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Saturday, 1 September 2018

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2018 मुहूर्त एवं पूजा-विधि BY आचार्य मुकेश krishna janmashtami 2018


             
             श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत
 5245th Birth Anniversary of Lord Krishna
                2nd,3rd September 2018
        Sunday/रविवार Monday/सोमवार


इस बार २०१८ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत दो दिनों का है ! व्रत करने वाले लोगों में ये चर्चा का विषय है की वो व्रत किस दिन करें ! तो आइये आचार्य मुकेश आपको इस संशय से दूर कर दें !

                              श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त

2 सितंबर- अष्टमी रात्रि 8.47 से प्रारमभ होकर 3 सितंबर को 19.20 तक, उसके बाद नवमी।

रोहिणी नक्षत्र- दो सितंबर को 8.49 बजे से प्रारम्भ होकर 3 सितंबर को  रात्रि 8.06तक।

निशीथ काल- दो सितंबर को रात्रि 11.57 से 12.48 तक

जब भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में अर्ध रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हो, तब श्री कृष्ण जयंती योग बनता है। द्वापर युग में घटित यह काल चक्र 2 सितंबर 2018, रविवार को भी घटित होगा। 2 सितंबर को रात्रि 8 बजकर 49 मिनट के बाद अष्टमी तिथि लग रही है और इस तिथि में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त होगा।

आचार्य मुकेश के अनुसार दो सितंबर को अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का रात्रिकालीन मिलन हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि बारह बजे माना गया है। इसलिए, दो सितंबर को जन्माष्टमी करना श्रेष्ठ है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। स्मार्त/गृहस्थ के लिए दो सितंबर को ही व्रत व्रत करना शुभ-फलदायक होगा !

अर्थात व्रत २ को करें या ३ को पारण व्रतीगण को ३ सितम्बर को रात्रि 8.20 के उपरांत ही करना है अथवा व्रत सम्पूर्ण नहीं माना जायेगा !
जो भक्त ये सोचते हैं की उदयातिथि अनुसार ३ सितम्बर को व्रत करके ४ सितम्बर की सुबह व्रत खोलें तो यह भी संभव है क्योंकि मथुरा और वृन्दावन में ३ सितम्बर को ही उत्सव मनाया जा रहा है !

वैश्णव जन्माष्टमी के दिन ३ सितम्बर को व्रत रखनेवालों के लिए पारण समय ये रहा
                                        : - After 06:04 AM, Sep ०4

पर याद रहे की यह रात्रि व्रत है। .. 

श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के १२ बजे हुआ था,
अष्टमी तिथि थी
तथा रोहिणी नक्षत्र था !
 

अतः सिर्फ ३ सितम्बर को व्रत करने पर उदय तिथि का पालन होता है पर उपरोक्त बातों के अभाव में ही आपको व्रत करना होगा !
Ashtami Tithi Begins - 20:47 on Sep 02, 2018
Ashtami Tithi Ends - 19:20 on Sep 03, 2018
Rohini Nakshatra Begins - 20:49 on Sep 02, 2018
Rohini Nakshatra Ends - 20:06 on Sep 03, 2018

पारण-समय धर्मशास्त्र के अनुसार 

Parana Time - After 08:06 PM, Sep 03
On Parana Day Ashtami Tithi End Time - 07:20 PM
On Parana Day Rohini Nakshatra End Time - 08:06 PM

कहा जाता है कि जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके 3 जन्मों का पाप का नाश होता है और कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करने वाले उपासक के लिए मोक्ष का मार्ग सुगम होता है। इस दिन भगवान का स्मरण और राधा-कृष्ण का नाम लेना भी अतिफलदायक होता है। 



दोनों ही बातों का तथा पौराणिक मान्यताओं एवं उदयातिथि के अनुसार आचार्य मुकेश आपको यह सलाह देते हैं की ऐसा कभी कभी होता है और कई बार पहले भी पंचांग भेद अथवा तिथि की संशय रही है पर इस बार २ सितम्बर २०१८ की सुबह श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव व्रत का मन से संकल्प लें , रात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में धूम धाम से अभिषेक और उत्सव मनाएं परन्तु  पारण अगले दिन अष्टमी समाप्त होने के बाद रात्रि को ०८.२० के बाद ही करें ! इससे आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होगी !



संशय मुक्त पूजा अर्चना करें ! आपके सफल शुभ पूजा अर्चना और आपकी सुख शांति और सफलता के लिए एस्ट्रो नक्षत्र २७  से आचार्य मुकेश आपको तथा आपके पुरे परिवार को शुभकामनाएं देते हैं !





आपको बताते हैं कि किस प्रकार जन्माष्टमी का पूजन करें...
              
     

व्रत वाले दिन, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद, पूरे दिन उपवास रखकर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण के जन्म के बाद किया जाता है। 

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में पान का पत्ता अवश्य शामिल करें। पान के पत्ते पर कुमकुम से 'ऊं वासुदेवाय नमः' लिखें और भगवान की मूर्ति के समक्ष रखकर पूजा करें। भगवान श्रीकृष्ण के प्रसाद में तुलसी के पत्ते मिलाए जाते हैं। जन्माष्टमी की शाम तुलसी पूजन अवश्य करें। 


1- जन्माष्टमी पूजन का पहले संकल्प लें। थोड़ा कीर्तन करें। फिर ऊं कृं कृष्णाय नम:, ऊं कृष्णाय नम: या श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी.... का जाप करते रहें 


2- जन्माष्टमी पूजन के समय सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण या लड्डू गोपाल का जल से अभिषेक करें 


3- जल के बाद गंगाजल से अभिषेक करें। 


4- इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और बूरे से अभिषेक करें। इसके बाद फिर गंगाजल से स्नान कराएं। 


5- गंगाजल और दूध से स्नान के बाद पुन: पंचामृत से और फिर गंगाजल से स्नान कराएं ( याद रहे, दूध और गंगाजल से स्नान तीन बार होना है) 


6- स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण या लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। 


7- श्रृंगार के बाद गोपाल जी को झूले पर प्रतिष्ठापित कराएं। भगवान की छठी तक झूले पर ही विराजमान रखें। 


8- ठाकुर जी का स्नान कराने के बाद भगवान को इत्र लगाएं। उमंग के साथ कीर्तन करें। विष्णु सहस्त्रनाम या गोविंद सहस्त्रनाम का पाठ करें 


9- ऊं कृं कृष्णाय नम: मंत्र की एक माला करें। 


10- ठाकुर जी को वस्त्राभूषण भेंट करें। उनको मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। मिश्री और मक्खन अवश्य रखें 


11- इसके बाद ठाकुर जी की आरती करें। 


12- यथासंभव, ठाकुर जी का प्रसाद दो हिस्सों में करें। एक मंदिर के लिए और एक भोग के लिए। किसी गरीब को प्रसाद देना सार्थक है।


निःसंतान दंपतियों के लिए श्री कृष्ण जयंती का महत्व


इस वर्ष श्री कृष्ण जयंती योग बनना निःसंतान दंपतियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। ऐसे तमाम लोग जिन्हें अभी तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई है। वे इस जन्माष्टमी पर पूरे विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और व्रत रखें। साथ ही संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और हो सके तो संतान गोपाल यंत्र की स्थापना भी करें।


“ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।।”


श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व


शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी के व्रत एवं पूजन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त दुःख दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत एक वरदान है।

             
                                              :- एस्ट्रो नक्षत्र २७  से आचार्य मुकेश

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