Acharya Mukesh |
आज के फैशन के दौर में सिर्फ करवा चौथ या किसी अन्य व्रत इत्यादि में ही महिलाएं सिन्दूर से अपनी पूरी मांग भरती हैं ! अन्य दिन सिर्फ उसकी निशानियां ही रह जाती है ! जो स्त्रियां आज भी अपनी पूरी मांग भरती हैं और पति का महत्त्व फैशन से अधिक समझती हैं उन सभी को मैं (आचार्य मुकेश) हार्दिक नमन करता हूँ !
सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है। दरअसल इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुड़ा है।
सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। मांग में जहां सिंदूर भरा जाता है, वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अध्मि नामक मर्म के ठीक ऊपर होता है । सिंदूर मर्म स्थान को बाहरी बुरे प्रभावों से भी बचाता है । सिंदूर में होता है पारा सिंदूर में मर्करी यानी पारा होता है जो अकेली ऐसी धातु है जो लिक्विड रूप में पाई जाती है। सिंदूर लगाने से शीतलता मिलती है और दिमाग तनावमुक्त रहता है।
सिंदूर शादी के बाद लगाया जाता है क्योंकि ये रक्त संचार के साथ ही यौन क्षमताओं को भी बढ़ाने का भी काम करता है।साथ ही इससे स्त्री के शरीर में स्थित विधुत्त उत्तेजना नियंत्रित होती है।
सावधानी ये रखनी है कि सिन्दूर हमेशा अच्छी गुणवत्ता की लें क्योंकि यदि इसमें मर्क्युरी की मात्रा अधिक हुई तो स्वास्थ्य को नुक्सान भी पहुंचा सकती है अथवा घटिया और सस्ती सिंदूर से एलर्जी की शिकायत हो सकती हैं !
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार सामुद्रिक शास्त्र में अभागिनी स्त्री के दोष निवारण के लिए मांग में सिंदूर भरने की सलाह दी गई है। मात्र सिंदूर भर भरने से किसी भी स्त्री के सौन्दर्य में वृद्धि हो जाती है । एक विवाहित स्त्री कितनी भी सजी संवरी क्यों ना हो, सूनी मांग की वजह से उनका सौंदर्य अधुरा सा लगता है। लेकिन मात्र चुटकी भर सिन्दूर उसके सौन्दर्य तथा आभा में कई गुणा वृद्धि कर देता है।
अखंड सौभाग्यवती का भारतीय पौराणिक कथाओं में लाल रंग के माध्यम से सती और पार्वती की ऊर्जा को व्यक्त किया गया है। सती को हिन्दू समाज में एक आदर्श पत्नी के रूप में माना जाता है। जो अपने पति के खातिर अपने जीवन का त्याग सकती है। हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से देवी पार्वती ‘अखंड सौभागयवती' होने का आशीर्वाद देती हैं।
लक्ष्मी का प्रतीक होता है सिंदूर सिंदूर देवी लक्ष्मी के लिए सम्मान का प्रतीक माना जाता है।यह कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर पांच स्थानों पर रहती हैं और उन्हें हिन्दू समाज में सिर पर स्थान दिया गया है। जिसके कराण हम माथे पर कुमकुम लगा कर उन्हें समान देते हैं। देवी लक्ष्मी हमारे परिवार के लिए अच्छा भाग्य और धन लाने में मदद करती हैं। हिन्दू धर्म में नवरात्र और दीवाली जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के दौरान पति के द्वारा अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह उनके एक साथ रहने का प्रतीक होता है और इससे वो काफी लंबे समय तक एक साथ रहते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण एवं पौराणिक मान्यताएं
यदि पत्नी के माँग के बीचो बीच सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यू नही हो सकती है।
जो स्त्री अपने माँग के सिन्दूर को बालो से छिपा लेती है उसका पति समाज मेँ छिप जाता है
जो स्त्री बीच माँग मेँ सिन्दूर न लगाकर किनारे की तरफ सिन्दूर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है।
यदि स्त्री के बीच माँग मेँ सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होती है।
रामायण मेँ एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीव के बीच युध्द हो रहा था तब श्रीराम ने बालि को नही मारा।
जब बालि के हाथो मार खाकर सुग्रीव श्रीराम के पास पहुचा तो श्रीराम ने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है इसिलिये मैँ भ्रमित हो गया
अब आप ही बताइये श्रीराम के नजरो से भला कोई छुप सकता है क्या?
असली बात तो यह थी जब श्रीराम ने यह देख लिया की बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूर से भरा हुआ है तो उन्होने सिन्दूर का सम्मान करते हुये बालि को नही मारा ।
दूसरी बार जब सुग्रीव ने बालि को ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी उसी समय भगवान ने देखा की मौका अच्छा है और बाण छोड दिया अब आप ही बताइये की जब माँग मेँ सिन्दूर भरा हो तो परमात्मा भी उसको नही मारते फिर उनके सिवाय कोई और क्या मारेगा।
मैँ आशा करता हुँ की मेरे इस पोस्टसे आप लोग सिन्दूर का महत्व समझ गयी होँगी और अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिये अपने पति के नाम का सिन्दूर अपने माँगमेँ भरे रहेगी...|||
Acharya Mukesh
Astro Nakshatra 27 Desk
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