आज २३ अक्टूबर(मंगलवार) २२:३६ से २४ अक्टूबर (बुधवार) 22:15 तक शरद पूर्णिमा है !
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का हिंदू धर्म में खासा महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस रात को चांद से अमृत बरसता है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। साथ ही भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन के निधिवन में इसी दिन रास रचाया था।
इसे कोजागर पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। कहते हैं इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत भर जाता है और ये किरणें हमारे लिए बहुत लाभदायक होती हैं।
पूर्णिमा का महा-उपाय आचार्य मुकेश के द्वारा
दिवाली को माता लक्ष्मी सभी के घर आती हैं ये तो आप सभी जानते हैं पर क्या माता लक्ष्मी बिना आमंत्रण के आपके घर आएँगी ? जी नहीं ! तो इस २३ और २४ अक्टूबर को आप माता लक्ष्मी को अपने घर दिवाली पर आमंत्रित करें ! आचार्य मुकेश के अनुसार आपको बहुत ही छोटी सी प्रक्रिया करनी होगी :-
आज रात १०:३६ के बाद पति और पत्नी दोनों ही या यदि आप अकेले हैं तो भी स्नान करके एक ताम्बें के कलश में जल ले कर हाथों में थोड़ी-सी अक्षत, पुष्प लेकर चन्द्रमा के सामने खड़े हो जाएँ और पहले जल ३ बार छिड़कें, फिर अक्षत और पुष्प, फिर सुगन्धित धुप जला कर यदि पति पत्नी हों तो दोनों हाथ से हाथ जोड़(एक दूूसरे का हाथ पकड़ लें) लें और पूनम की चन्द्रमा जो सोलह कलाओं से पूर्ण होंगी उसे देखते हुए मन में माता लक्ष्मी का नाम लेते हुए बोले " माता मेरा नाम....., स्थान ......है... मैं/ अथवा पति - पत्नी आपने अपना नाम बोलें आपको इस दीपावली ७ नवम्बर को अपने घर आने का आमंत्रण देता/देती हूँ ! आप हमारे घर पधार कर हमें धन-धान्य तथा समृद्धी का आशीर्वाद प्रदान करें !
यदि आज समय की न भी मिल पाए तो घबराने की कोई बात नहीं आप ये प्रक्रिया आप २३ अक्टूबर(मंगलवार) २२:३६ से २४ अक्टूबर (बुधवार) 22:15 तक कर सकते हैं !
2018 में शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर को है और यह 23 अक्टूबर रात से ही शुरू हो जाएगी। इस दिन उजले चावल की खीर बनाकर आसमान के नीचे कुछ घंटे तक रखने और रात 12 बजे के बाद खाने की परंपरा है। इस बार शरद पूर्णिमा के लिए पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को रात 10:36 पर होगी। दूसरी तरफ पूर्णिमा तिथि 24 अक्टूबर रात 10:15 बजे समाप्त हो रही है।
'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'
अर्थात रसस्वरूप अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।
(गीताः15.13)
शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। हल्दी का उपयोग निषिद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है।
अर्थात रसस्वरूप अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।
(गीताः15.13)
लंकाधिपति रावण दर्पण के माध्यम से आज के दिन यानि शरद पूर्णिमा की चांदनी को नाभि पर यौवन को कायम रखने के लिए लेता था ! इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी।
चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है।
आज और कल घर में दरवाजे एवं बालकनी इत्यादि में घी के दीपक जरूर जलाएं !
छत पर रखी जाती है गाय के दूध से बनी खीर
शरद पूर्णिमा में रात को गाय के दूध से बनी खीर या दूध छत पर रखने का प्रचलन है। मान्यता है कि चंद्र देव द्वारा बरसाई जाने वाली चांदनी, खीर या दूध को अमृत से भर देती है।
चंद्रमा की पूजा करने का विधान
मन के स्वामी चंद्र देव हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान भी है, जिसमें उन्हें पूजा के अंत में अर्घ्य भी दिया जाता है। हेमंत ऋतु आज से ही शुरू होती है। लक्ष्मी के भाई चंद्रमा इस रात पूजा-पाठ करने वालों को शीघ्रता से फल देते हैं।
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