शास्त्रों की मानें तो मनुष्य जीवन को दो चीजें प्रभावित करती हैं, एक उसकी किस्मत , जो उसकी कुंडली में व्यवस्थित ग्रहों पर आधारित है और दूसरी है वास्तु। वास्तुशास्त्र एक समृद्धि विज्ञान है जो मुख्यतौर पर हमारे आसपास मौजूद ऊर्जा पर केन्द्रित है।
आपका भाग्य
प्राचीन ऋषि-मुनियों का यही मानना था कि अगर आपका भाग्य उज्जवल है और आसपास का वास्तु खराब.. हो तो किए गए प्रयासों का संपूर्ण फल नहीं प्राप्त हो पाता। इसलिए अगर वाकई आप अपने भविष्य को लेकर गंभीर हैं तो आपको इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि आपके आसपास का वातावरण शुद्ध हों, किसी भी तरह के वास्तुदोष से मुक्त हो।
नकारात्मक फल
वास्तुशास्त्र में ऊर्जा के साथ-साथ दिशाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर दिशा का अपना-अपना महत्व है और जरा सी भी छेड़छाड़ नकारात्मक फल प्रदान करती है।
दिशाएं
उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है।
ईषान
ईषान का सीधा संबंध सीधे ईश्वर से है, ईश आन। कहने का अर्थ यह है कि इस स्थान पर ईश्वर की पवित्रता और उसकी मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।
गंदगी
ईषान कोण में गंदगी बिल्कुल ना करें, यहां अपवित्र वस्तुएं और कबाड़ का समान भी बिल्कुल ना रखें।
भारी वस्तुएं
ईषान कोण में भारी वस्तुएं या झाड़ू कदापि ना रखें। एक बात पर ध्यान अवश्य रखें, घर का नक्शा बनाते समय ईषान कोण में बाथरूम बिल्कुल नहीं होना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो वंश वृद्धि और ग्रह कलेह जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
चरित्र
जिन घरों में ईषान कोण दूषित होता है वहां रहने वाले लोगों का चरित्र अच्छा नहीं रहता, उन्हें लंबी बीमारियों जैसे हालातों का सामना करना पड़ता है।
गड्ढा या दरार
अगर ईषान कोण में गड्ढा या दरार होती है या फिर रसोई बनाई गई होती है तो घर में दरिद्र्ता का वास होता है।
मंदिर
सबसे उत्तम तो ये है कि इस कोण को खाली और स्वच्छ रखें, लेकिन अगर कुछ बनवाना ही है तो यहां मंदिर स्थापित करवाएं।
ईषान कोण
यदि किसी मकान के ईषान कोण में बहता पानी, नदी, कुआं आदि है तो उस घर की जमीन सोना उगलने वाली होती है।
स्कूल
अगर इस स्थान पर स्कूल बना हुआ है तो वहां पढ़ने वाले विद्यार्थी उत्तम शिक्षा प्राप्त करते हैं। अगर अस्पताल है तो निश्चित तौर पर वहां मरीज अच्छी सेहत लेकर जाते हैं। ईषान में दुकान या ऑफिस हो तो व्यापार फलता-फूलता है।
ईश्वर का वास
ईषान कोण स्वयं ईश्वर का वास होता है। घर, मकान, ऑफिस.. चाहे कुछ भी बनवाएं सफलता प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए ईषान कोण का ध्यान अवश्य रखें।
Acharya Mukesh
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