हिन्दू धर्म में पंचाग को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नित्य पंचाग को पढ़ने वाले जातक को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है उसको इस लोक में सभी सुख और कार्यो में सफलता प्राप्त होती है। पंचाग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) और 5:- करण (Karan).
शास्त्रों के अनुसार पंचाग को पढ़ना सुनना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम जी भी नित्य पंचाग को सुनते थे ।
शास्त्रों के अनुसार नित्य उस दिन की तिथि का नाम लेने उसका नाम सुनने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
वार का नाम लेने सुनने से आयु में वृद्धि, नक्षत्र का नाम लेने सुनने से पापो का नाश होता है।
योग का नाम लेने सुनने से प्रियजनों का प्रेम मिलता है और करण का नाम लेने सुनने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है। इसलिए निरंतर शुभ समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
27 दिसम्बर 2018 बृहस्पतिवार का पंचांग
🌞↗️सूर्योदय - 07:17
🌞↘️सूर्यास्त - 17:28
🌕↗️चन्द्रोदय - 22:42
🌘↘️चन्द्रास्त - 11:06
पञ्चाङ्ग
🔘वार- बृहस्पतिवार 💠तिथि - कृष्ण पक्ष
पञ्चमी - 08:03 तक षष्ठी - 29:43+ तक सप्तमी
पञ्चमी - 08:03 तक षष्ठी - 29:43+ तक सप्तमी
तिथि का स्वामी -
पञ्चमी तिथि के स्वामी सर्पदेव(नाग ) जी है तथा षष्ठीतिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी है
पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन नाग देव की पूजा करने से भय तथा कालसर्प दोष दूर होता है। पंचमी को नाग देवता का पूजन करने से घर में किसी की भी सांप काटने से मृत्यु नहीं होती है और अगर सांप काटने से किसी की मृत्यु हो भी गयी हो तो उसे मुक्ति मिलती है, जातक को निर्भयता प्राप्त होती है । पंचमी तिथि को पूर्णा भी कहते है। इस तिथि में कोई भी नया कार्य शुरू करने से उसमे सफलता मिलने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है वह कार्य बहुत लम्बे समय तक चलते है । लेकिन पौष माह की पंचमी को कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए । शास्त्रों में पंचमी तिथि को कटहल, बिल्ब, और खटाई खाने को मना किया गया है ।
नक्षत्र
मघा - 11:42 तक
पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र के देवता :- मघा नक्षत्र के देवता पितर है एवं पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग्र है ।
योग
प्रीति - 14:53 तक
आयुष्मान्
करण
तैतिल - 08:03 तक
गर - 18:50 तक
वणिज - 29:43+ तक
विष्टि(भद्रा)
विक्रम संवत् 2075 संवत्सर (विरोधाकृत)
शक संवत - 1940 (विलंबी)
अयन - दक्षिणायण
वैदिक ऋतु:- हेमन्त
द्रिक ऋतु:-शिशिर
मास - पौष माह
सूर्य राशि
धनु
चन्द्र राशि
सिंह
सूर्य नक्षत्र
मूल
🌅दिनमान
10 घण्टे 11 मिनट्स 11 सेकण्ड्स
🌌रात्रिमान
13 घण्टे 49 मिनट्स 10 सेकण्ड्स
🙏शुभ समय🙏
अभिजित मुहूर्त
12:02 से 12:43
अमृत काल
09:30 से 10:58
28:09+ से 29:39+
रवि योग
11:42 से 31:17+
⛔अशुभ समय⛔
🚫गुलिक काल
09:49 से 11:06
🚷यमगण्ड
07:17 से 08:33
👹राहुकाल
13:39 से 14:55
ऊपर दिए गए राहुकाल का आकलन दिल्ली के सूर्योदय को ध्यान में रखते हुए किया गया है !
राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार के प्रथम भाग में कोई राहु काल नहीं होता है। यह सोमवार को दूसरे भाग में, शनिवार को तीसरे भाग, शुक्रवार को चौथे भाग, बुधवार को पांचवे भाग, गुरुवार को छठे भाग, मंगलवार को सातवे तथा रविवार को आठवे भाग में होता है। यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है।
इस गणना में सूर्योदय के समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है। अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकाल लेते हैं जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना भी नहीं रहती है।
रविवार -सायं -4.30 से 6.00 तक।
सोमवार -प्रातः -7.30 से9.00 तक।
मंगलवार -दिन -3.00 से 4.30तक।
बुधवार -दिवा -12.00 से 1.30तक।
गुरूवार -दिन -1.30 से 3.00तक।
शुक्रवार -प्रातः -10.30 से12.00तक।
शनिवार -प्रातः -9.00 से 10.30तक।
⚠️पञ्चक:- समाप्त
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खर मास या मलमास प्रारंभ हो जाएगा। खर मास में विवाह, नूतन गृह प्रवेश, नया वाहन, भवन क्रय करना, मुंडन जैसे शुभ कार्यों पर एक माह के लिए प्रतिबंध लग जाएगा।
⚓निवास और शूल
होमाहुति
गुरु
भद्रावास
मृत्यु से 29:43+ से पूर्ण रात्रि
⚓दिशा शूल⛵दक्षिण
दिशाशूल -
बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
विशेष - पंचमी को बिल्व का सेवन नही करना चाहिए ।
🔥अग्निवास :-
पाताल - 08:03 तक
पृथ्वी
मुहूर्त (Muhurt) - पंचमी समस्त शुभ कार्यों के लिए उत्तम है परंतु इस दिन ऋण कतई नहीं देना चाहिए।
ग्रह-स्थिति:
🌞सूर्य-राशि ~धनु♐
🌙चंद्र-राशि~ सिंह
🏵सूर्य नक्षत्र~ मूल✴️
🔺मंगल ~ मीन
🔘बुध~ वृश्चिक♏
🔶बृहस्पति~वृश्चिक♏
◽शुक्र ~ तुला♎
◾शनि (⬇️अस्त )~धनु♐
👹राहु ~ कर्क♋
👺केतु ~ मकर♒
नोट :- पंचांग को नित्य पढ़ने से जीवन से विघ्न दूर होते है, कुंडली के ग्रह भी शुभ फल देने लगते है। अत: सभी जातको को नित्य पंचाग को अनिवार्य रूप से पढ़ना ही चाहिए और अपने इष्ट मित्रो को भी इससे अवगत कराना चाहिए ।
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