00⁰.45'

नोट :- पंचांग  को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
                                       
                  
 💛ACHARYA MUKESH,

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