6 जनवरी को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत (Surya Grahan in India) में नहीं दिखाई देगा. क्योंकि ये आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) है. इसके बाद 21 जनवरी को पड़ने वाला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी नहीं दिखाई देगा।
स्थानः
यह आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बल्कि उत्तर-पूर्वी चीन, मंगोलिया, जापान, पूर्वी रूस, उत्तर और पूर्वी अलास्का में देखा जा सकेगा।
सूर्य ग्रहण 2019: तारीख और समय
सूर्य ग्रहण का समय 6 जनवरी को सुबह 5 बजे से शुरू होगा और करीब सवा दो घंटे बाद 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा। 9:18 बजे के बाद आप पूजा-पाठ इत्यादि प्रारम्भ करें। सर्वप्रथम गंगाजल से पूरे घर,पूजा स्थल तथा तुलसी इत्यादि को पवित्र करें। फिर पूजन करें।
साल 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को होगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जो मूल नक्षत्र एवं धनु राशि पर मान्य होगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण केवल दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में ही दिखाई देगा। जिन क्षेत्रों में ये ग्रहण दिखाई देगा, सिर्फ वहीं इससे जुड़े नियम मान्य और प्रभावी होंगे।
साल 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को होगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जो मूल नक्षत्र एवं धनु राशि पर मान्य होगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण केवल दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में ही दिखाई देगा। जिन क्षेत्रों में ये ग्रहण दिखाई देगा, सिर्फ वहीं इससे जुड़े नियम मान्य और प्रभावी होंगे।
ग्रहण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां:
ज्योतिषाचार्य मुकेश के अनुसार भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का बहुत ज्यादा महत्व है। इसका सीधा प्रभाव मानव जीवन सहित सभी जीव जन्तुओं पर पड़ता है। इसी कारण से गर्भवती महिलाओं, सहित अन्य आवश्यक कार्यो में पालन करना उत्तम होगा।
ग्रहण न देखें
नुकीली चीज का प्रयोग न करें
कपड़े न सिले अर्थात सुई का प्रयोग न करें
ग्रहण के दौरान चाकू का प्रयोग न करें
ग्रहण के बाद स्नान करें
अपने ईष्ट देव को याद करें
हालांकि, इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत या यहां रहने वाले लोगों पर नहीं पड़ेगा।स्नान-दान का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यतानुसार सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करना भी बहुत अच्छा रहता है। इसलिए गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल,काला कम्बल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान से खास लाभ मिलेगा।
ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से सूर्यग्रहण का प्रभाव सृष्टि पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं पर पड़ता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सूर्यग्रहण की वजह से ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन के प्राण बच पाए थे, आइए हिंदू धर्म से जुड़ी ऐसी ही मान्यताएं जानते हैं।
पुराण बताते हैं क्यों लगता है सूर्यग्रहण
मत्स्य पुराण के मुताबिक सागर मंथन के बाद जब अमृत बांटा जाने लगा तो स्वरभानु नाम का असुर अमृत पीने के लिए रूप बदलकर सूर्यदेव और चंद्रदेव के बीच आकर बैठ गया। सूर्यदेव और चंद्रदेव ने असुर को पहचान लिया और भगवान विष्णु से शिकायत की, जिसके बाद भगवान ने देर किए बिना स्वरभानु का सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया। लेकिन तबतक असुर अमृत की कुछ बूंदों का सेवन कर चुका था, जिसकी वजह से वह मर नहीं पाया और असुर के सिर को राहु और धड़ को केतु कहा गया। उसी दिन से सूर्य और चंद्रमा के पास आने पर राहु-केतु के प्रभाव से ग्रहण लगता है।
सूर्य ग्रहण के कारण बचे थे अर्जुन के प्राण
महाभारत युद्ध में अर्जुन ने सूर्यास्त तक जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा ली थी, उन्होंने कहा था कि अगर वो ऐसा नहीं कर पाए तो अग्निसमाधि ले लेंगे। कौरवों ने अर्जुन से जयद्रथ की रक्षा करने के लिए सुरक्षा घेरा बना लिया। भगवान कृष्ण को पता था कि आज सूर्यग्रहण है और जब सूर्यग्रहण हुआ तो जयद्रथ को लगा सूर्यास्त हो गया है और वह सुरक्षा घेरे से बाहर आ गया। तबतक सूर्यग्रहण हट चुका था और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जयद्रथ का वध करने को कहा। इसी तरह अर्जुन के प्राण बचे थे, वरना उन्हें अग्निसमाधि लेनी पड़ती।
भगवान कृष्ण से संबंध है सूर्यग्रहण का...
भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी सूर्यग्रहण के दौरान ही डूबी थी। ये भी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर माता यशोदा और नंद बाबा के साथ राधा जी भी स्नान करने आई थी। यहीं पर गोकुल छोड़ने के बाद श्रीकृष्ण और राधा जी की मुलाकात हुई थी।
ज्योतिषाचार्य मुकेश
ASTRO nAKSHATRA 27
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