भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। दरअसल इस दिन को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखद होने लगता है।
करवाचौथ व्रत के दिन एक और जहां दिन में कथाओं का दौर चलता है तो दूसरी और दिन ढलते ही विवाहिताओं की नज़रें चांद के दिदार के लिये बेताब हो जाती हैं। चांद निकलने पर घरों की छतों का नजारा भी देखने लायक होता है। दरअसल सारा दिन पति की लंबी उम्र के लिये उपवास रखने के बाद आसमान के चमकते चांद का दीदार कर अपने चांद के हाथों से निवाला खाकर अपना उपवास खोलती हैं।
करवाचौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है और करवाचौथ व्रत की कथा सुनी जाती है। सामान्यत: विवाहोपरांत 12 या 16 साल तक लगातार इस उपवास को किया जाता है लेकिन इच्छानुसार जीवनभर भी विवाहिताएं इस व्रत को रख सकती हैं। माना जाता है कि अपने पति की लंबी उम्र के लिये इससे श्रेष्ठ कोई उपवास -व्रतादि नहीं है।
2018 में करवा चौथ 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है और इस दिन शनिवार है। वहीं इसी दिन इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी होने से ये पर्व और भी शुभ हो गया है।
इस वर्ष करीब 38 वर्ष बाद करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग के साथ अनूठा संयोग बन रहा है, जो महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इस मुहूर्त में किया गया हर कार्य सफल होता है। इस दौरान की गई पूजा और व्रत का लाभ ज्यादा मिलता है।
इस वर्ष करीब 38 वर्ष बाद करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग के साथ अनूठा संयोग बन रहा है, जो महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इस मुहूर्त में किया गया हर कार्य सफल होता है। इस दौरान की गई पूजा और व्रत का लाभ ज्यादा मिलता है।
इस दिन विवाहित महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार को महत्वपूर्ण माना गया है। इसके बाद शाम को चांद की पूजा करने के बाद महिलाएं पति के हाथ से जल ग्रहण करने के बाद ही व्रत पूर्ण करती हैं। लेकिन हर व्रत की तरह करवा चौथ के भी कुछ नियम हैं। अगर इनका ध्यान न रखा जाए तो व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। चूंकि ये व्रत सुहाग से जुड़ा है, लिहाजा इससे जुड़ी चूकों पर ध्यान देना आवश्यक है।
इस बार करवा चौथ पर सुहागिनें उद्यापन नहीं कर पाएंगी
इस बार करवा चौथ पर सुहागिनें उद्यापन नहीं कर पाएंगी। कारण है शुक्र का अस्त होना। किसी भी ग्रह के अस्त हो जाने की स्थिति में उसके बल में कमी आ जाती है तथा वह किसी कुंडली में सुचारू रूप से कार्य करने में सक्षम नहीं रह जाता। इस कारण करवा चौथ के दिन उद्यापन नहीं होगा। इस बार शुक्र अस्त 16 अक्टूबर को 5 बजकर 53 मिनट पर पश्चिम में हो गया है। 2 नवंबर को सुबह 10.15 बजे पूर्व दिशा में शुक्र तारा उदय होगा शुक्रास्त के चलते अब से लेकर 2 नवंबर तक शुभ कार्य व विवाह मुहूर्त नहीं बनेगा। करवा चौथ में शुक्र का बहुत महत्व होता है। शुक्र को नैसर्गिक भोग-विलास एवं दांपत्य का स्थिर कारक माना जाता है। इस लिए करवा चौथ या विवाह वाले दिन शुक्र के तारे का उदित स्वरूप में ना आवश्यक होता है। इस बार 27 अक्टूबर को सुहागिनें इस बार व्रत का उद्यापन नहीं कर पाएंगी। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। करवा चौथ पर सुहागिनों के लिए भोले नाथ की पूजा खास लाभकारी रहेगी। इस लिए उद्यापन ना कर भोले नाथ से पति की लंबी उम्र की दुआ मांगे। कल्याण होगा।
व्रत के सरल नियम:-
नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा करने के लिए बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार व्रत को सोलह या बारह वर्षों तक करके उद्यापन कर देना चाहिए। पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है।
💢सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें। निर्जला व्रत रखें |
💢फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी की सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करें।
💢संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें।
💢गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं।
💢भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
💢श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं।
💢उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
💢मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
💢कर्वे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और
चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
💢इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है।
💢इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए।
💢कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए।
💑पति की दीर्घायु की कामना कर पढ़ें यह मंत्र : -
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
विशेष : चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त = 18:04 से 19:19
अवधि = 1 घण्टा 15 मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय = 20:33
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = 27/अक्टूबर/2018 को 18:37 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = 28/अक्टूबर/2018 को 16:54 बजे
सावधानियां
🚫इस दिन महिलाएं काले वस्त्र का प्रयोग मत करें। एकदम सफेद साड़ी भी नहीं पहननी चाहिए। काला रंग सुहागिन महिलाओं के लिए अशुभ फलदायी है। सफेद साड़ी भी शुभ पर्व पर सुहागिन स्त्रियां नहीं पहनती हैं।
🚫इस दिन कैंची का प्रयोग मत करें। कपड़े मत काटें। अक्सर महिलाएं कपड़े काटने में कैंची का प्रयोग करती हैं। इस दिन भूलकर भी कैंची का प्रयोग ही मत करें बल्कि उसे कहीं छुपा दें ताकि वो दिखे भी नहीं।
🚫सिलाई-कढ़ाई भी मत करें। व्रत के दौरान खाली समय को व्यतीत करने के लिए व्रत के दिन अक्सर महिलाएं सिलाई कढ़ाई या स्वेटर बुनने का काम करती हैं। आज के दिन ये से सभी कार्य प्रतिबंधित है।
इस दिन समय बिताने के लिए ताश के पत्ते मत खेलें। जुआ तो कदापि मत खेलें। अपने समय को संगीत और भजन में बिताएं।
🚫किसी की निंदा मत करें। किसी की चुगली या बुराई करने से व्रत का फल नहीं मिलता।
🚫दूध, दही, चावल या उजला वस्त्र दान मत करें।
🚫अपने से बड़ों का निरादर मत करें।
🚫पति के अलावा किसी का चिंतन किसी भी स्थिति में मत करें।
🚫सुहाग की वस्तुएं कचड़े में मत फेंके।
🚫श्रृंगार करते समय जो चूड़ियां टूट जाये उनको बहते जल में प्रवाहित करें न कि घर में रखें।
🚫इस दिन धूम्रपान मत करें। किसी भी प्रकार का किया गया नशा व्रत के पुण्य का नाश कर देगा।
तामसिक भोजन मत करें।
🚫पति से प्यार से बाते करें। कोई विवाद मत करें। यदि कोई विवाहित महिला सभी नियमों के पालन से निराजल व्रत भी रहती है और पति को डांटती या अपमान करती है तो उसका सारा व्रत बेकार हो जाता है।
🚫व्रत पारण उपरांत पति-पत्नी का आज के दिन शारीरिक सम्बन्ध बनाना वर्जित नहीं माना गया है | अतः कोई संशय न रखें !
🚫व्रत पारण उपरांत पति-पत्नी का आज के दिन शारीरिक सम्बन्ध बनाना वर्जित नहीं माना गया है | अतः कोई संशय न रखें !
करवा चौथ व्रत की कथा
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कहकर वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।
हे श्री गणेश- मां गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।
पूजा-व्रत फल की दृष्टि से देखा जाये तो पति को भी पत्नी के साथ इस व्रत को करना चाहिए क्योंकि सुखद दांपत्य जीवन और जीवनसाथी की लम्बी आयु का आशीर्वाद पति और पत्नी दोनों को चाहिए न की एक को !
ASTRO NAKSHATRA 27 WISHING YOU A VERY HAPPY
KARWA CHAUTH
ACHARYA MUKESH
पूजा-व्रत फल की दृष्टि से देखा जाये तो पति को भी पत्नी के साथ इस व्रत को करना चाहिए क्योंकि सुखद दांपत्य जीवन और जीवनसाथी की लम्बी आयु का आशीर्वाद पति और पत्नी दोनों को चाहिए न की एक को !
ASTRO NAKSHATRA 27 WISHING YOU A VERY HAPPY
KARWA CHAUTH
ACHARYA MUKESH
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