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Tuesday, 12 February 2019

13 फरवरी 2019 बुधवार/ माघ शुक्ल पक्ष, अष्टमी, आज का पंचांग/ मासिक दुर्गाष्टमी, भीष्म अष्टमी, कुम्भ संक्रान्ति, मासिक कार्तिगाई, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग


हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि  2:- वार  3:- नक्षत्र  4:- योग  और  5:- करण .

शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।

योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

13 फरवरी 2019 बुधवार , का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:05
🌞↘️सूर्यास्त - 18:05
🌕↗️चन्द्रोदय -12:03
🌘↘️चन्द्रास्त - 25:45+

पञ्चाङ्ग
🔘वार- बुधवार 💠तिथि - शुक्ल पक्ष (माघ)
अष्टमी - 15:46 तक
नवमी
तिथि का स्वामी -  अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी है तथा नवमी तिथि के स्वामी दुर्गा जी है

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है। अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है , पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें। अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। मंगलवार को छोड़कर अष्टमी तिथि सभी प्रकार के कार्यो के शुभ है । अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।


नक्षत्र

कृत्तिका - 22:28 तक
रोहिणी

         कृत्तिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव जी है एवं रोहिणी नक्षत्र के देवता धाता (ब्रह्मा), है ।

योग
ब्रह्म - 10:19 तक
इन्द्र

करण
बव - 15:46 तक
बालव - 27:26+ तक
कौलव

विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)

शक संवत - 1940 (विलंबी)

अयन - उत्तरायण

वैदिक ऋतु:-शिशिर

द्रिक ऋतु:-शिशिर

मास - माघ माह

सूर्य राशि 
मकर - 09:03 तक
कुम्भ


चन्द्र राशि
वृषभ

सूर्य नक्षत्र

धनिष्ठा

🌅दिनमान
11 घण्टे 00 मिनट्स 01 सेकण्ड्स

🌌रात्रिमान
12 घण्टे 59 मिनट्स 09 सेकण्ड्स


🙏शुभ समय🙏

अभिजित मुहूर्त:----------
सर्वार्थ सिद्धि योग:-पूरे दिन
विजय मुहूर्त:-14:25 से 15:09
अमृत काल:-20:03 से 21:40

⛔अशुभ समय⛔
गुलिक काल:- 11:13 से 12:35
🚷यमगण्ड:- 08:28 से 09:50
👹राहुकाल:- 12:35 से 13:58

ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !

राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।

इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।

रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।

⚓निवास और शूल
होमाहुति- शुक्र
अग्निवास :-
आकाश - 15:46 तक
पाताल
दिशाशूल (Dishashool) -उत्तर
बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ । 

विशेष - अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होती है । )

पर्व त्यौहार - 

मुहूर्त (Muhurt) - अष्टमी तिथि संग्राम, वास्तु, शिल्प, लेखन, स्त्री, रत्न धारण, आभूषण खरीदना ये सब अष्टमी को शुभ हैं।



ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~मकर09:03 तक, कुम्भ♒00
🌙चंद्र-राशि~ वृषभ ♉10
🔺मंगल ~ मेष ♈ 5⁰
🔘बुध(अस्त⬇️)~ कुम्भ ♒11
🔶बृहस्पति~वृश्चिक25
◽शुक्र ~ धनु17
◾शनि~धनु♐ 22
👹राहु ~ कर्क♋1
👺केतु ~ मकर♑1

नोट :- पंचांग  को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
                                       
                  
 💛ACHARYA MUKESH,

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