नवरात्री समापन के बाद माता दुर्गा की शांति पूजन अनिवार्य होती है ! इनकी शांति के उपरांत ही माता लक्ष्मी रूप में माता आशीर्वाद देती हैं ! अतः जिन भक्तों ने माता की पूजा इन नवरात्री में की है उन्हें पूर्णिमा अथवा धनतेरस के पहले किसी भी दिन घर में माता की शांति-पूजन अवश्य करवानी चाहिए ! जैसा की आप सभी भक्तों को पता है की माता से बड़ी कोई शांति इस ब्रह्माण्ड में नहीं ! स्वयं शिव शम्भू भी इनके रौद्र रूप को सहने में सक्षम नहीं हैं!
नवरात्री में माता के नव रूपों की पूजा होती है जिसमे कुछ रूप सौम्य हैं तो कुछ उग्र भी हैं ! अतः माता की शक्ति की शांति हेतु घर में श्री सत्यनारायण स्वामी की पूजा का आयोजन करें तथा उसी अंतर्गत पंचदेव पूजन कर माता को शांत होने का आग्रह करें !
इस पूजन में कोई बहुत बड़े आयोजन की आवश्यकता नहीं होती, यदि आप चाहें तो स्वयं भी छोटे स्तर पर माता की शांति कर सकते हैं ! शास्त्रों के अनुसार बिना देवी के शांति पूजन के किसी अन्य देवी या देवता का पूजन वर्जित है ! यदि शांति के पहले पूजा करनी है तो पहले गणपति के बाद माता शक्ति की पूजोपरान्त ही किसी अन्य देवी-देवता का पूजन करें अन्यथा माता सभी पुण्यों को भष्म कर देती है !
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