🏵दिन~ शुक्रवार
🏵विक्रम सम्वत्~ 2075(विरोधाकृत)
🏵शकसम्वत्~1940 (विलंबी)
🔃द्रिक अयन~दक्षिणायण
🏵द्रिक ऋतु~शरद
🌞↗️सूर्योदय~06:43.
☀️↘️सूर्यास्त~17:21.
🌝↗️चन्द्रोदय~ 17:47.
🌚↘️चन्द्रास्त~ ❎
✡️मास~कार्तिक
⚛️पक्ष~शुक्ल पक्ष
☯️तिथि ~ पूर्णिमा 11:09.
🌙चंद्रराशि~♉वृषभ
🌙चंद्र नक्षत्र ~ कृत्तिका 16:42.
❇️योग ~परिघ 19:55.
♏सूर्य ~ वृश्चिक
🏵सूर्य नक्षत्र~ अनुराधा
♐मंगल ~ कुम्भ
♏⬇️↩️बुध(वक्री,अस्त)~ वृश्चिक
♏⬇️बृहस्पति(अस्त)~ वृश्चिक
♎शुक्र ~ तुला
♐शनि ~धनु
♋राहु ~ कर्क
♒केतु ~ मकर
🍥करण~ बव ~11:09. बालव ~22:07+.
👹राहुकाल~ 10:49 - 12:07.
👍अभिजीत मुहुर्त~ 11:46 - 12:28.
💩गंडमूल ~
28-11-18 ➡️ 08:11 से, 30-11-18 ➡️ 05:23
🙏होमहुति~ चंद्र
💥अग्निवास~ पाताल 11:09.
✳️दिशा शूल ~ पश्चिम
🚲यात्रा ~
*शुक्रवार*
दही या उससे बने पदार्थ का सेवन करके यात्रा करने से अनुकूलता आती है।
🏵23 नवंबर- कार्तिक पूर्णिमा ,गुरु पूर्णिमा।
🏵कार्तिक पूर्णिमा पर बहते जल में दीपदान करना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव न तो शिवजी के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगाजल, शहद, कच्चा दूध मिलाकर चढ़ाएं और मंदिर में देसी घी के दीये जलाएं। साथ ही पीपल के वृक्ष के नीचे घी
🏵यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा का प्रतिकूल स्थिति में है तो आप कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को चावल दान करें।
🏵कार्तिक पूर्णिमा पर चांद को गंगाजल अर्पित कर खीर, मिश्री और मखाने का भोग लगाना चाहिए।
🏵तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह और शाम दोनों समय तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही हाथ में घी का दीपक लेकर तुलसी की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
🏵कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है।
🏵इस बार कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार को पड़ रही है। शुक्रवार माता लक्ष्मी को समर्पित दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन घर में सत्यनारायण की कथा का अनुष्ठान करके उन्हें खीर, हलवा, मखाने, सिघाड़े का भोग लगाने से श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
🏵शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है।
🏵इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, पापों का नाश होता है।
🏵इसी दिन ब्रह्मा जी का ब्रह्म सरोवर पुष्कर में अवतरण हुआ था।
🏵इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया, जो शिव के अनेक नामों में से एक है।
🏵कार्तिक मास के इस दिन काशी में दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
🏵पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने धर्म, वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था।
🏵भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागरण से प्रसन्न होकर समस्त देवी-देवताओं ने पूर्णिमा को लक्ष्मी-नारायण की महाआरती करके दीप प्रज्ज्वलित किए। यह दिन देवताओं की दीपावली है अतःइस दिन दीप दान व व्रत-पूजा आदि करके हम भी देवों की दीपावली में शामिल होते हैं,ताकि हम अपने भीतर देवत्व धारण कर सकें।
Astro Nakshatr 27
Acharya Mukesh
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