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Thursday 30 January 2020

सरस्वती पूजा 2020 (बसंत पंचमी 2020) 30 जनवरी 2020/वसंत पंचमी पर 14 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग


देवी सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। सृष्टि की रचना के लिए देवी शक्ति में अपने आप को पांच भागों में विभक्त कर लिया। वे देवी राधा, पार्वती, सावित्री, दुर्गा और सरस्वती के रूप में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुईं। उस समय श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न हुए देवी को सरस्वती के नाम से जाना जाने लगा। देवी सरस्वती के अनेक नाम हैं। जिनमें से वाक्, वाणी, गी, गिरा, बाधा, शारदा, वाचा, श्रीश्वरी, वागीश्वरी, ब्राह्मी, गौ, सोमलता, वाग्देवी और वाग्देवता आदि प्रसिद्ध नाम है।

सरस्वती देवी सौम्य गुणों की दात्री और देवों की रक्षक हैं। सृष्टि का निर्माण इनकी मदद से हुआ है। इसीलिए माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा के नाम से मनाया जाता है। माना जाता है इस दिन देवी सरस्वती का पूजन करने से विद्या और वाणी का वरदान मिलता है।

आमतौर पर हिंदू धर्म में बसंत पंचमी बहुत धूमधाम से मनायी जाती है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर विद्या की देवी वीणावादिनी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। विद्यार्थियों के साथ आम लोग भी मां सरस्वती की पूजा करते हैं और विद्या, बुद्धि और ज्ञान अर्जित करने की प्रार्थना करते हैं। 

लेकिन क्या आपको मालूम है कि बसंत पंचमी के दिन सिर्फ मां सरस्वती ही नहीं बल्कि प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। इसके साथ ही इसी दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का बहुत महत्व है। वास्तव में वसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु मानी जाती है। कहा जाता है कि इस मौसम में प्रत्येक मनुष्य के शरीर में विभिन्न तरह के बदलाव होते हैं। इसलिए वसंत ऋतु को खुशनुमा और प्यार का मौसम भी माना जाता है।

इस वजह से पूजे जाते हैं कामदेव

वास्तव में बसंत पंचमी वसंत ऋतु का आगमन होने के कारण मनायी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वसंत और कामदेव काफी घनिष्ठ मित्र थे। जिसके कारण बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि बसंत पंचमी को रतिकाम महोत्सव भी कहा जाता है क्यों कि इस दिन कामदेव के साथ ही उनकी पत्नी रति की भी पूजा होती है।

बसंत पंचमी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

इस विशेष अवसर पर मां सरस्वती और कामदेव के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन तड़के सुबह उठकर सर्वप्रथम पूरे शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद नहा लेना चाहिए। 

इसके बाद पीला वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर अच्छी तरह से श्रृंगार करना चाहिए और भगवान को भी पीले रंग का वस्त्र पहनाकर विभिन्न तरह के फलों का भोग लगाना चाहिए और विधि विधान से या पंडित के बताये अनुसार पूजा करना चाहिए। मां सरस्वती की पूजा करने से पहले भगवान गणेश, सूर्य देवता, विष्णु और शिव सहित अन्य देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

अबूझ मुहूर्त के रूप में


ज्योतिष के अनुसार, वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के दिन को सभी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन को अबूझ मुहूर्त के रूप में भी जानते हैं। नए कार्यों की शुरुवात के लिए इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। विवाह और उससे जुड़े कार्यों के लिए बसंत पंचमी का अबूझ मुहूर्त बहुत शुभ होता है। इस दिन कई लोग विवाह सूत्र में बांधते हैं। माना जाता है बसंत पंचमी के दिन विवाह करने वालों का दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है।

सरस्वती पूजा 2020 (बसंत पंचमी 2020)

नक्षत्र मेखला की गणना से माघ मास के शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी 30 जनवरी को गुरुवार के दिन उत्तरा भाद्रपद उपरांत रेवती नक्षत्र की साक्षी में आ रही है। साथ ही सिद्ध योग व मीन राशि के चंद्रमा की साक्षी भी रहेगी। गुरुवार के दिन रेवती नक्षत्र होने से सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होगा।

रेवती को पंचक का पांचवां नक्षत्र कहा जाता है। यह नक्षत्र अगर शुक्ल पक्षीय होकर शुभ पर्वकाल से युक्त हो, तो इसका पांच गुना शुभफल प्राप्त होता है। पंचागीय गणना की यह श्रेष्ठ स्थिति वसंत पचंमी पर किए गए मांगलिक कार्यों का कई गुना श्रेष्ठ फल प्रदान करेगी।

2020 में बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) 30 जनवरी को मनाई जाएगी। 

पञ्चमी तिथि प्रारम्भ = 29 जनवरी 2020 को 10:45 बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त = 30 जनवरी 2020 को 13:18 बजे (उदया तिथि में पंचमी )

इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है और मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। 
सरस्वती पूजा विधि और मंत्र 

मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार हो और आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। 

प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश और नवग्रह की विधिवत पूजा करें. फिर मां सरस्वती की पूजा करें. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं. फिर माता का श्रृंगार कराएं. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दूध से बनी मिठाईयां अर्पित करें. श्वेत फूल माता को अर्पण करें.

कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है. विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम और पुस्तकों का दान करें. संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व मां को बांसुरी भेंट करें.

इस मंत्र से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती 

''एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति! अप्रशस्ता इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि! ''😊

😊अर्थात - मातृगणो में श्रेष्ठ, देवियों में श्रेष्ठ हे ! मां सरस्वती हमें प्रशस्ति यानी ज्ञान, धन व संपति प्रदान करें।

यदि पूर्व में दिए मंत्र को पढ़ने में परेशानी हो तो इस सरल मंत्र को पढ़कर मां सरस्वती को प्रसन्न कर ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥

सरस्वती मंत्र - 1

ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।

सरस्वती मंत्र - 2

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

सरस्वती मंत्र - 3

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।

सरस्वती मंत्र - 4

ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।

सरस्वती मंत्र - 5

शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।

श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।

सरस्वती मंत्र - 6

ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

सरस्वती मंत्र - 7

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापाहां|

हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां||

पूजन विधि

वसंत पंचमी पर अगर विधि-विधान से देवी सरस्वती की पूजा की जाए तो विद्या और बुद्धि के साथ सफलता भी निश्चित मिलती है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा इस प्रकार करें-

> सुबह स्नान कर पवित्र आचरण, वाणी के संकल्प के साथ माता सरस्वती की पूजा करें।

> पूजा में गंध, अक्षत (चावल) के साथ खासतौर पर सफेद और पीले फूल, सफेद चंदन तथा सफेद वस्त्र देवी सरस्वती को चढ़ाएं।

> प्रसाद में पीले चावल, खीर, दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, घी, नारियल, शक्कर और मौसमी फल चढ़ाएं।

> इसके बाद माता सरस्वती से अपने लिए और अपने बच्चों की बुद्धि और कामयाबी की कामना करें, घी के दीप जलाकर आरती करें।

देवी सरस्वती की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।

सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता।। जय सरस्वती...।।

चंद्रवदनि पद्मासिनी, द्युति मंगलकारी।

सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी।। जय सरस्वती...।।

बाएँ कर में वीणा, दाएं कर माला।

शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला।। जय सरस्वती...।।

देवि शरण जो आए, उनका उद्धार किया।

पैठि मंथरा दासी, रावण संहार किया।। जय सरस्वती...।।

विद्या ज्ञान प्रदायिनि ज्ञान प्रकाश भरो।

मोह, अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो।। जय सरस्वती...।।

धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो।। जय सरस्वती...।।

मां सरस्वती जी की आरती, जो कोई नर गावे।

हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे।। जय सरस्वती...।।

1 comment:

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