मकर संक्रांति महज एक खगोलीय राशि परिर्वतन नहीं है. इसके ज्योतिषीय महत्व भी हैं. इस दिन सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं. वहीं सूर्य अपने पुत्र यानि शनि से मिलने उनके घर आते हैं. व्यक्ति के जीवन में इस परिर्वतन का बहुत असर होता है. इसीलिए इस पर्व को इतना महत्व दिया जाता है. सूर्य की गति इस दिन से बढ़ने लगती है. खरमास खत्म हो जाता है और शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. ऐसा सब सूर्य के गोचर के कारण ही होता है.
सूर्य का मजबूत होना बहुत जरूरी है. जिस व्यक्ति के जीवन में सूर्य कमजोर होते हैं उसे मेहनत करने के बाद भी सम्मान नहीं मिलता है और हर क्षेत्र में तरक्की की रफ्तार में वह पीछे रह जाता है. सूर्य को प्रभावशाली ग्रह माना गया है. जिस व्यक्ति के जीवन में सूर्य मजबूत स्थिति में होते हैं सूर्य उस व्यक्ति को मान सम्मान, पद- प्रतिष्ठा, उच्च पद सभी कुछ प्रदान करते हैं.
जिन लोगों को जीवन में इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है उन लोगों के लिए मकर संक्रांति का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. इस दिन सूर्य की पूजा करने से कई तरह के कष्ट और संकट मिट जाते हैं.
सूर्य भगवान के लिए हवन करने से सूर्य की शुभता बढ़ जाती है।
इस दिन स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को याद करते हुए सूर्य मंत्र 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:' का जप करना चाहिए. पूजा करने के बाद जल में गंगा जल मिलाकर उसमें चंदन का पाउडर मिलकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिए. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य की अशुभता दूर होती है.
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