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Tuesday, 13 August 2019

रक्षा बंधन 2019 : शुभ मुहूर्त और मान्यताएं/ #ASTRO NAKSHATRA 27 #Acharya Mukesh

रक्षाबंधन  के दिन बहनें अपनी भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी बांधकर उसकी लंबी आयु की कामना करती है. वहीं, भाई अपनी बहन के प्रति प्यार प्रकट करने के लिए रक्षासूत्र बांधने के उपलक्ष्य में भेंट या उपहार देकर हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं. 

प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष तैयार होकर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है, दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है और पैसों से न्यौछावर करके उन्हें गरीबों में बाँट दिया जाता है।

कब मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार

हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 15 अगस्‍त को है. 15 अगस्‍त (15 August) के दिन ही भारत के स्‍वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ भी है. ऐसा 19 साल बाद हो रहा है जब रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक दिन हो.

इस बार रक्षाबंधन का त्‍योहार गुरुवार को है इसलिए इसका महत्‍व और ज्‍यादा बढ़ गया है. इस दिन भद्रा काल नहीं है और न ही किसी तरह का कोई ग्रहण है.चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र का संयोग बहुत ख़ास रहेगा। सुबह से ही सिद्धि योग बनेगा जिसके चलते पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ेगी। यही वजह है कि इस बार रक्षाबंधन शुभ संयोग वाला और सौभाग्‍यशाली है.

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 14 अगस्‍त 2019 को रात 3 बजकर  45 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 15 अगस्‍त 2019 को रात 05 बजकर 59 मिनट तक

राखी बांधने का समय: 15 अगस्‍त 2019 को सुबह 05 बजकर 54 मिनट से रात 05 बजकर 59 मिनट तक 

अपराह्न मुहूर्त: 15 अगस्‍त 2019 को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से दोपहर 04 बजकर 20 मिनट तक

मुख्य बातें
- रक्षाबंधन से चार दिन पहले ही गुरु मार्गी होकर चलने लगेंगे सीधी चाल
- श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग, बव करण के साथ सूर्य कर्क व चंद्रमा होंगे 
   मकर राशि में 
- भद्रा का साया न होने से 15 अगस्त को सूर्योदय से शाम 5:54 तक रहेगा 
   शुभ मुहूर्त
- दोपहर 1:44 से 4:20 तक राखी बांधने का मिलेगा विशेष फल

भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया 
(यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है)-

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)"


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