हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan)
शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।
योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
15 दिसम्बर 2018 शनिवार का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:10 🌞↘️सूर्यास्त - 17:22
🌕↗️चन्द्रोदय - 12:36 🌘↘️चन्द्रास्त - 24:28+
पञ्चाङ्ग
🔘वार- शनिवार 💠तिथि - शुक्ल पक्ष अष्टमी 30:12+
तिथि का स्वामी - अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी है तथा नवमी तिथि के स्वामी माता दुर्गा जी है ।
अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था देवी राधा जी और देवी रूक्मिणी का जन्म भी अष्टमी हुआ था । देवी रूक्मिणी का जन्म कृष्ण पक्ष में और राधा जी का जन्म शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है , पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। मंगलवार को छोड़कर अष्टमी तिथि सभी प्रकार के कार्यो के शुभ है । अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।
नक्षत्र
पूर्व भाद्रपद 25:15+तक
तदुपरांत उत्तरा भाद्रपद
नक्षत्र के देवता एवं ग्रह्स्वामी :- पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के देवता अजचरण(अजपात नामक सूर्य ) है एवं उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुध्न्य (नाम का सूर्य ) है ।
योग
सिद्धि 25:52+ तक
करण
प्रथम करण : -विष्टि 17:05
द्वितीय करण : - बव 16 दिसम्बर प्रात: 06:13
विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)
शक संवत - 1940 (विलंबी)
अयन - दक्षिणायण
वैदिक ऋतु/द्रिक ऋतु:- हेमन्त
मास - मार्गशीर्ष (अगहन) माह
सूर्य राशि - सूर्य राशि
वृश्चिक
चन्द्र राशि
कुम्भ 18:40 तक
सूर्य नक्षत्र
ज्येष्ठा
शुभ समय
अभिजित मुहूर्त
11:55 - 12:36
अमृत काल
16:24 से 18:10
अशुभ समय
👹राहुकाल
09:43 से 10:59
राहुकाल :- राहुकाल में कोई भी नया शुभ कार्य एवं यात्रा नहीं करनी चाहिए।
पञ्चक:- पूरे दिन
पंचक शुरू
13 दिसंबर, 2018 (गुरुवार) 06:12 बजे
पंचक समाप्त
18 दिसंबर, 2018 (मंगलवार) 04:18 बजे
भारतीय ज्योतिष के अनुसार अशुभ समय में किए काम मनचाहा परिणाम नहीं देते। यही कारण है कि पंचक में बहुत से शुभ काम करने की मनाही है।
निवास और शूल
होमाहुति
शुक्र
⚓दिशा शूल⛵पूर्व में
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । सफलता के लिए घर से अदरक या घी खाकर जाएँ ।
🔥अग्निवास
पृथ्वी - 30:12+ तक
विशेष - अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होती है । )
ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~ वृश्चिक♏
🌙चंद्र-राशि~कुम्भ♓
🏵सूर्य नक्षत्र~ ज्येष्ठा
🔺मंगल ~ कुम्भ♓
🔘बुध~ वृश्चिक♏
🔶बृहस्पति~वृश्चिक♏
◽शुक्र ~ तुला♎
◾शनि ~धनु♐
👹राहु ~ कर्क♋
👺केतु ~ मकर♒
नोट :- पंचांग को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
ACHARYA MUKESH,
ASTROLOGER,
ASTRO NAKSHATRA 27
ASTROLOGER,
ASTRO NAKSHATRA 27
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