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Sunday, 27 October 2019

धन-समृद्धि के लिए दिवाली के पांच दिन करें ये काम: DHANTERAS | DIWALI | NARAK CHATURDASHI | GOVARDHAN PUJA | BHAIYA DUJ |

 

'दीपावली' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "प्रकाश की पंक्तियाँ" होता है। भारतीय कैलेंडर के हिसाब से यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व ज्ञान (प्रकाश) का अज्ञानता (अंधेरे) पर विजयी होने का प्रतीक है।

काफी लोग ये नहीं जानते की  दीवाली सिर्फ एक दिन की नहीं बल्कि 5 दिनों की होती है |  दीवाली आते ही हर कोई साफ- सफाई करने तथा घर को सजाने सवारने में लग जाता है | कुछ लोग तो दिवाली के एक दिन पहले तक या  दीवाली को भी साफ़ सफाई ही करते दिखते  हैं | ऐसा इस वर्ष बिलकुल न करें | धनतेरस के एक दिन पहले ही आप सफाई इत्यादि निपटा लें ताकि आपको इन पांच दिनों में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु पूजा, जाप या धन सम्बन्धी टोटके और उपाए कर सकें |

घर को सिर्फ दीवाली ही नहीं इन पांचो दिन सजा कर रौशन रखे | माता की कृपा हेतु घर का हरेक कोना साफ करें ! ईशान कोण को हल्का करें ! बिलकुल साफ़ रखें ! पुरानी  और टूटे-फूटे सामान घर से बाहर कर दें !   

दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। धन तेरस से शुरू होकर यह त्योहार नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होता है।

धन-त्रयोदशी से भैया-दूज तक लगातार 5 दिनों तक सायं-काल के समय घर में दीपक जलने चाहिए | दरवाजे पर माता के स्वागत हेतु गुलाब के फूलों से सजे हुए जल-पात्र में दीपक जला कर रखें | पुरे घर में इत्र या गुलाब-जल का छिड़काओ करें ताकि घर के हरेक दिशाओं से खुशबु आती रहे |

माता लक्ष्मी की कृपा पाने हेतु तथा धन सम्बन्धी समस्याओं के निवारण हेतु इन पांच दिनों में सूर्योदय के पहले हर हाल में बिस्तर छोड़ देनी चाहिए | इन पांच दिनों में जो सूर्योदय के बाद तक सोता है उसके पास लक्ष्मी कभी स्थिर हो ही नहीं सकती |


पाँच दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है। दीवाली के दौरान अभ्यंग स्नान को चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन करने की सलाह दी गई है।

आचार्य मुकेश के अनुसार आपको महालक्ष्मी को सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि दिवाली के इन पांचों दिवस में खुश रखना चाहिए | आपको घर की साफ़-सफाई इत्यादि जो भी करना हो आपको पहले ही निपटा लेने चाहिए | इस वर्ष दिवाली ज्योतिषीय निर्देशानुसार मनाएं आप खुद ही फ़र्क महसूस करेंगे |

2019 में दिवाली 27 अक्टूबर को है | परन्तु दिवाली एक नहीं पांच दिवसीय महोत्सव है जिसकी शुरुआत धन - त्रयोदशी से ही हो जाती है | इस बार के दिवाली कैलेंडर पर एक नज़र डालें :-



पहला दिन 
1.धनतेरस | Dhanteras   25 अक्टूबर 2019 (शुक्रवार)

इस दिन को धन्वन्तरि-(आयुर्वेद के भगवान या देवताओं के चिकित्सक) का जन्मदिन माना जाता है और धन्वन्तरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन पर, मृत्यु के देवता- यम का पूजन करने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं इसलिए यह 'यमदीपदान' के रूप में भी जाना जाता है। 

धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यन्त नहीं रहती। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन व प्रज्जवलन कर यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है।
        
    धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 19:08 बजे से 20:13 बजे

    यम-दीपम का समय :- 17:37 से 18:55



                                        


         दूसरा  दिन 

2. नरक चतुर्दशी |Naraka Chaturdashi   {छोटी दिवाली} 

दीपोत्सव का दूसरा दिन नर्क चतुर्दशी अथवा रूप चौदस होता है | इस दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है, कि इस दिन सूर्योदय के पश्चात स्नान करने वाले मनुष्य के वर्षभर के शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं। एवं इस दिन स्नान के पश्चात दक्षिण मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन सायंकाल देवताओं का पूजन करके घर, बाहर, सड़क आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।

 इस दिन सुबह जल्दी जागना और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है। कहानी यह है कि दानव राजा नरकासुर- प्रागज्योतीसपुर (नेपाल का एक दक्षिण प्रांत) के शासक- इंद्र देव को हराने के बाद, अदिति (देवताओं कि माँ) के मनमोहक झुमके छीन लेते हैं और अपने अन्त:पुर में देवताओं और संतों की सोलह हजार बेटियों को कैद कर लेते हैं। नर्क चतुर्दशी के अगले दिन, भगवान कृष्ण ने दानव को मार डाला और कैद हुई कन्याओं को मुक्त कराकर, अदिति के कीमती झुमके बरामद किये थे। महिलाओं ने अपने शरीर को सुगंधित तेल से मालिश किया और अपने शरीर से गंदगी को धोने के लिए एक अच्छा स्नान किया। इसलिए, सुबह जल्दी स्नान की यह परंपरा बुराई पर दिव्यता की विजय का प्रतीक है। यह दिन अच्छाई से भरा एक भविष्य की घोषणा का प्रतिनिधित्व करता है।



क्या करें नरक-चतुर्दशी को :-


चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह माना जाता है कि जो भी इस दिन स्नान करता है वह नरक जाने से बच सकता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।



                           

                                          तीसरा दिन

3. लक्ष्मी पूजन | Lakshmi Pooja  

तीसरा दिन समारोह का सबसे महत्वपूर्ण दिन है-लक्ष्मी पूजा। यह वह दिन है जब सूरज अपने दूसरे चरण में प्रवेश करता है। अंधियारी रात होने के बावजूद भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। छोटे छोटे टिमटिमाते दीपक पूरे शहर में प्रज्वलित होने से रात का अभेद्य अंधकार धीरे-धीरे गायब हो जाता है। यह माना जाता है कि लक्ष्मीजी दीपावली कि रात को पृथ्वी पर चलती हैं और विपुलता व समृद्धि के लिए आशीर्वाद की वर्षा करती है। इस शाम लोग लक्ष्मी पूजा करते है और घर की बनाई हुए मिठाई सभी को बांटते है।

यह बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि इसी दिन कई संतों और महान लोगों ने समाधि ली और अपने नश्वर शरीर छोड़ दिया था। महान संतो के दृष्टांत में भगवान कृष्ण और भगवान महावीर शामिल हैं। यह वो दिन भी है जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद माता सीता और लक्ष्मण के साथ घर लौटे थे।

                        


पांच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख दिन लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। 

 इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्जवलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।

                                             चौथा दिन 

4. गोवर्धन पूजा (बलि प्रतिपदा)
समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है और राजा विक्रम की ताजपोशी को चिह्नित करता है। यह वो दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र की मूसलाधार बारिश के क्रोध से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था।


                               

                                           पांचवा दिन

                                        


5. भाईदूज |BhaiDooj   


भाइयों और बहनों के बीच प्रेम का प्रतीक दर्शाता है। भाई उन्हें उनके प्यार की निशानी के रूप में एक उपहार देते हैं। 

कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर तिलक लगाकर आरती उतारनी चाहिए एवं उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए। 

भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।


        यह माना जाता है कि धन (लक्ष्मी देवी) बहुत क्षणिक है और यह केवल वहीं रहती है, जहां कड़ी मेहनत, ईमानदारी और कृतज्ञता हो। श्रीमद भागवत में, वहाँ एक घटना के बारे में एक उल्लेख है जब देवी लक्ष्मी ने राजा बली का शरीर छोड़ दिया और भगवान इंद्र के साथ जाना चाहती थी। पूछताछ पर उन्होंने कहा कि वह केवल वहीं रहती है, जहां 'सत्य', 'दान', 'तप', 'पराक्रम' और 'धर्म' हो।

इस दिवाली हम सब प्रार्थना करे और आभारी महसूस करें। विश्व के हर कोने में समृद्धि हो और सभी लोग प्यार, खुशी और अपने जीवन में विपुलता का अनुभव करे।

आचार्य मुकेश की विशेष सलाह:  
धनतेरस से दिवाली तक माता लक्ष्मी के सामने घी की अखंड-ज्योति जलाएं !


धन स्थिरता हेतु :---




दीवाली के दिन कमलगट्टे से श्रीसूक्त की १६ ऋचाओं से हवन करें ! 



दीवाली के दिन शाम की मुख्य पूजा तक व्रत रखें !



शंख के  बिना माता की पूजा अधूरी होती है !


माता के साथ श्री हरि विष्णु की पूजा अनिवार्य होती है !

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                                           आचार्य मुकेश





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