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Monday, 11 November 2019

देव दिवाली /Kartik Purnima 2019 Date Time DEV DIWALI : कार्तिक पूर्णिमा कब है, कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, व्रत विधि, स्नान और कार्तिक पूर्णिमा की कहानी


दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन देव दिवाली का त्योहार मानाया जाता है. हर त्योहार की तरह यह त्योहार भी कई राज्यों में मनाया जाता है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्साह बनारस में देखने को मिलता है. इस दिन मां गंगा की पूजा की जाती है. इस दिन गंगा के तटों का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है, क्योंकि देव दिवाली के इस पर्व पर गंगा नदी के घाटों को दीए जलाकर रोशन किया जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (Kartik Purnima Ka Mahatva)


कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से पूजा करना सबसे अधिक पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। इस दिन पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा करने से कुंडली में शनि दोष भी समाप्त हो जाते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासर राक्षस का अंत किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में तपस्या की थी और ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था और ये वरदान मांगा था कि वह किसी देवता या मनुष्य के हाथों न मारा जाए। जिसके बाद भगवान शिव ने उस राक्षस का वध करके संसार में धर्म की स्थापना की थी।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावलों के दान को बेहद शुभ माना जाता है। चावल को चंद्रदेव की वस्तुओं में गिना जाता है। इसलिए इस दिन चावल के दान को शुभ माना जाता है। कार्तिकपूर्णिमा के दिन घर के दरवाजे पर रंगोली बनाना भी शुभता का प्रतीक माना जाता है।


कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)


1.कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद जल और चावल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

2.कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों को तोरण बनाकर लगाएं।

3.भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। शाम के समय में तुलसी के नीचे दीपक प्रज्वलित करें।

4.कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहन, भांजे, बुआ, बेटी को दान के रूप में कुछ दें।

5.कार्तिक पूर्णिमा के दिन सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र किसी निर्धन व्यक्ति को अवश्य दान करें।


इन बातों का रखें ध्यान

- देव दिवाली के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है.

- इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है.

- देव दिवाली के दिन दीये दान करना बहुत शुभ माना जाता है.

- माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूरब की तरफ मुंह करके दीये दान करते हैं, उनपर ईश्वर की कृपा होती है. यह भी कहा जाता है कि इस दिन दीये दान करने वालों को ईश्वर लंबी आयु का वरदान देते हैं. साथ ही घर में सुख शांति का माहौल बना रहता है.



कार्तिक पूर्णिमा की कथा (Kartik Purnima Katha)


कार्तिक पूर्णिमा कथा के अनुसार एक बार त्रिपुर नाम के असुर ने कठोर तपस्या की। त्रिपुर की तपस्या को देखकर जड़-चेतन, जीव-जन्तु तथा देवता आदि सभी डर गए थे। उस समय सभी देवताओं ने त्रिपुर की तपस्या को भंग करने का निर्णय लिया और उन्होंने अत्यंत ही सुंदर अप्साराओं को उसके पास भेजा।

लेकिन त्रिपुर की तपस्या इतनी कठोर थी कि वह उसे भंग नहीं कर पाई। जिसके बाद ब्रह्मा जी स्वंय प्रकट हुए और उसे अपनी तपस्या का वरदान मांगने के लिए कहा। तब त्रिपुर ने वरदान स्वरुप मांगा की उसे न तो कोई देवता मार सके और न ही कोई मनुष्य। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया।

इस वरदान के मिलते ही उसने लोगों पर अत्याचार करना शुरु कर दिया। जिसके बाद वह कैलाश की और चल पड़ा। कैलाश पर पहुंचने के बाद उसके और भगवान शिव के भंयकर युद्ध हुआ। यह युद्ध काफी लंबे समय तक चला। जिसके बाद भगवान शिव ने विष्णु और ब्रह्मा जी आह्वाहन किया और उस राक्षस को मार दिया।



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