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Tuesday, 30 April 2019

सबसे अधिक शुभ मुहूर्त यानी अक्षय तृतीया, पढ़ें विशेष महत्व/ अक्षय तृतीया पर कर लें यह सरल उपाय, बन जाएंगे मालमाल




वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को ही अक्षय तृतीया कहते हैं। इस बार अक्षय तृतीया का महापर्व 7 मई 2019 को है। इस दिन मांगलिक कार्य, मुंडन, शादी-विवाह, बहू का प्रथम बार रसोई स्पर्श, दुकान का उद्घाटन, व्यापार का प्रारंभ और सारे शुभ कार्य किए जाते हैं.

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त = 05:40 से 12:18 तक

अक्षय तृतीया का महत्व
   
अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीयामध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, अतः आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परंपरा भी है।

अक्षय तृतीया के दिन दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता। उसका फल आपको इस जन्म के साथ साथ कई जन्मों तक मिलता रहता है। आइए जानें 18 ऐसे काम जिनमें से अगर आपने अपनी सुविधा के अनुसार 2 भी कर लिए तो हो जाएंगे मालामाल...


1. इस दिन लोगों को मीठा खिलाएं और शीतल जल पिलाएं।

2. साथ ही गर्मी से बचने के लिए जरूरतमंदों को छाता, मटकी और पंखे का दान करें।

3. मंदिरों में वॉटर कूलर लगवाएं और भंडारा करवाते हुए मिठाई खिलाइएं। इससे आपको उस पुण्य की प्राप्ति होगी जिसका कभी क्षय नहीं हो सकता है।

4. अक्षय तृतीया को श्री विष्णु भगवान की पूजा माता लक्ष्मी के साथ साथ करना चाहिए।

5. श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ और श्री सूक्त का पाठ जीवन में धन, यश, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति कराएगा।

6. अक्षय तृतीया की पूजा में भगवान विष्णु को पीला पुष्प अर्पित करें और पीला वस्त्र धारण कराकर घी के 9 दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें।

7. जो लोग बीमारियों से ग्रस्त हैं उनको आज के दिन रामरक्षा स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।

8. अक्षय तृतीया के दिन चांदी के सिक्के और स्वर्ण आभूषणों की खरीददारी कीजिए।

9. नए वस्त्र धारण करें और मंदिर में अन्न और फल का दान करें।

10.अस्पतालों में मीठा,जल और फल का वितरण करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

11. इस दिन अपने मित्रों को और विद्वानों को धार्मिक पुस्तक का दान करने से देव गुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं।

12. विद्यार्थियों को इस दिन कठिन परिश्रम का प्रतिज्ञा करना चाहिए। छात्रों को दृढ़ संकल्पित होकर आज ईश्वर के सामने यह संकल्प लेना चाहिए कि हम आज से कठिन परिश्रम करेंगे और माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ साथ गुरु का भी आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए क्योंकि माता, पिता और गुरु का आशीर्वाद आज के दिन अनंत गुना फलदायी होता है।

13.इस महापर्व पर कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ कर सकते हैं। वाहन खरीद सकते हैं। विवाह और कोई भी शुभ मांगलिक कार्य इत्यादि कर सकते हैं।

14. इस दिन छाते का दान अवश्य करें। जगह-जगह लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें।

15. भोजन में सत्तू का प्रयोग करें। इस दिन सत्तू दान का बहुत महत्व है।

16. मंदिर में जल का पात्र और पूजा की थाल, घंटी इत्यादि का दान करें।

17. लोगों में धार्मिक पुस्तक बांटें और अपने घर के मंदिर में पूरे 24 घंटे घी का दीपक जलाएं।

18. इस दिन श्री रामचरितमानस के अरण्य काण्ड का पाठ करना चाहिए। इस काण्‍ड में भगवान राम ऋषियों और महान संतों को दर्शन देते हैं और उनके जन्म जन्मान्तर के पुण्य का फल प्रदान करते हैं। इस काण्ड का पाठ करने से भगवान श्री राम की भक्ति प्राप्त होती है।

इस व्रत अनुष्ठान करने वाले के संतान अक्षय हो जाती है । इसी तिथि को सत्ययुग का आरम्भ हुआ था, इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था।इनकी जयंतियाँ भी अक्षय तृतीया को मनायी जाती है।
अक्षय तृतीया का कभी क्षय नहीं होता। यह पूर्णता के साथ आती है। पूरे वर्ष के किसी भी तिथि का क्षय हो सकता है किंतु अक्षय तृतीया का क्षय नहीं होता। यह तिथि सभी कार्य के लिये शुभ कही गयी है। इसी तिथि को श्री बदरीनारायण के पट खुलते हैं। इसी तिथि को बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार होते हैं। इस दिन गंगा जी में स्नान का बड़ा भारी महात्म्य है। जो व्यक्ति इस तिथि को गंगा-स्नान करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस तिथि को ब्राह्मणों को जल से भरा हुआ कलश, पंखा, जूता एवं गर्मी में उपयोग में आने वाली वस्तुएँ दान की जाती है जिससे कि ये वस्तुएँ हमारे पूर्वज के पास स्वर्ग में पहुँच जाये। सुहागन स्त्रियाँ और कन्याएँ इस तिथि को गौरी की पूजा भी करती है एवं भींगे हुये चने, मिष्ठान और फल बाँटती है। इस तिथि के महात्म्य के श्रवण के बाद अन्य कोई महात्म्य के श्रवण की आवश्यकता नहीं रह जाती। यह अत्यन्त महिमामयी एवं परम सौभाग्यदायिनी है।
अक्ष य तृतीया को स्नान कर विष्णु भगवान का लक्ष्मी सहित पूजन करें। उसके बाद जल से भरा हुआ घड़ा, अन्य दान की सामग्री, गर्मी में उपयोग होने वाले वस्तुओं के साथ किसी योग्य ब्राह्मण को दान करें।


अक्षय तृतीया के दिन दान करने वाली वस्तुएँ:-

गन्ने के रस से बने हुये मिष्ठान, दूध से बने हुये खाद्य पदार्थ, दही, चावल, खीरा, ककड़ी, खरबूज, लड्डू, नमक, घी, पंखा, वस्त्र, जूता, सत्तू , जल से भरा हुआ घड़ा इत्यादि ब्राह्मणों को दान देना चाहिये।
अक्षय तृतीया पूजन विधि:-


अक्षय तृतीया को प्रात: काल उठ कर नित्य कर्म से निवृत हो जायें । यदि सम्भव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें अन्यथा घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। पूजा स्थल को स्वच्छ कर लें। सभी पूजन सामग्री के साथ आसन पर बैठ जायें। चौकी या लकड़ी के पटरे पर विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।


गणेश पूजन:- 

सबसे पहले गणेश जी का पूजन पंचोपचार विधि से करें। चौकी के पास हीं किसी पात्र में गणेश जी के विग्रह को रखकर पूजन करें। यदि गणेश जी की मूर्ति उपलब्ध न हो तो सुपारी पर मौली लपेट कर गणेशजी बनायें। 
                                 
अब विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। धूप,दीप, पुष्प अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में मिष्ठान के साथ जौ, गेहूँ के दाने, सत्तू, चने की दाल, अक्ष त इत्यादि अर्पित करें। साथ में तुलसी दल भी अर्पित करें। विष्णु भगवान के “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अक्षय तृतीया की कथा एवं महात्म्य को सुने अथवा सुनायें। इसके बाद आरती करें। आरती के बाद प्रभु को आरती दें। तत्पश्चात सभी उपस्थित जन को आरती दें एवं स्वयं भी लें ।

Acharya Mukesh

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