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Saturday, 12 January 2019

रविवार, जनवरी 13, 2019 का पंचांग, पौष शुक्ल पक्ष, सप्तमी, सर्वार्थ सिद्धि योग, Today Panchang.


हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-


1:- तिथि  2:- वार  3:- नक्षत्र  4:- योग  और  5:- करण .

शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।

शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धिनक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।
योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

रविवार, जनवरी 13, 2019 का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:19  🌞↘️सूर्यास्त - 17:40                   
🌕↗️चन्द्रोदय - 11:41  🌘↘️चन्द्रास्त - 24:06


पञ्चाङ्ग
🔘वार-  रविवार💠तिथि - शुक्ल पक्ष
सप्तमी - 23:42 तक
अष्टमी


तिथि का स्वामी -सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्यदेव जी है तथा अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी है ।

लोहड़ी पंजाबियों का बहुत बड़ा त्यौहार है जो बहुत सारी खुशी और उळास के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व परिवार के सभी सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों को एक साथ एक ही स्थान पर लाता है। लोग इस दिन आलाव जलाते है, तब गाना गाते है और उस के चारो ओर नाचते है। इस दिन लोग आपस में मिलकर आलाव जलाकर अग्नि देव की पूजा करते हुए उसके चारो ओर नाचते गाते समय रेवडी, तिल , पॉपकॉर्न, गुड आदि चीज़ें आग मे डालते है। और अग्नि देव से अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते है। इस दिन सभी लोग सुन्दर और रंग बिरंगे कपडे पहनते है और ढोल की थाप पर भांगड़ा(गिद्दा) करते है। यह प्रसिद्ध पर्व किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है।लोहडी का त्योहार किसानों के लिए एक नयी समृद्धशाली शुरुआत का प्रतीक है। लोहडी का त्यौहार नविवाहित जोडे और घर मे जन्मे पहले बच्चे के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 
सप्तमी के दिन मीठा भोजन या फलाहार करने भोजन में नमक का सेवन ना करने से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं ।

रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। 



   

नक्षत्र

उत्तर भाद्रपद - 11:07 तक
रेवती

नक्षत्र के देवता एवं ग्रह्स्वामी :- 
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुध्न्य (नाम का सूर्य ) है एवं रेवती नक्षत्र के देवता पूषा (पूषण नाम का सूर्य ) है ।

योग
परिघ - 07:37 तक
शिव

करण
गर - 10:58 तक
वणिज - 23:42 तक
विष्टि (भद्रा)

विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)

शक संवत - 1940 (विलंबी)

अयन - दक्षिणायण

वैदिक ऋतु:- हेमन्त

द्रिक ऋतु:-शिशिर

मास - पौष माह

सूर्य राशि 

धनु


चन्द्र राशि
मीन

सूर्य नक्षत्र
   
                        उत्तराषाढा



नक्षत्र पद

उत्तर भाद्रपद - 11:07 तक
रेवती - 17:37 तक
रेवती - 24:05+ तक
रेवती - 30:31+ तक
रेवती
🌅दिनमान

10 घण्टे 20 मिनट्स 44 सेकण्ड्स

🌌रात्रिमान

13 घण्टे 39 मिनट्स 11 सेकण्ड्स


🙏शुभ समय🙏

भिजित मुहूर्त
12:09 से 12:50
सर्वार्थ सिद्धि योग
07:19 से 11:07
रवि योग
07:19 से 11:07

⛔अशुभ समय⛔

🚫गुलिक काल
15:05 से 16:23
🚷यमगण्ड
12:30 से 13:47
पञ्चक
पूरे दिन
{पंचक प्रारम्भ : जनवरी 09, 2019 से 14 जनवरी 2019} 
👹राहुकाल
16:23 से 17:40

ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !

राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।

इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।
रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।

सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खर मास या मलमास प्रारंभ हो जाएगा। खर मास में विवाह, नूतन गृह प्रवेश, नया वाहन, भवन क्रय करना, मुंडन जैसे शुभ कार्यों पर एक माह के लिए प्रतिबंध लग जाएगा।

⚓निवास और शूल
होमाहुति
बुध - 11:07 तक
शुक्र
भद्रावास
मृत्यु से 23:42 से पूर्ण रात्रि

⚓दिशा शूल⛵ पश्चिम

दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । इस दिन यात्रा में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।

विशेष - सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए ।

पर्व त्यौहार -

मुहूर्त -
सप्तमी तिथि को यात्रा , शिल्प , चूड़ा कर्म, अन्नप्राशन व गृह प्रवेश शुभ है।
🔥अग्निवास :-
आकाश - 23:42 तक
पाताल


ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~धनु
🌙चंद्र-राशि~मीन♓
🔺मंगल ~ मीन♓
🔘बुध(अस्त⬇️)~ धनु
🔶बृहस्पति~वृश्चिक
◽शुक्र ~ वृश्चिक
◾शनि (⬇️अस्त )~धनु
👹राहु ~ कर्क
👺केतु ~ मकर

नोट :- पंचांग  को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
                                       
                               

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