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Monday, 15 October 2018

नवरात्री सप्तमी "माता कालरात्रि" करेंगी "शनि" के अशुभ प्रभावों को नष्ट




माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। वे शुभंकारी देवी हैं। उनकी उपासना से होने वाले शुभों की गणना नहीं की जा सकती। हमें निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।

माता कालरात्रि का संबंध शनि ग्रह से है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि नीच, या राहु के साथ युतिगत हो पितृ दोष बना रहा हो या पीड़ित हो तो कालरात्रि की साधना से ये दोष कम होते जाते हैं। आलस्य में कमी आती है।कर्म भाव मजबूत होता है , आय बढ़ती है तथा शत्रुओं का नाश होता है।

अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली और काल से भी रक्षा करने मां कालरात्रि और शनिदेव का गहरा संबंध है। शनिदेव का रंग काला है और मां कालरात्रि का स्वरूप भी काले रंग का है। मां कालरात्रि असुरों का विनाश करने वाली है तथा शनिदेव भी दुष्टों व अत्याचारियों को दण्ड देने के लिए जाने जाते हैं। सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य भगवान हैं और शनिदेव के पिता भी सूर्य देव हैं। अतः मां कालरात्रि एंव शनि देव का आपस में भाई-बहन का रिश्ता हुआ।  जानते हैं इस शुभ संयोग में कैसे करें मां कालरात्रि का पूजन जिससे शनिदेव की कृपा भी बनी रहे


ऐसे करें पूजा-पाठ :
1- सप्तमी के दिन मां कालरात्रि गुड़ अर्पित करें और गुड़ को प्रसाद रूप में गरीबों को वितरित करें जिससे शनि देव का कुप्रभाव नष्ट होगा।


 2- इस मन्त्र ‘‘या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो मनः'' का जाप करने मात्र से ही शनि देव बुरा असर समाप्त हो जायेगा। 

3- दुर्गा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि को दूध में शहद मिलाकर भोग लगाने से शनिदेव बुरा प्रभाव शान्त होता है।

4- आज के दिन शप्तशती का विधिवत पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव भी कम हो जाता है।


5- दुर्गा सप्तमी के दिन नावार्ण मन्त्र- "ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" की कम से कम 9 माला जाप करने से शनि देव का बुरा असर कम होने लगता है।







नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में सातवें दिन इसका जाप करना चाहिए।

                                                 मंत्र



या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।

                 ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः |

देवी कालरात्रि के मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।

देवी कालरात्रि के स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

देवी कालरात्रि के कवच

ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥


0टिप्पणियांरसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

आचार्य मुकेश

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