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Acharya Mukesh

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

Acharya Mukesh...Astro Nakshatra 27

“कुछ अलग करना है, तो भीड़ से हट कर चलो, भीड़ साहस तो देती है, पर पहचान छिन लेती है।”

True remedies by Dr.Mukesh

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Kundli analysis, Vastu, Palmistry and effective Remedies.

Monday, 28 October 2019

भैया दूज 2019। यम द्वितीया 2019। पूजन विधि एवं शुभ मुहुर्त्त। Astro Nakshatra 27|

Astro Nakshatra 27 *
पांच दिवसीय दीपोत्सव के 5वें दिन आज देश भर में भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला पर्व है। बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं। भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है। धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से नोत लिया था। भाइयों द्वारा बहनों को नोत लेने के बाद यथासंभव उपहार दिया जाता और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन भाई बहन एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। वैसे तो आप सुबह 6:13 से सायं 5:34 मिनट तक टीका कर सकते हैं लेकिन अति शुभ मुहूर्त के लिए आप नीचे लिखी द्वितीया तिथि चेक कर सकते हैं।

भाई दूज शुभ मुहूर्त ( Bhai dooj shubh Muhurat )

द्वितीया तिथि मंगलवार सुबह 6: 13 बजे से बुधवार सुबह 3: 48 बजे तक
पूजन मुहूर्त मंगलवार दोपहर 1: 11 बजे से दोपहर 3: 25 बजे तक

शास्त्रों के अनुसार भाई दूज का त्योहार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले द्वितीया तिथि में मनाना चाहिए। शाम 5 बजकर 38 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा। इस समय से पूर्व यह त्योहार शुभ चौघड़िया में मनाना चाहिए।

भाई दूज शुभ चौघड़िया और पूजन समय
सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक लाभ चौघड़िया रहेगा। इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत चौघड़िया में भी त्योहार मनाया जा सकता है। अंतिम शुभ चौघड़िया 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

भैयादूज पर बहनों की गाली भी आशीर्वाद जैसी
मान्यता है कि भैयादूज के दिन बहनों की गाली भी भाइयों को आशीर्वाद की तरह लगती है। आचार्य  पीके युग के अनुसार पहले तो बहनें भाइयों के लिए अमंगल की बात करती हैं। उन्हें मरने तक का श्राप देती हैं। पर बाद में अपनी जीभ पर रेंगनी का कांटा चुभोती हैं कि क्यों उन्होंने अपने भाई के लिए ऐसी बात कही।

भाइयों के लिए गोधन कूटती हैं बहनें
बहनें भाइयों के दीघार्यु की कामना के साथ गोधन कूटती हैं। गोबर के राक्षस की आकृति बनाकर पूजा करती हैं। फिर उसे डंडे से पीटती हैं।
पूजन विधि ( Bhai Dooj Puja vidhi )
सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।

भैया दूज कथा ( Bhai dooj vrat katha )
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

दीवाली के शुभ और सरलतम 21 टोटके (Tricks) by Acharya Mukesh | DIPAWALI 2019 | DIWALI TOTKE |

 astro nakshatra 27

दीवाली धन-दौलत के आशिर्वाद को माता लक्ष्मी से पाने का सबसे शुभ और उपयुक्त अवसर होता है। आइए जानें इस दिन के शुभ और सरलतम टोटके(TRICKS) :


1. लक्ष्मी पूजन में गन्ना, कमल पुष्प, कमल गट्टे, नागकेसर, आंवला, खीर का प्रयोग धन प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त करता है।



(The use of sugarcane, lotus flower, lotus seed mala(kamalgatta), Nagkesar, Amla and kheer in Lakshmi Puja paved the way for getting money.)


astro nakshatra 27



2. धन प्राप्ति की मनोकामना  के साथ दीवाली पूजन में माता को कमलगट्टे की माला पहनाएं एवं पुरे वर्ष चढ़ी रहने दें। 

(With the desire to get wealth,offer a kamalgatta mala to mata in the Diwali poojan and stay their for whole year. )



astro nakshatra 27

3. दीवाली को सूर्योदय से पहले जागें और  सुबह कच्चे  दुध (दूध) मिश्रित पानी के साथ स्नान करें।

(Wake up before sunrise and take bath with kachha dudh(milk) mixed water on Diwali morning.)




astro nakshatra 27


4. स्नान करने के बाद नए कपड़े पहन दीवाली की सुबह उगते  सूरज को  पवित्र जल (जिसमें रोली, अक्षत एवं मिश्री डाली हो) से अर्ध्य दें और लाल फूल के साथ सूर्य पूजा करें !

(After taking bath wear new cloths and bestow holy water to rising sun in the morning of Diwali and perform Sun puja with a red flower.)



astro nakshatra 27



5. दीवाली पर एक नया झाड़ू खरीदें और घर की गरीबी को दूर करने और समृद्धि लाने के लिए इस से  साथ घर साफ करें।

(Purchase a new Broom (Jhaadu) on Diwali and clean the house with it to remove poverty of house and bring prosperity in.)




astro nakshatra 27


6. दीवाली  लक्ष्मी पूजन में अपनी  सभी वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिए 7 पीले कौड़ी शामिल करें।

(Include 7 yellow Kodhies in Diwlai Lakshmi pujan to resolve yours all the financial problems.)




7. जल्‍दी और अचानक धन लाभ के ल‌िए दीपावली की शाम में क‌िसी बरगद के पेड़ की जटा में गांठ लगाएं। धन लाभ म‌िलने के बाद इस गांठ को खोल दें।


astro nakshatra 27

(For quick and sudden growth in finance, put a lump in the jata of some banyan tree in the evening of Deepawali. Open the lump after getting the money benefit.)


8. गन्ने की जड़ को लाल वस्‍त्र में लपेटकर उस पर स‌िंदूर और लाल चंदन लगाएं और इसे धन त‌िजोरी या धन रखने के स्‍थान में रखें।





(Wrap the root of the sugarcane in red cloth and apply vermilion and red sandalwood on it and keep it in a safe place or place of treasure.)

9. देवी लक्ष्मी की पूजा के समय गोमती चक्र को पूजा की थाली में रखकर मां की पूजा करें। पूजा के बाद गोमती चक्र को त‌िजोरी में रखें धन बढ़ेगा।





(At the worship of Goddess Lakshmi, worship mata by placing Gomti Chakra in a plate of worship. After worship, keep Gomti Chakra in the vault, the money will increase.)


10. दीपावली पूजन के समय एकाक्षी नार‌‌ियल की भी पूजा करें और इसे हमेशा देवी लक्ष्मी के साथ पूजा स्‍थान में रखें।



(At Deepawali, worship the ekakshi coconut and always keep it in place of worship with Goddess Lakshmi.)


11. दीपावली के दिन  पीपल के पत्ते पर कुमकुम लगाकर उस पर लड्डू रखें और हनुमान को भोग लगाएं। इससे आय में आ रही बाधा दूर होती है।



12. दीपावली की मध्य रात्र‌ि के बाद घंटी बजाएं। कहते हैं इससे नकारात्मक शक्त‌ियां और द‌र‌िद्रा घर में नहीं ठहरती।


(Play bell after midnight in Deepawali. It is said that negative powers and poor poverty do not stay in the house.)


13.   दीपावली के द‌िन क‌िसी मंद‌िर में झाडू का दान करें।



                                             (Donate a broom in a temple on Diwali day.)

14.  दीपावली की मध्य रात्र‌ि में चौराहे पर दीपक जलाकर रख आएं। 
       लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें।




(In the midnight of Deepawali, the lamp will be lit on the intersection. Do not look back while returning)


15. लक्ष्मी माता की मूर्त‌ि के सामने नौ बाती वाली दीपक जलाएं और दीपक जलाने के ल‌िए घी का प्रयोग करें। कहते हैं इससे जल्दी धन लाभ म‌िलता है और आर्थ‌िक मामले में उन्नत‌ि होती है।



(Burn the nine-wick lamp in front of Lakshmi Mata's statue and use ghee to light the lamp. It says quick money gets profit and there is progress in economic matters.)


16. काली हल्दी देवी लक्ष्मी को अर्प‌ित करें और पूजा के बाद हल्दी को लाल कपड़े में बांधकर धन रखने के स्‍थान में रखें।





(Offer kali turmeric to goddess Lakshmi and keep the turmeric in red cloth in place of possessing it after worship.)


17. तुलसी के पौधे पर लाल या पीले रंग का वस्‍त्र चढ़ाएं और इसकी जड़ में एक घी का दीप जलाकर रखें। यह व्यवस्‍था करें क‌ि दीप रात भर जलता रहे।



(Bring red or yellow cloth on the basil plant and burn the lamps of a ghee in its root. Arrange that the lamp burns all night long.)


18. दीपावली पूजन के बाद काले त‌िल हाथ में लेकर घर के सभी सदस्य के स‌िर से सात बार घुमाकर फेंक दें। माना जाता है क‌ि इससे धन की हान‌ि रुक जाती है।




(After Deepawali worship, take the black sesame in hand and throw all the members of the house seven times from the head. It is believed that the loss of money stops).

19. यदि आप राहु-केतु दो या शनि दोष से पीड़ित हैं तो दीवाली पर किसी भी गरीब व्यक्ति को काला कंबल दान करें। सभी दोष स्वचालित रूप से खत्म हो जाएंगे और माता लक्ष्मी आप पर  खुश होंगी|



(If you are suffering from Rahu-Ketu Dosha or Shani Dosha then donate a black blanket to any poor man on Diwali. All the dosha will be finish automatically and Godess Laxmi will be happy with you.)


20. यदि आप समृद्धि और खुशी प्राप्त करना चाहते हैं तो एक दक्षिणावर्ती शंख और मोती शंख पूजा-स्थल में स्थापित करें। माता लक्ष्मी इसे बहुत पसंद करतीं हैं।

 



(If you want to get prosperity & joy then include a dextral conch (Dakshinawarti Shankh) and Moti Shankh. Godess Lakshmi likes it.)
21. दीवाली की रात घर के हर कमरें में, मुख्य द्वार पर अथवा बालकनी में गेहूं की ढेर पर घी का दीपक जलाएं | यह एक बहुत ही आजमाई हुई सिद्ध उपायों में से एक है | इस से माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है |  



(On the night of Diwali, light the ghee lamp in every room, main entrance and balcony on wheat stack . This is one of the very tested proven measures. This gives unlimited grace of Mother Lakshmi.)


written by Acharya Mukesh
ASTRO NAKSHATRA 27

Sunday, 27 October 2019

इस दिवाली धन प्राप्ति हेतु माता लक्ष्मी की पोटली कैसे बनायें ? # ACHARYA MUKESH # DIWALI 2019



शास्त्रों में लक्ष्मी को चपला कहा गया है अर्थात धन की देवी कहीं टिकती नहीं है। पौराणिक व तंत्र शास्त्रों में धन की देवी की स्थिर रखने के लिए अनेक यत्न, प्रयास व अनुष्ठान बताए गए हैं। परंतु यह अनुष्ठान व प्रयास अत्यंत कठिन व ख़र्चीले हैं जिसे आज के व्यस्त समय में आम व्यक्ति के लिए करना लगभग असंभव जैसा है परंतु पौराणिक व तंत्र शास्त्रों में धन की देवी को अपने घर व प्रतिष्ठान में स्थिर रखने के लिए कुछ सरल उपाय व सामाग्री भी बताई गई है।

इस पोस्ट के द्वारा आचार्य मुकेश आपको बताते हैं की कैसे इस दुर्लभ सामाग्री को हम किस्मत की पोटली बनाकर धन की देवी लक्ष्मी को अपने घर व प्रतिष्ठान में कैसे बांधकर स्थिर कर सकते हैं। इस किस्मत की पोटली को चमत्कारिक वस्तुओं को एक साथ सम्मिलित कर निर्मित किया जा सकता है जो देवी महालक्ष्मी को अत्यधिक प्रिय हैं। भारतीय धर्मग्रंथों में ऐसा उल्लिखित है कि यदि देवी महालक्ष्मी का पूजन इन सामग्रियों के साथ तथा इनका उपयोग कर शास्त्र-सम्मत विधि से किया जाय तो सभी अभीष्ट अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।


   


                  महालक्ष्मी की पोटली कैसे बनायें ? 


इस पोटली को आपको दीपावली के दिन वृषभ लग्न के दौरान प्रदोष काल में ही बनाना है ! श्री गणेश और महालक्ष्मी के आह्वाहन के बाद षोड़ोपचार पूजन के बाद आपको एक लाल कपडे को लेना है अथवा कोई पोटली बाजार पहले से ही खरीद लें ! लक्ष्मी जी को विशेष प्रिय है रेशमी लाल वस्त्र जिसमें सारी सामाग्री बांधकर यह अद्भुत पोटली बनाई जाती है। पोटली के सामने एक पान का पत्ता रख लें !

पहले पत्ते पर ३ बार गंगा जल छिड़कें ! 
फिर थोड़ी रक्त-चन्दन  अर्पित करें !

            तत्पश्चात सबसे पहले एक चाँदी का सिक्का लें और उसे मौली से बांध लें !  फिर क्रमशः 

2 सुपारी ,
2 पीली हल्दी की गांठ , 
2  काली हरिद्रा यानि हल्दी ,
 11 गोमती -चक्र ,
 7 पीली कौड़ी , 
5 सफ़ेद कौड़ी, 
5 नागकेशर
 5 कमलगट्टे, 
5 काली - कौड़ी  
 तथा 21 अक्षत के दाने ( टूटी हुई वर्जित है ) को एक साथ रख लें !

 फिर कमलगट्टे की  माला से १ माला इस मंत्र का जाप करें :- 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै
 च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥




मंत्र जाप पश्चात इस पोटली को बांध लें तथा मस्तक से लगा माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित कर दें ! इस पोटली को शुभ महूर्त में घर की पूजा स्थल अथवा उत्तरपूर्व दिशा अथवा लक्ष्मी की दिशा उत्तर पश्चिम में रखना अति शुभफलदायक होता है। इसके घर में विशेष महूर्त में स्थापना से अकूट लक्ष्मी का वास होता है। वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है तथा धन की देवी सदा स्थिर रहती है। शरद पूर्णिमा, अक्षय तृतीया, दीपावली या कार्तिक पूर्णिमा को घर अथवा प्रतिष्ठान में इस पोटली को रखने से चिरकाल धन की प्राप्ति होती है, दुर्भाग्य दूर होता है तथा घर में धन, अन्न, स्वर्ण व आभूषण की वृद्धि होती है !

फिर इसे आरती और हवन इत्यादि के बाद अपनी तिज़ोरी या गल्ले जहाँ भी रखना चाहें रख लें ! कुछ ही दिनों में आप लक्ष्मी की स्थिरता का अनुभव करने लगेंगे इसमें कोई संदेह नहीं !

पोटली बनाने का समय : 
27 /10/2019
( स्थिर वृषभ  लग्न एवं स्वाति नक्षत्र) : शाम 18:42 से 20:37


पोटली - सामग्री:- 


1. पीली कौड़ी 



इस किस्मत की पोटली में पहला स्थान है प्राकृतिक पीली कौड़ी का इसे लक्ष्मी कौड़ी अथवा कुबेर कौड़ी भी कहा जाता है। 

2.काली-कौड़ी
                                            

कौड़ी जो पुराने ज़माने में लोग इसका धन के स्वरुप इस्तेमाल करते थे । काली-कौड़ी माँ लक्ष्मी का स्वरूप मानी गया हैं ... यह अति दुर्लभ है।

3. गोमती-चक्र

                                    

गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसे लक्ष्मी माता की स्थिरता हेतु प्रयोग किया जाता है ! ये माता को अत्यंत प्रिय है !

4.काली-हरिद्रा (हल्दी)

                                   

पोटली में इसका विशेष महत्व है ! रवि-पुष्य या गुरु-पुष्य के शुभ संयोग में काली को हल्दी को प्राप्त कर इसकी षोडषोपचार पूजा करने के उपरांत इसे विधिवत् सिद्ध कर लाल रेशमी वस्त्र में चांदी या स्वर्ण मुद्रा के साथ लपेटकर अपनी तिजोरी में रखने से अपार धन वृद्धि होती है।

 माता को प्रिय अन्य शुभ सामग्रियां :- 

5.पीली-हल्दी 



6.सुपारी 


7.कमलगट्टे


8.नाग-केशर 


9.चाँदी का सिक्का


 10.सफेद-कौड़ी  




11. पीले-अक्षत( हल्दी से अक्षत को रंग लें ) 




12.पान का पत्ता 




ASTRO NAKSHATRA 27
ACHARYA MUKESH 









धन-समृद्धि के लिए दिवाली के पांच दिन करें ये काम: DHANTERAS | DIWALI | NARAK CHATURDASHI | GOVARDHAN PUJA | BHAIYA DUJ |

 

'दीपावली' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "प्रकाश की पंक्तियाँ" होता है। भारतीय कैलेंडर के हिसाब से यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व ज्ञान (प्रकाश) का अज्ञानता (अंधेरे) पर विजयी होने का प्रतीक है।

काफी लोग ये नहीं जानते की  दीवाली सिर्फ एक दिन की नहीं बल्कि 5 दिनों की होती है |  दीवाली आते ही हर कोई साफ- सफाई करने तथा घर को सजाने सवारने में लग जाता है | कुछ लोग तो दिवाली के एक दिन पहले तक या  दीवाली को भी साफ़ सफाई ही करते दिखते  हैं | ऐसा इस वर्ष बिलकुल न करें | धनतेरस के एक दिन पहले ही आप सफाई इत्यादि निपटा लें ताकि आपको इन पांच दिनों में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु पूजा, जाप या धन सम्बन्धी टोटके और उपाए कर सकें |

घर को सिर्फ दीवाली ही नहीं इन पांचो दिन सजा कर रौशन रखे | माता की कृपा हेतु घर का हरेक कोना साफ करें ! ईशान कोण को हल्का करें ! बिलकुल साफ़ रखें ! पुरानी  और टूटे-फूटे सामान घर से बाहर कर दें !   

दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। धन तेरस से शुरू होकर यह त्योहार नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है।

धन-त्रयोदशी से भैया-दूज तक लगातार 5 दिनों तक सायं-काल के समय घर में दीपक जलने चाहिए | दरवाजे पर माता के स्वागत हेतु गुलाब के फूलों से सजे हुए जल-पात्र में दीपक जला कर रखें | पुरे घर में इत्र या गुलाब-जल का छिड़काओ करें ताकि घर के हरेक दिशाओं से खुशबु आती रहे |

माता लक्ष्मी की कृपा पाने हेतु तथा धन सम्बन्धी समस्याओं के निवारण हेतु इन पांच दिनों में सूर्योदय के पहले हर हाल में बिस्तर छोड़ देनी चाहिए | इन पांच दिनों में जो सूर्योदय के बाद तक सोता है उसके पास लक्ष्मी कभी स्थिर हो ही नहीं सकती |


पाँच दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है। दीवाली के दौरान अभ्यंग स्नान को चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन करने की सलाह दी गई है।

आचार्य मुकेश के अनुसार आपको महालक्ष्मी को सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि दिवाली के इन पांचों दिवस में खुश रखना चाहिए | आपको घर की साफ़-सफाई इत्यादि जो भी करना हो आपको पहले ही निपटा लेने चाहिए | इस वर्ष दिवाली ज्योतिषीय निर्देशानुसार मनाएं आप खुद ही फ़र्क महसूस करेंगे |

2019 में दिवाली 27 अक्टूबर को है | परन्तु दिवाली एक नहीं पांच दिवसीय महोत्सव है जिसकी शुरुआत धन - त्रयोदशी से ही हो जाती है | इस बार के दिवाली कैलेंडर पर एक नज़र डालें :-



पहला दिन 
1.धनतेरस | Dhanteras   25 अक्टूबर 2019 (शुक्रवार)

इस दिन को धन्वन्तरि-(आयुर्वेद के भगवान या देवताओं के चिकित्सक) का जन्मदिन माना जाता है और धन्वन्तरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन पर, मृत्यु के देवता- यम का पूजन करने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं इसलिए यह 'यमदीपदान' के रूप में भी जाना जाता है। 

धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यन्त नहीं रहती। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन व प्रज्जवलन कर यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है।
        
    धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 19:08 बजे से 20:13 बजे

    यम-दीपम का समय :- 17:37 से 18:55



                                        


         दूसरा  दिन 

2. नरक चतुर्दशी |Naraka Chaturdashi   {छोटी दिवाली} 

दीपोत्सव का दूसरा दिन नर्क चतुर्दशी अथवा रूप चौदस होता है | इस दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन सूर्योदय के पश्चात स्नान करने वाले मनुष्य के वर्षभर के शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं। एवं इस दिन स्नान के पश्चात दक्षिण मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन सायंकाल देवताओं का पूजन करके घर, बाहर, सड़क आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।

 इस दिन सुबह जल्दी जागना और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है। कहानी यह है कि दानव राजा नरकासुर- प्रागज्योतीसपुर (नेपाल का एक दक्षिण प्रांत) के शासक- इंद्र देव को हराने के बाद, अदिति (देवताओं कि माँ) के मनमोहक झुमके छीन लेते हैं और अपने अन्त:पुर में देवताओं और संतों की सोलह हजार बेटियों को कैद कर लेते हैं। नर्क चतुर्दशी के अगले दिन, भगवान कृष्ण ने दानव को मार डाला और कैद हुई कन्याओं को मुक्त कराकर, अदिति के कीमती झुमके बरामद किये थे। महिलाओं ने अपने शरीर को सुगंधित तेल से मालिश किया और अपने शरीर से गंदगी को धोने के लिए एक अच्छा स्नान किया। इसलिए, सुबह जल्दी स्नान की यह परंपरा बुराई पर दिव्यता की विजय का प्रतीक है। यह दिन अच्छाई से भरा एक भविष्य की घोषणा का प्रतिनिधित्व करता है।



क्या करें नरक-चतुर्दशी को :-


चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि जो भी इस दिन स्नान करता है वह नरक जाने से बच सकता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।



                           

                                          तीसरा दिन

3. लक्ष्मी पूजन | Lakshmi Pooja  

तीसरा दिन समारोह का सबसे महत्वपूर्ण दिन है-लक्ष्मी पूजा। यह वह दिन है जब सूरज अपने दूसरे चरण में प्रवेश करता है। अंधियारी रात होने के बावजूद भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। छोटे छोटे टिमटिमाते दीपक पूरे शहर में प्रज्वलित होने से रात का अभेद्य अंधकार धीरे-धीरे गायब हो जाता है। यह माना जाता है कि लक्ष्मीजी दीपावली कि रात को पृथ्वी पर चलती हैं और विपुलता व समृद्धि के लिए आशीर्वाद की वर्षा करती है। इस शाम लोग लक्ष्मी पूजा करते है और घर की बनाई हुए मिठाई सभी को बांटते है।

यह बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि इसी दिन कई संतों और महान लोगों ने समाधि ली और अपने नश्वर शरीर छोड़ दिया था। महान संतो के दृष्टांत में भगवान कृष्ण और भगवान महावीर शामिल हैं। यह वो दिन भी है जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद माता सीता और लक्ष्मण के साथ घर लौटे थे।

                        


पांच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख दिन लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। 

 इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्जवलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।

                                             चौथा दिन 

4. गोवर्धन पूजा (बलि प्रतिपदा)
समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है और राजा विक्रम की ताजपोशी को चिह्नित करता है। यह वो दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र की मूसलाधार बारिश के क्रोध से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था।


                               

                                           पांचवा दिन

                                        


5. भाईदूज |BhaiDooj   


भाइयों और बहनों के बीच प्रेम का प्रतीक दर्शाता है। भाई उन्हें उनके प्यार की निशानी के रूप में एक उपहार देते हैं। 

कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर तिलक लगाकर आरती उतारनी चाहिए एवं उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए। 

भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।


        यह माना जाता है कि धन (लक्ष्मी देवी) बहुत क्षणिक है और यह केवल वहीं रहती है, जहां कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कृतज्ञता हो। श्रीमद भागवत में, वहाँ एक घटना के बारे में एक उल्लेख है जब देवी लक्ष्मी ने राजा बली का शरीर छोड़ दिया और भगवान इंद्र के साथ जाना चाहती थी। पूछताछ पर उन्होंने कहा कि वह केवल वहीं रहती है, जहां 'सत्य', 'दान', 'तप', 'पराक्रम' और 'धर्म' हो।

इस दिवाली हम सब प्रार्थना करे और आभारी महसूस करें। विश्व के हर कोने में समृद्धि हो और सभी लोग प्यार, खुशी और अपने जीवन में विपुलता का अनुभव करे।

आचार्य मुकेश की विशेष सलाह:  
धनतेरस से दिवाली तक माता लक्ष्मी के सामने घी की अखंड-ज्योति जलाएं !


धन स्थिरता हेतु :---




दीवाली के दिन कमलगट्टे से श्रीसूक्त की १६ ऋचाओं से हवन करें ! 



दीवाली के दिन शाम की मुख्य पूजा तक व्रत रखें !



शंख के  बिना माता की पूजा अधूरी होती है !


माता के साथ श्री हरि विष्णु की पूजा अनिवार्य होती है !

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                                           आचार्य मुकेश