🍁दिन~ रविवार
🍁विक्रम सम्वत्~ 2075(विरोधाकृत)
🍁शकसम्वत्~1940 (विलंबी)
🍁द्रिक अयन~ ↪️दक्षिणायण
☯️द्रिक ऋतु~शरद
🌅सूर्योदय~06:50.
🌇सूर्यास्त~17:22.
🌗चन्द्रोदय~ 14:37.
🌜चन्द्रास्त~ 26:40+.
🌱🌿मास~कार्तिक
⚪पक्ष~शुक्ल पक्ष
❇️तिथि ~ दशमी 13:34.
🌜चंद्रराशि~कुम्भ♓ 10:04
🌠चंद्र नक्षत्र ~ पूर्वाभाद्रपद 16:32.
🌝योग ~हर्षण 19:03.
🌞सूर्य ~ वृश्चिक♏
✴️सूर्य नक्षत्र~ विशाखा
✴️मंगल ~ कुम्भ♐
✴️बुध(वक्री)~ वृश्चिक♏
✴️बृहस्पति⬇️(अस्त)~ वृश्चिक♏
✴️शुक्र ~ तुला♎
✴️शनि ~धनु♐
✴️राहु ~ कर्क♋
✴️केतु ~ मकर♒
🗾करण~
गरज ~13:34.
वणिज~26:07+.
👹राहुकाल~16:03 - 17:22.
🌻अभिजीत मुहुर्त~11:45 - 12:27
👺गंडमूल ~
19-11-18 # 05:57 से, 21-11-18 # 06:33
☠️पंचक ~
15-11-18 ⚡ 22:17 से 20-11-18 ⚡18:34
💧होमहुति~ शनि।
🔥अग्निवास~ पृथ्वी 13:34.
🛑दिशा शूल ~ पश्चिम⚓
🚗यात्रा ~
*रविवार*
यात्रा प्रारंभ करते समय शक्कर अथवा उससे बने पदार्थ खाकर या घी अथवा उससे बने पदार्थ सेवन कर यात्रा करें तो सफलता मिलती है। यदि घी-शक्कर दोनों से संयुक्त व्यंजन का सेवन किया जाए तो सफलता मिलने की संभावना प्रबल होती है।
🔘19 नवंबर- देवउठनी ग्यारस
🔘22 नवंबर- वैकुंठ चतुर्दशी
🔘23 नवंबर- कार्तिक पूर्णिमा
*देव उठनी एकादशी*
🔶कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी नामों से जानते हैं।
🔶ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद
कार्तिक मास की एकादशी के दिन जागते हैं।
🔶इनके जागने के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं।
🔶देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है।
🔶अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है।
🔶जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करते हैं।
🔶युवा जो प्रेम में हैं लेकिन विवाह नहीं हो पा रहा है उन युवाओं को तुलसी विवाह करवाना चाहिए।
🔶तुलसी विवाह करवाने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
🔶तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।
आचार्य मुकेश
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