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Sunday, 20 January 2019

साल का पहला चंद्रग्रहण, चन्द्र ग्रहण जनवरी 20, 21, 2019, सूतक काल के दौरान ध्यान रखें यह बातें, ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं जरूर ध्यान रखें ये बातें


पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 21 जनवरी 2019 दिन सोमवार को खग्रास चन्द्र ग्रहण लगेगा। इस खग्रास चन्द्र ग्रहण 20 की रात को लगेगा और 21 जनवरी की सुबह तक रहेगा। यह ग्रहण भारत मे दृश्य नही होगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक महत्त्व नहीं होगा। फिर भी ग्रह नक्षत्रीय प्रभाव हुए बिना नहीं रहेगा। धार्मिक मान्यतानुसार सूर्य ग्रहण अथवा चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।

सूतक 20 जनवरी की रात 9 बजे से ही शुरू हो जाएगा।

हिन्दु धर्म में चन्द्रग्रहण एक धार्मिक घटना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। जो चन्द्रग्रहण नग्न आँखों से स्पष्ट दृष्टिगत न हो तो उस चन्द्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है। मात्र उपच्छाया वाले चन्द्रग्रहण नग्न आँखों से दृष्टिगत नहीं होते हैं इसीलिये उनका पञ्चाङ्ग में समावेश नहीं होता है और कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। केवल प्रच्छाया वाले चन्द्रग्रहण, जो कि नग्न आँखों से दृष्टिगत होते हैं, धार्मिक कर्मकाण्डों के लिये विचारणीय होते हैं। सभी परम्परागत पञ्चाङ्ग केवल प्रच्छाया वाले चन्द्रग्रहण को ही सम्मिलित करते हैं। 

यदि चन्द्रग्रहण आपके शहर में दर्शनीय नहीं हो परन्तु दूसरे देशों अथवा शहरों में दर्शनीय हो तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन यदि मौसम की वजह से चन्द्रग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्रग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है और ग्रहण से सम्बन्धित सभी सावधानियों का पालन किया जाता है। 


उपच्छाया से पहला स्पर्श - ०८:०७:३४
प्रच्छाया से पहला स्पर्श - ०९:०४:३६
खग्रास प्रारम्भ - १०:११:४०
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - १०:४२:१८
खग्रास समाप्त - ११:१२:५७
प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श - १२:२०:०१
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - १३:१७:०३

खग्रास की अवधि - ०१ घण्टा ०१ मिनट १७ सेकण्ड्स
खण्डग्रास की अवधि - ०३ घण्टे १५ मिनट्स २४ सेकण्ड्स
उपच्छाया की अवधि - ०५ घण्टे ०९ मिनट्स २८ सेकण्ड्स

चन्द्र ग्रहण का परिमाण - १.१९
उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - २.१७


२०, २१ जनवरी, २०१९ को पूर्ण चन्द्र ग्रहण दर्शनीय होगा। वर्ष २०१९ में यह पहला चन्द्र ग्रहण होगा। 

यह १.१९ के परिमाण का पूर्ण ग्रहण है, इसलिए अधिकतम ग्रहण के दौरान चन्द्रमाँ पृथ्वी की उपच्छाया से पूर्ण रूप से छिप जायेगा। ग्रहण के समय सूर्य के प्रकाश द्वारा चन्द्रमा लाल रंग में प्रक्षेपित होगा। पूर्ण ग्रहण की सबसे लंबी अवधि १ घंटा, १ मिनट और १७ सेकेंड होगी। 

यह चन्द्रग्रहण एशिया के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक, हिन्द महासागर, प्रशान्त और आर्कटिक महाद्वीपों से दिखाई देगा। 

चन्द्र ग्रहण भारत, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया और एशिया महाद्वीप के अधिकांश देशों और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से दिखाई नहीं देगा।

न्यूयॉर्क, सिएटल, लॉस एंजिलस, वाशिंगटन डी सी , शिकागो, लंडन, काहिरा, अंकारा, लिस्बन, एथेंस, पेरिस,रोम, क्यूबा में हवाना, ब्यूनस आयर्स, मास्को और ब्रसेल्स कुछ लोकप्रिय शहर हैं, जहां पूर्ण चन्द्र ग्रहण दिखाई देगा।

सूतक काल के दौरान ध्यान रखें यह बातें

1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक समय को आमतौर पर अशुभ मुहूर्त समय माना जाता है। इसे ऐसा समय कहा जा सकता है, जिसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते है। सूतक ग्रहण समाप्ति के बाद धर्म स्थलों को फिर से पवित्र किया जाता है।

2. सूतक के समय भोजन नहीं करना चाहिए। जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। 

3. ग्रहण के बाद पीने के पानी को बदल लेना चाहिए। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में यदि उनके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।

4. चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेष रूप से बचना चाहिए।

5. ग्रहण के समय देव पूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। इसी कारण ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है।

चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए घर में श्रीमदभागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके साथ इस दिन गरीबों को दान देना चाहिए। दान में आटा, चीनी , दाल आदि दे सकते हैं। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती चल रही है तो उनको शनि मंत्र का जाप करना चाहिए।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं जरूर ध्यान रखें ये बातें

भारतीय समयानुसार यह ग्रहण दिन में होगा इसलिए यहां दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका ज्योतिषीय असर जरूर रहेगा।

माना जाता है कि किसी भी ग्रहण असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर होता है। क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा काफी ज्यादा रहती है। ज्योतिषाचार्यों द्वारा ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला गया हो। गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस दौरान सुई धागे का प्रयोग भी वर्जित है। ग्रहण काल के दौरान भगवान का नाम लेने के अलावा कोई दूसरा काम न करें।

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