1:- तिथि 2:- वार 3:- नक्षत्र 4:- योग और 5:- करण .
शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।
योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
03 जनवरी 2019 बृहस्पतिवार का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:19 🌞↘️सूर्यास्त - 17:32
🌕↗️चन्द्रोदय - 29:33+ 🌘↘️चन्द्रास्त - 15:36
पञ्चाङ्ग
🔘वार- बृहस्पतिवार 💠तिथि - कृष्ण पक्ष
त्रयोदशी - 27:21+ तक
चतुर्दशी
तिथि का स्वामी - त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है ।
नक्षत्र
अनुराधा - 11:04 तक
ज्येष्ठा
योग
गण्ड - 25:49+ तक
वृद्धि
करण
गर - 14:42 तक
वणिज - 27:21+ तक
विष्टि
विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)
शक संवत - 1940 (विलंबी)
अयन - दक्षिणायण
वैदिक ऋतु:- हेमन्त
द्रिक ऋतु:-शिशिर
मास - पौष माह
सूर्य राशि
धनु
चन्द्र राशि
वृश्चिक
सूर्य नक्षत्र
पूर्वाषाढ़ा
🌅दिनमान
10 घण्टे 13 मिनट्स 49 सेकण्ड्स
🌌रात्रिमान
13 घण्टे 46 मिनट्स 22 सेकण्ड्स
🙏शुभ समय🙏
अभिजित मुहूर्त
12:05 से 12:46
अमृत काल
27:26+ से 29:09+
सर्वार्थ सिद्धि योग
07:19 से 11:04
⛔अशुभ समय⛔
🚫गुलिक काल
09:52 से 11:09
🚷यमगण्ड
07:19 से 08:35
👹राहुकाल
13:42 से 14:59
ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !
राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।
इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।
रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खर मास या मलमास प्रारंभ हो जाएगा। खर मास में विवाह, नूतन गृह प्रवेश, नया वाहन, भवन क्रय करना, मुंडन जैसे शुभ कार्यों पर एक माह के लिए प्रतिबंध लग जाएगा।
⚓निवास और शूल
होमाहुति
केतु
⚓दिशा शूल⛵दक्षिण
🔥अग्निवास :-
पाताल - 27:21+ तक
पृथ्वी
पाताल - 27:21+ तक
पृथ्वी
ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~धनु♐
🌙चंद्र-राशि~वृश्चिक♏
🔺मंगल ~ मीन
🔘बुध~ धनु♐
🔶बृहस्पति~वृश्चिक♏
◽शुक्र ~ वृश्चिक♏
◾शनि (⬇️अस्त )~धनु♐
👹राहु ~ कर्क♋
👺केतु ~ मकर♒
नोट :- पंचांग को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
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