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Monday, 16 April 2018

क्यों वर्जित है पूर्ण निर्वस्त्र होकर स्नान करना ?


हमारे जीवन में रोज का सबसे प्रथम और महत्वपूर्ण हिस्सा है नहाना ! आधुनिक युग में स्नान करने की क्रिया में काफी बदलाव आया है ! पहले जहां लोग खुले में, नदी में, तालाब में स्नान किया करते थे वही अब स्नान करने के लिए आधुनिक स्नान घर बनवा रहे हैं, जो पूरी तरह गोपनीय बने रहते हैं. हम में से अधिकतर लोग पूरे कपड़े उतार कर स्नान करना पसंद करते हैं जो कि स्वाभाविक है और आम बात है ! ज्यादातर हाई प्रोफाइल घरों की महिलाए व तमाम पुरूष बाथ-टब में नहाने का आनंद लेने के लिए पूरे कपड़े उतार कर होकर नहाते है। 




लेकिन आध्यात्म के नजरियों से यह तरीका गलत होता है। पद्मपुराण  एवं गरुड़ पुराण में निर्वस्त्र होकर स्नान करना वर्जित माना गया है और साथ ही इसके कई नुकसान भी बताए गए हैं ! 

इसलिए आप हमेशा ध्यान रखें आप कहीं भी नहा रहे हैं चाहे बाथरूम में हो या फिर कहीं और आपके शरीर पर एक वस्त्र होना ही चाहिए।
               

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पद्मपुराण में निर्वस्त्र होकर नहाना वर्जित है

पद्मपुराण और श्रीमद्भाग्वत कथा में इसका उल्लेख भी है जिसमें ये लिखा है कि जब गोपियाँ निर्वस्त्र हो कर नदी में स्नान करने जाती हैं तो श्रीकृष्ण उनके कपडे चुरा कर पेड़ पर टांग देते हैं और जब वो बिना कपडे के बाहर नही आ पाती है ! 
तो उनसे प्रार्थना करती हैं की उनके कपड़े लौट दिए जाये। श्री कृष्‍ण कन्याओं से पूछते हैं जब न‌िर्वस्‍त्र होकर जल में गई थी तब शर्म नहीं आयी थी। तो गोपिया कहती है कि उस समय यहाँ कोई न ही था लेकिन श्री कृष्‍ण कहते हैं यह तुम सोचती हो क‌ि मैं नहीं था, लेक‌िन मैं तो हर पल हर जगह मौजूद होता हूं।




यहां आसमान में उड़ते पक्ष‌ियों और जमीन पर चलने वाले जीवों ने तुम्हें न‌िर्वस्‍त्र देखा। तुम न‌‌िर्वस्‍त्र होकर जल में गई तो जल में मौजूद जीवों ने तुम्हें न‌िर्वस्‍त्र देखा और तो और जल में नग्न होकर प्रवेश करने से जल रूप में मौजूद 


वरुण देव ने तुम्हें नग्न देखा और यह उनका अपमान है और तुम इसके ल‌िए पाप के भागी हो। वो कहते हैं कि आपकी नग्नता आपको पाप का भोगी बनाती है।




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क्या लिखा है इस बारे में गरुड़पुराण में:

गरुड़ पुराण के अनुसार नहाते समय हमारे पितर यानी पूर्वज (Ancestor) हमारे साथ होते है और वस्त्रों से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं, जिनसे उनकी तृप्ति होती है। पर अगर हम वस्त्र पहनकर नहीं नहाते तो वो अतृप्त हो जाते हैं। और उनके अतृप्त होने से हमारे जीवन में तेज ,धन, बल, और सुख आदि का नाश होता है एक चीज़ और बता दे आपको बता दे कि कई अन्य धर्मों में इसका उल्लेख भी मिलता है।

हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो like और share जरूर करें ताकि अन्य लोग भी इस जानकारी का लाभ उठा पाएं ! दोस्तों मुझे पता है की आज के दौर में ये बातें बेमानी लगती है परन्तु सफल लोग हमेशा से वेदों और पुराणों  में लिखी बातें अमल करते आये हैं ! अगर हमारी छोटी सी एक कोशिश  हमें और अच्छा बनाती है तो इसे मानने में समस्या नहीं होनी चाहिए ! गीता के उपदेश गलत नहीं, हमारे  बुजुर्गों की बात गलत नहीं हो सकती क्योंकि उसमे हमारी आज की LOGIC नहीं वर्षों का तजुर्बा छिपा होता है  ! इसलिए क्यों न पूछें बस कुछ बातें यूँ होती है ! 


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