आज बृहस्पतिवार है देव गुरू बृहस्पति का दिन। शास्त्रों के मुताबिक गुरु बल ही ईश्वर कृपा को संभव बना देता है। इसलिए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप भी बताया गया है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही जीवन में घुली अशांति और कलह को दूर करने का शुभ दिन है। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं। आइये Astro Nakshatra 27 से आचार्य मुकेश के द्वारा जानें कुछ बहुमूल्य सुझाव जिसे अपनाने से आपकी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं:-
बृहस्पति ग्रह सूर्य से 5वां और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसे गैस का दानव भी कहते हैं। पीले रंग का यह ग्रह अनेक नकारात्मक परिस्थिति को सकारात्मक बना देता है। जैसे शादी नहीं हो रही हो, नौकरी व्यवसाय में सफलता नहीं मिल रही हो, मुकदमे में विजय नहीं मिल रही हो। कोई बीमारी ठीक नहीं हो रही हो, घर ,प्रॉपर्टी,गाड़ी इत्यादि-इत्यादि काम में सफलता नहीं मिल रही हो,तलाक की स्थिति बन रही हो। यदि इन पर बृहस्पति देव की दृष्टि हो जाए तो आपका काम तुरंत होता है।
1. बृहस्पति ग्रह 90% हाइड्रोजन, 10% हीलियम और कुछ मात्रा में मिथेन, पानी, अमोनिया और चट्टानी कणों से मिलकर बना हुआ है।
2. बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का ‘वैक्युम क्लीनर’ भी कहा जाता हैं यह पृथ्वी को विनाशकारी हमलों से बचाता हैं क्योंकि ये सारी छोटी मोटी उल्का- पिण्डों को अपनी तीव्र शक्ति से अपनी ओर खींच लेता है। ठीक वैसे ही ज्योतिषिय संदर्भ में आपकी जीवन के सारे ग्रहों की नकरात्मक ऊर्जा भी ये खींचने में सक्षम है।
3. बृहस्पति ग्रह को कुंडली में अनुकूल करने का सटीक तरीका यह है :
बृहस्पति ग्रह की अनुकूलता हेतु देवगुरु बृहस्पति के मंत्रो का जाप सबसे अधिक फल प्रदान करता है।
यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति प्रतिकूल प्रभाव दे रहे हैं तो आप को तुलसी की माला से निम्न मंत्र का जाप कुल 88000 जाप बृहस्पति के नक्षत्र में किसी सक्षम ब्राह्मण से करा कर अग्निवास में हवन कराएं। लाभप्रद सिद्ध होगा। मंत्र निम्नवत है -
ॐ ऐ क्लीं बृहस्पतये नमः या ॐ क्रीं कृष्णाय नमः
या जातक स्वयं ॐ बृं बृहस्पतये नमः का जाप अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार प्रतिदिन कर सकते हैं।
4. बृहस्पति को अनुकूल बनाने का दूसरा आसान तरीका है बृहस्पति के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा अथवा पूर्वा-भाद्रपद) में 'विष्णु सहस्त्रनाम' के 108 पाठ कराएं।
5. बृहस्पति ग्रह की अनुकूलता हेतु व्रत उपवास सप्ताह के दिवस बृहस्पतिवार को रखा जाता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के योग के दिन इस व्रत की शुरुआत करना चाहिए। नियमित सात व्रत करने से गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाला अनिष्ट नष्ट होता है।
सावधानी: यदि बृहस्पति अस्त हो तो व्रत प्रारंभ नहीं करना चाहिए।
कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए। पीले रंग के चंदन, अन्न, वस्त्र और फूलों का इस व्रत में विशेष महत्व होता है।
बृहस्पतिवार व्रत के पूजन से स्त्री-पुरुष को वृहस्पतिदेव की अनुकम्पा से धन-संपत्ति का अपार लाभ होता है। परिवार में सुख तथा शांति रहती है। स्त्रियों के लिए बृहस्पतिवार का व्रत बहुत शुभ फल देने वाला है। बृहस्पतिवार का नियमित व्रत रखने वाली स्त्री की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
6. ज्योतिष के अनुसार हल्दी के पीले रंग को बृहस्पति से जोड़ा जाता है, इसलिए ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत किसी जातक की कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति को मजबूती प्रदान करने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है। बृहस्पति को मजबूत करने के लिए यह एक रामबाण इलाज माना गया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि पीली हल्दी बृहस्पति को कैसे मजबूती प्रदान कर सकती है। तो चलिए जानते हैं कि पीली हल्दी की सहायता से किस तरह मजबूती प्रदान की जा सकती है।
7. गांठ वाली हल्दी-
गांठ वाली हल्दी को एक पीले धागे में बांधकर अपने बाजू या गले में पहनें। यह टोटका पीले पुखराज की तरह कार्य करता है जो बृहस्पति को मजबूत करने में सहायता देता है। अगर आप भी हल्दी धारण करने का मन बना रहे हैं तो इसे गुरुवार के दिन ही पहनें, शुभ फल मिलेगा।
8. यदि शादी में बाधाएं आ रही हो -
ज्योतिष में बृहस्पति को मजबूती प्रदान करने के अलावा जल्दी शादी के लिए भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति की शादी में लगातार बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं या फिर किसी कारणवश विवाह संभव नहीं हो पा रहा है तो उसके लिए कुछ टोटके हैं।
9. शास्त्रों में तुलसी के बाद केले के पौधे को अत्यंत शुभ माना गया है, किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है केले के पेड़ ! इसका सम्बन्ध बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है! धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी कि भगवान विष्णु का दिन होता है। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में भी देवताओं का वास माना गया है। शुभ कार्यों में केले के पौधे का मंडप और तोरण बनाने की परंपरा पायी जाती है. देव कार्यों में या देवताओं के लिए केले के पत्ते पर ही भोजन का प्रावधान है. केले की जड़ को पीले धागे में बांधकर धारण करने से बृहस्पति मजबूत होता है! घर में तुलसी के पौधे के अलावा केले का पेड़ लगाना कई दुख और संकट से छुटकारा दिलाता है।
10. बृहस्पति की शुभता के लिए रत्न : (पुखराज ):- वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति का प्रत्येक कुंडली में विशेष महत्व है तथा किसी कुंडली में बृहस्पति का बल, स्वभाव और स्थिति कुंडली से मिलने वाले शुभ या अशुभ परिणामों पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। बृहस्पति के बल के बारे में चर्चा करें तो विभिन्न कुंडली में बृहस्पति का बल भिन्न भिन्न होता है जैसे किसी कुंडली में बृहस्पति बलवान होते हैं तो किसी में निर्बल जबकि किसी अन्य कुंडली में बृहस्पति का बल सामान्य हो सकता है। विभिन्न कारणों के चलते यदि बृहस्पति किसी कुंडली में निर्बल रह जाते हैं तो ऐसी स्थिति में बृहस्पति उस कुंडली तथा जातक के लिए अपनी सामान्य और विशिष्ट विशेषताओं के साथ जुड़े फल देने में पूर्णतया सक्षम नहीं रह पाते जिसके कारण जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कुंडली में निर्बल बृहस्पति को ज्योतिष के कुछ उपायों के माध्यम से अतिरिक्त उर्जा प्रदान की जाती है जिससे बृहस्पति कुंडली में बलवान हो जायें तथा जातक को लाभ प्राप्त हो सकें। बृहस्पति को किसी कुंडली में अतिरिक्त उर्जा प्रदान करने के उपायों में से उत्तम उपाय है बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज धारण करना जिसे धारण करने के पश्चात धारक को बृहस्पति के बलवान होने के कारण लाभ प्राप्त होने आरंभ हो जाते हैं।
पीला पुखराज रत्न बृहस्पति की उर्जा तरंगों को अपनी उपरी सतह से आकर्षित करके अपनी निचली सतह से धारक के शरीर में स्थानांतरित कर देता है जिसके चलते जातक के आभामंडल में बृहस्पति का प्रभाव पहले की तुलना में बलवान हो जाता है तथा इस प्रकार बृहस्पति अपना कार्य अधिक बलवान रूप से करना आरंभ कर देते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज किसी कुंडली में बृहस्पति को केवल अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है तथा पीला पुखराज किसी कुंडली में बृहस्पति के शुभ या अशुभ स्वभाव पर कोई प्रभाव नहीं डालता। इस प्रकार यदि किसी कुंडली में बृहस्पति शुभ हैं तो पीला पुखराज धारण करने से ऐसे शुभ बृहस्पति को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण जातक को बृहस्पति से प्राप्त होने वाले लाभ अधिक हो जायेंगें जबकि यही बृहस्पति यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ है तो बृहस्पति का रत्न धारण करने से ऐसे अशुभ बृहस्पति को और अधिक बल प्राप्त हो जायेगा जिसके चलते ऐसा अशुभ बृहस्पति जातक को और भी अधिक हानि पहुंचा सकता है। इस लिए बृहस्पति का रत्न पीला पुखराज केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में बृहस्पति शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को बृहस्पति का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में बृहस्पति अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं।
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